राजनीतिक दलों को दी जाती है मांगी गई सभी जानकारी, दिग्विजय बोले- गुमराह कर रहे

स्वतंत्र समय, भोपाल

विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस एक बार फिर ईवीएम पर सवाल उठा रही है। राज्यसभा सांसद और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने करीब 8 दिन पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आईआईटियन अतुल पटेल की मदद से ईवीएम के मॉडल में गड़बड़ी का डेमो दिया था। कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से दो सवाल भी पूछे थे। मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने इन सवालों का जवाब दिया है। निर्वाचन आयोग से मिले जवाब को दिग्विजय ने भ्रामक और जनता को गुमराह करने बताया है।

दिग्विजय सिंह ने एक्स पर लिखा

हमारे चुनाव आयोग से निम्न प्रश्न हैं, जिनका उत्तर निर्वाचन आयोग नहीं दे रहा। जब लोकसभा चुनाव की तैयारी में 29 जनवरी को ईवीएम की फर्स्ट लेवल चेकिंग हुई, तब हमने पूछा- क्या वीवीपैट में सिंबल डालते समय उसे इंटरनेट से जोड़ा जाता है? यदि हां, तो स्रु में कौन सा सॉफ्टवेयर होता है? दोनों का जवाब नहीं मिला। हमारी मांग केवल यह है कि मेरा वोट मेरे हाथ में हो, जिसे अलग से रखी मतपेटी में डाल दूं। इसमें क्या
ऐतराज है?

कांग्रेस के सवाल, चुनाव आयोग के जवाब

सवाल- ईवीएम की एफएलसी करते समय स्रु यानी सिंबल लोडिंग यूनिट के सॉफ्टवेयर को कंपनी के इंजीनियर द्वारा लोड किया जाता है। उसके प्रोग्राम व सॉफ्टवेयर की जानकारी राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जाए।

ईसीआई का जवाब- ईवीएम की एफएलसी की प्रक्रिया के दौरान उपस्थित रहने के लिए दो दिन पहले मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को लिखित सूचना दी जाती है। सिंबल लोडिंग यूनिट का उपयोग वीवीपैट में चुनाव चिह्न लोड करने के लिए किया जाता है। पूरी प्रक्रिया भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बेंगलुरु के इंजीनियर द्वारा की जाती है। मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के अधिकृत प्रतिनिधि के सामने बड़े मॉनिटर या टीवी पर इसे दिखाया जाता है।

सवाल- ईवीएम की एफएलसी करते समय इंटरनेट रूम में कंप्यूटर-लैपटॉप के माध्यम से जो जानकारी भेजी जाती है, वह भी राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जाए।

जवाब- इस संबंध में मैन्युअल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन अगस्त 2023 एडिशन में स्पष्ट जानकारी है। एडिशन के 8 चैप्टर 2 एफएलसी ऑफ ईवीएम के बिंदु 2.9 सीलिंग ऑफ प्लास्टिक कैबिनेट ऑफ कंट्रोल यूनिट ऑफ ईवीएम विथ पिंक पेपर सील के अंतर्गत एफएलसी ह्र्य मशीनों- क्च, ष्ट, ङ्कङ्कक्क्रञ्ज की लिस्ट यूनिक आईडी के साथ सभी मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों को उपलब्ध कराई जाती है। 24 जनवरी को दिग्विजय ने आईआईटियन अतुल पटेल के माध्यम से ईवीएम में गड़बड़ी का डेमो दिया था। 24 जनवरी को दिग्विजय ने आईआईटियन अतुल पटेल के माध्यम से ईवीएम में गड़बड़ी का डेमो दिया था।

जवाब को निराशाजनक और भ्रामक बताया

दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस का पत्र और निर्वाचन आयोग से मिले जवाबों को साझा करते हुए लिखा- चुनाव आयोग द्वारा दिए गए जवाब निराशाजनक एवं भ्रामक हैं। 29 जनवरी को कांग्रेस ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिखकर सिंबल लोडिंग यूनिट के सॉफ्टवेयर की जानकारी मांगी थी। इंटरनेट का उपयोग करते हुए कम्प्यूटर-लैपटॉप के माध्यम से भेजी जाने वाली जानकारी भी राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराने की मांग की थी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने अगले ही दिन 30 जनवरी को भ्रामक उत्तर दे दिए, जो चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सवालों के जवाब में स्नरुष्ट की प्रक्रिया की जानकारी दे दी गई, जिसे सभी राजनीतिक दल पहले से ही जानते हैं। उसी की पारदर्शिता और प्रक्रिया पर संदेह पैदा होने के कारण सिंबल लोडिंग यूनिट के सॉफ्टवेयर की जानकारी चाही गई थी।

चुनाव की निष्पक्षता-पारदर्शिता पर सवाल

दिग्विजय ने लिखा- जब चुनाव आयोग द्वारा कहा जाता है कि ईवीएम का इंटरनेट से संबंध नहीं है, तो हमारा सीधा सवाल है कि क्या सिंबल लोड करते समय इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती है। यदि हां, तो इस बात को छिपाने की क्या वजह है कि एफएलसी के समय इंटरनेट के माध्यम से संबंधित कक्ष में स्थापित कम्प्यूटर-लैपटॉप से किसे और क्या जानकारी भेजी जाती है?