100 जनसंख्या वाली बसाहटों को भी मिलेगी पक्की सड़क की सौगात, आदिवासियों के उत्थान के लिए खाका तैयार

स्वतंत्र समय, भोपाल

देश की 75 विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास और सामाजिक आर्थिक उत्थान की योजना का लाभ मध्य प्रदेश की तीन विशेष पिछड़ी जनजातियों को मिलने जा रहा है। पीएम जनमन योजना के तहत पक्के घर, नल से जल, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएं और पोषण की सुविधा देने का खाका तैयार कर लिया गया है। सरकार ने तीन साल का रोडमैप तैयार किया है। जिस पर 2354 करोड़ का खर्चा आएगा।
मध्यप्रदेश की बैगा, भारिया और सहरिया जनजातियों के उत्थान के लिए प्रदेश सरकार ने खाका तैयार किया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश में पीएम जनमन के तहत होने वाले विभिन्न विकास कार्यों एवं कल्याण गतिविधियों का रोडमैप तैयार कर लिया है। इसके तहत प्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजातीय क्षेत्रों का कायाकल्प करने की तैयारी है। रोडमैप के अनुसार 100 जनसंख्या वाले गांव या बसाहटों को भी पक्की सडक़ से जोड़ा जाएगा। 981 संपर्क विहिन बसाहटों में 2403 किलोमीटर लम्बाई की 978 सडक़ें बनाई जाएंगी। इन सडक़ों पर 50 पुल बनाने की तैयारी की गई है। रोडमैप के अनुसार इस पर तीन साल में 2354 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

खोले जाएंगे नए आंगनवाड़ी केंद्र

प्रदेश के 23 जिलों में नए आंगनवाड़ी केन्द्रों के साथ छात्रावास, बहुउद्देश्यीय केंद्र, सडक़ों के साथ आवासों का निर्माण किया जाएगा। सक्षम आंगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 योजना के तहत विशेष जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में 194 नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्थापना होगी। विशेष पिछड़ी जनजाति क्षेत्रों के ऐसे मजरे टोले, जिनकी जनसंख्या 100 या अधिक है और जहां पर अभी आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं हैं, वहां नए केन्द्र खोले जाएंगे।

20 जिलों में होगा छात्रावास का निर्माण

साथ ही सरकार ने पीएम जनमन में स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से विशेष पिछड़ी जनजाति बाहुल्य बसाहटों में निवास करने वाले परिवारों के बच्चों के लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा देना सुनिश्चित किया है। साथ ही 20 जिलों के 55 स्थानों पर 110 बसाहटों के निकट बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग छात्रावासों का निर्माण कराया जाएगा। ऐसे इलाकों में 60-60 लाख की लागत से बहुउद्देशीय केन्द्रों का निर्माण होगा। आवास बनाने के लिए 2 लाख रुपए की राशि दी जाएगी।अलग-अलग 11 गतिविधियों के लिए मध्यप्रदेश में 125 बहुउदेशीय केन्द्रों के निर्माण की स्वीकृति भारत सरकार जारी कर चुकी है। साथ ही केन्द्र निर्माण के लिए केंद्र सरकार शत-प्रतिशत वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी। 2200 वर्गफीट पर केंद्र का निर्माण होगा। इसमें से 1605 वर्गफीट भूमि पर भवन बनेगा। जमीन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जिला कलेक्टरों की होगी।