40 जाटव परिवारों ने अपनाया बौद्ध धर्म, सरपंच बोले- बहला फुसलाकर बदलवाया धर्म

स्वतंत्र समय, शिवपुरी

करैरा के ग्राम बहगवां में भागवत कथा के आयोजन में अपने साथ भेदभाव और छुआछूत का आरोप लगाकर 40 जाटव परिवारों ने सनातन धर्म छोडक़र बौद्ध धर्म अपना लिया है। बौद्ध धर्म अपनाने वाले लोगों ने आरोप लगाया कि आयोजन में सभी समाज के लोगों को अलग-अलग कार्य सौंपे गए थे, लेकिन जाटव समाज के लोगों को झूठी पत्तल उठाने का काम सौंपा गया। इसके चलते उन्होंने भण्डारे से एक दिन पहले बौद्ध धर्म अपना लिया। इन लोगों ने इस अवसर पर बौद्ध धर्म गुरू को बुलाया और टेंट लगाकर आयोजन किया।
धर्म परिवर्तन के इस अवसर पर बौद्ध धर्म गुरु ने धर्मांतरण करने वाले लोगों को शपथ दिलाई कि मैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश को कभी ईश्वर मानूंगा और ना कभी उनकी पूजा करूंगा। मैं राम और विष्णु को कभी ईश्वर मानूंगा और ना ही कभी उनकी पूजा करूंगा। मैं गौरी, गणपति आदि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी देवता को नहीं मानूंगा और ना ही उनकी पूजा करूंगा। मैं इस बात पर कभी विश्वास नहीं करूंगा कि ईश्वर ने कभी अवतार लिया है। मैं यह बात कभी नहीं मानूंगा कि भगवान बौद्ध विष्णु के अवतार हैं। मैं ऐसे प्रचार को पागलपन और झूठा प्रचार समझता हूं। मैं श्राद्ध कभी नहीं करूंगा और ना ही पिंडदान करूंगा। मैं कोई भी क्रियाकर्म ब्राह्मणों के हाथों नहीं कराऊंगा। मैं इस सिद्धांत को मानूंगा कि सभी मनुष्य एक समान हैं। मैं समानता की स्थापना के लिए प्रयत्न करूंगा। मैं भगवान बौद्ध के मार्ग पर चलने का प्रयास करूंगा। मैं प्राणी मात्र पर दया करूंगा। उनका लालन-पालन करूंगा। मैं कभी चोरी नहीं करूंगा, झूठ नहीं बोलूंगा, झूठ का प्रचार नहीं करूंगा, शराब नहीं करूंगा। मैं अपने जीवन को बौद्ध धर्म के तीन तत्वों ज्ञान, शील, करुणा के अनुसार ढालने का प्रयत्न करूंगा। मैं मनुष्य की उत्कृष्टता के लिए हानिकारक, मनुष्य मात्र को नीच मानने वाले पुराने हिंदू धर्म को पूर्णत त्यागता हूं और बौद्ध धर्म को अपनाता हूं। मैं पूर्ण विश्वास करता हूं कि बौद्ध धर्म ही सर्वधर्म है। मैं यह मानता हूं कि मेरा नया जन्म हो रहा है। मैं यह प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं आज से बौद्ध धर्म के अनुसार आचरण करूंगा।

समाज के लोगों को किया गया था अपमानित

भीम आर्मी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य महेंद्र बौद्ध ने बताया कि गांव में भंडारे में सभी समाज को काम बांटे गए। जाटव समाज को पत्तल परोसने और झूठी पत्तल उठाने का काम दिया गया। इस दौरान गांव के किसी व्यक्ति ने कहा कि जाटव समाज के लोग पत्तल परोसेंगे तो पत्तल वैसे ही खराब हो जाएगी। ऐसे में इनसे सिर्फ झूठी पत्तल उठवाने का काम करवाया जाए। इसके बाद गांववालों ने कह दिया कि झूठी पत्तल उठाना है तो उठाओ, नहीं तो खाना खाकर अपने घर जाओ। इसी बुरे व्यवहार के चलते जाटव समाज ने धर्म बदल लिया।

सरपंच बोले- बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन करवाया

गांव के सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप निराधार हैं। समाज के लोगों ने एक दिन पूर्व ही अपने हाथ से केले का प्रसाद बांटा था। पूरे गांव ने प्रसाद लिया और खाया भी। गांव में बौद्ध भिक्षु आए थे, उन्होंने लोगों को बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन करवाया है। सरपंच ने कहा, पूरे गांव में किसी भी तरह का काम किसी समाज विशेष को नहीं बांटा गया था। सभी ने मिलजुल कर सारे काम किए हैं। अन्य समाज के लोगों ने भी परोस करवाई और झूठी पत्तल उठाई हैं। उनके साथ छुआछूत क्यों नहीं की गई। जाटव समाज ने जो चंदा दिया था, वो उन्होंने वापस ले लिया। गांववालों ने उसकी पूर्ति के लिए दोबारा से चंदा भी किया है।

इनका कहना है

मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है। मैं पता करवाता हूं कि आखिर इतने परिवारों ने एक साथ धर्म परिवर्तन क्यों किया। इस मामले की गहराई से पड़ताल करना जरूरी है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक दिन में धर्म परिवर्तन कर ले, यह संभव नहीं है। जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।
रविन्द्र कुमार चौधरी, कलेक्टर शिवपुरी