स्वतंत्र समय, ग्वालियर
विद्युत नियामक आयोग द्वारा स्मार्ट मीटर की व्यवस्था लागू किये जाने के बाद बिलिंग को लेकर जारी किये गये नियमों में बदलाव कर दिया गया है और इसके बाद अब उपभोक्ता की जेब से और अधिक पैसा निकलवाने का रास्ता खुल जायेगा।
नियमों के किये गये बदलाव में बताया गया है कि स्मार्ट मीटर लगाये जाने के बाद यदि किसी फायनेंसियल ईयर में उपभोक्ता के मिनिमम 3 बिलिंग में मीटर की मैक्सिमम डिमांड स्वीकृत लोड से अधिक हो जायेगी तो ऐसी स्थिति में पहले से स्वीकृत लोड अपने आप 3 महीने की मिनिमम लोड डिमांड के रूप में कनवर्ट हो जायेगा। यानी आपके मीटर का लोड कन्वर्ट होकर दूसरी मैक्सिमम डिमांड के लेवल वाले स्लाट में पहुंच जायेगी। उसकी बिलिंग उस डिमांड वाले लोक के मिनिमम बिलिंग के आधार पर शुरू हो जायेगी। आयोग ने कहा है कि इस नयी व्यवस्था के आधार पर बिलिंग नये फायनेंसियल ईयर के पहले महीने से होने लगेगी।
पैनाल्टी से मिलेगी राहत
विद्युत नियामक आयोग ने यह भी कहा है कि इस लोड के बढऩे के बाद जो भी चार्ज लगने होंगे उसका भुगतान भी उपभोक्ता को ही करना होगा। मीटर नियमों में संशोधन के जरिये लागू किये गये नियमों में यह भी कहा गया है कि इसी तरह की स्थिति उपभोक्ता की संविदा डिमांड के मामले में भी लागू होगी। आयोग के सचिव उमाकांत पांडा के आदेश से हुए नोटिफिकेशन में यह भी कहा गया है कि स्मार्ट मीटर लगाने की दिनांक से पहले की अवधि के लिये स्मार्ट मीटर में दर्ज मैक्सिमम डिमांड के आधार पर कोई पेनाल्टी वसूल नहीं की जा सकेगी। दूसरे शब्दों में जब से यह नियम प्रभावी होंगे तब से ही नये लोड के आधार पर भुगतान करना होगा और पूर्व की अवधि में पेनाल्टी बिजली अधिकारी नहीं वसूल सकेंगे।
मोबाइल पर आयेगा मैसेज
विद्युत नियामक आयोग ने कहा है कि बढ़े हुए लोड पर बिजली बिल भेजने का काम एक अप्रेल से शुरू होने पर बिजली उपभोक्ता को अलग से कोई सूचना नहीं दी जायेगी। सिर्फ शार्ट नोटिस यानी मोबाइल पर मैसेज दे दिया जायेगा कि अप्रेल के महीने से उपभोक्ता पहले से स्वीकृत मीटर लोड बढक़र अधिक हो गया है और उसकी बिलिंग बढ़े हुए लोड कें आधार पर की जायेगी।
स्मार्ट मीटर कैसे करेगा काम
अगर किसी स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ता का बिल स्वीकृत लोड 1 किलोवाट के आधार पर आता है और वर्षभर के 3 बिलिंग साईकिल में उसके मीटर का लोड 1.2 किलोवाट और 1.4 किलोवाट तक पहुंच जाता है तो नये वित्त वर्ष के पहले महीने यानी अप्रेल महीने का जो बिल आयेगा उसमें बिलिंग की प्रक्रिया 1.2 किलोवाट के रूप में प्रभावी हो जायेगी और मीटर का लोड अपने आप अधिक हो जायेगा। इसका सीधा असर बिजली उपभोक्ता पर प्रभावी होगा। आयोग के नियम में यह भी कहा गया है कि इस तरह की व्यवस्था लोड कम कराने के मामले में भी लागू होगी और 03 बिलिंग साईकिल के मिनिमम लोड के आधार पर ही लोड कूम किये जायेंगे।
एग्रीमेंट कराना होगा नए लोड के लिए
नियामक आयोग के आदेश के मुताबिक जब तीन बिलिंंग साइकिल (चक्र) के आधार पर बढ़े हुए लोड पर बिल आने की स्थिति बनेगी तो बिजली कम्पनी के अफसरों की सूचना के बाद उपभोक्ता को नए सिरे से एग्रीमेंट कराना होगा। इसका खर्च उपभोक्ता को ही उठाना पड़ेगा। उपभोक्ता से इससे संबंधित चार्ज कम्पनी वसूल कर सकेंगी।
डिस्काम को लेना होगा फैसला
बिजली अफसरों के अनुसार विद्युत नियामक आयोग के आदेश लागू करने के मामले में बिजली कम्पनियों को तकनीकी रूप से फिजिकल लोड का ध्यान रखना होगा। इसलिए बिजली कम्पनियों को इसके लिए अलग से व्यवस्था तय करनी होगी। कम्पनियों को अपने रीजन में ऐसे केस चेक कराकर फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करानी होगी और इसे डिस्काम को भेजना होगा। इसके बाद नियामक आयोग के आदेश पर अमल के लिए डिस्काम इसे लागू करने की व्यवस्था तय करेगा।