बजट के अभाव में अटक सकती है मेट्रो की गति

स्वतंत्र समय, भोपाल

प्रदेश के खजाने की बदहाली का असर अब भोपाल और इंदौर के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर भी पडऩे लगा है। हालत यह है कि अब मेट्रो परियोजना की गति भी मंद पडऩे लगी है। दरअसल पूर्व की सरकार में वित्तीय कुशासन और चुनावी फायदे के लिए किए गए बेहिसाब खर्च की वजह से राज् का खजाना पूरी तरह से खाली हो चुका है। इसकी वजह से सरकार को कर्ज लेकर काम करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार के लिए सबसे बड़ी मुसीबत लाड़ली बहना योजना बन चुकी है, जिसमें उसे हर माह साढ़े बारह सौ करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। लिहाजा वित्त विभाग ने आय कम और खर्च ज्यादा की स्थिति को देखते हुए पहले ही विभागों के खर्च पर नकेल कसी जा चुकी है। इतने से भी बात नहीं बनते देख अब तो मेट्रो रेल परियोजना का पैसा भी रोक दिया गया है। इसके लिए इस साल किए गए प्रविधान के ही 290 करोड़ रुपए वित्त विभाग द्वारा जारी नहीं किए जा रहे हैं। अब इस वित्त वर्ष के समाप्त होने में महज दो माह का ही समय रह गया है। ऐसे में इस परियोजना के काम पर ब्रेक सा लग गया है। दरअसल भोपाल और इंदौर मेट्रो रेल के लिए इस वित्तीय वर्ष में 1160 करोड़ रुपए के बजट का प्रविधान किया गया था, जिसमें से 75 फीसदी यानि 870 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं । इसके बाद भी राशि नहीं दी जा रही है। इसकी वजह से परेशान नगरीय विकास विभाग और मप्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अफसरों द्वारा भी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष भी यह मामला उठाया गया है।

इंदौर के बाद दूसरी मेट्रो ट्रेन भोपाल आने की तैयारी में

मेट्रो कोच का निर्माण अल्सटॉम इंडिया लिमिटेड कंपनी ने गुजरात के सावली प्लांट में मार्च, 2023 को शुरू किया था। प्लांट से तीन कोच वाली पहली ट्रेन पिछले साल 31 अगस्त को इंदौर पहुंच गई थी। राजधानी में 18 सितंबर को पहली ट्रेन आई थी। मेट्रो के एक डिब्बे में लगभग 50 लोगों के बैठने और 300 व्यक्तियों के खड़े होने की क्षमता होगी। मेट्रो की दूसरी रेल इस महीने की शुरुआत में इंदौर पहुंच चुकी है। भोपाल के लिए भी दूसरी ट्रेन तैयार है। कंपनी के प्लांट से रवानगी के क्लियरेंस का इंतजार है। क्लियरेंस मिलने के बाद वहां से ट्रेन चार से पांच दिन में आ जाएगी।

भोपाल के लिए लिया गया है 3300 करोड़ का कर्ज

भोपाल में पहले चरण में एम्स से करोंद और डिपो चौराहा से रत्नागिरी तिराहा तक के मेट्रो रूट का निर्धारण किया गया है। इनकी कुल लंबाई 30.95 किमी है। इन मार्गों पर 30 स्टेशन का निर्माण भी किया जाना है। पहले चरण में इस प्रोजेक्ट पर 6941 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है। इसके लिए मप्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन इसमें से 3300 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक (ईआईबी) से ले रहा है। प्रोजेक्ट की लागत की 20-20 फीसदी राशि केंद्र और राज्य सरकार मुहैया कराएंगे। वहीं मप्र सरकार भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनव्यवस्थापन का पूरा खर्च भी उठाएगी।

रेलेवे से ब्लाक का इंतजार

सुभाष नगर से एम्स के बीच जून-जुलाई में मेट्रो का पैसेंजर रन किया जाना है। तब आम आदमी में इसमें सफर कर सकेगा। अभी सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन के बीच मेट्रो रूट तैयार हो चुका है। इस पर ट्रायल रन किया जा रहा है। अब इस रूट को एम्स तक बढ़ाने के लिए स्टील का रेलवे ओवर ब्रिज बनाया जाना है। यह गणेश मंदिर के पास रेलवे लाइन के ऊपर करीब 65 मीटर लंबाई में होगा। यह कमलापति स्टेशन को डीआरएम ऑफिस स्टेशन से जोड़ेगा। कुछ हिस्सा सडक़ के ऊपर भी रहेगा। स्टील ब्रिज राजस्थान से तैयार होकर यहां आए एक महीना से अधिक बीत चुका है। इसे ट्रैक के ऊपर असेंबल यानि जोडऩे के लिए ब्लॉक लेने की अनुमति अब तक रेलवे द्वारा नहीं दी गई है, जिससे यह काम अटका पड़ा है।