स्वतंत्र समय, नर्मदापुरम
नगर पालिका में घपले और घोटाले की खबरें आए दिन अखबारों की हेड लाइन की सुर्खिंया बनती है। नर्मदापुरम नगर पालिका में करोड़ों का घोटाला हुआ है, यह हम नहीं कर रहे है। यह संचनालय नगरीय प्रशासन और विकास मध्यप्रदेश शासन से आरटीआई में दिए गये दस्तावेज में बया कर रहे है। वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर वित्तीय वर्ष 2022-23 तक की नगर पालिका ने शहरवासियों से लिए गए टैक्स की जमा राशि का ब्यौरा व कार्यालय की सीए रिपोर्ट मांगी गई थी। जिसमें देखने को मिला है कि नपा ने वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2022-23 तक टैक्स के रूप में जनता से संपत्तिकर, समेकित कर, नगरीय विकास उपकर और शिक्षा उपकर की वसूली की जानकारी दी।
नगर पालिका में इस तरह से हुई वसूली
नगर पालिका ने वर्ष 2019-20 में जनता से कर के रूप में 4 करोड़ 48 लाख 75 हजार 228 रूपए वसूले हैं। जबकि कैशबुक में मात्र 2 करोड़ 85 लाख 73 हजार 645 रूपए ही जमा बताएं गये है। इसी प्रकार वर्ष 2020-21 में 5 करोड़ 22 लाख 53 हजार 473 रूपए वसूले है। जबकि कैशबुक में मात्र 2 करोड़ 98 लाख 44 हजार 236 रूपए जमा बताएं है। वर्ष 2021-22 में 3 करोड़ 22 लाख 22 हजार 512 रूपए वसूले है। जबकि कैशबुक में मात्र 3 करोड़ 8 लाख 25 हजार 589 रूपए जमा बताएं है। दिलचस्प बात यह है कि सबसे कम अंतर यही पाया गया। इस दौरान तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी विनोद शुक्ला का कार्यकाल रहा है। इन्हीं के कार्यकाल में विभिन्न करो की कार्यालय से जारी की गई रसीदों की जांच के आदेश दिए गए थे। लेकिन उनका तबादला होने के बाद यह मामला दब गया। वर्ष 2022-23 में जनता से करो की राशि के रूप में 4 करोड़ 82 लाख 66 हजार 79 रूपए वसूले है। जबकि कैशबुक में मात्र 2 करोड़ 76 लाख 98 हजार 51 रूपए जमा बताएं है।
अधिकारियों के संज्ञान में कैसे नहीं आया यह बड़ा सवाल
मालूम हो कि जनता से इन 4 वर्षों में 17 करोड़ 76 लाख 17 हजार 292 रूपए वसूले गए और कैश बुक अर्थात नगर पालिका कोष में मात्र 11 करोड़ 69 लाख 41 हजार 521 रूपए जमा बताएं है। शहरवासियों से की गई टैक्स की वसूली में से 6 करोड़ 6 लाख 75 हजार 771 रूपए नपा के कोष में जमा ही नहीं किए गए है। जो कि एक बहुत बड़ी राशि के गबन को दर्शाता है। आखिर इतनी बड़ी राशि का अंतर अधिकारियों के संज्ञान में कैसे नहीं आया यह बड़ा सवाल है? जबकि प्रत्येक वर्ष की ऑडिट रिपोर्ट में एनेक्सर-ए एम्फेसिस ऑफ मैटर्स नामक पेज पर सीए ने कैश बुक और राजस्व वसूली राशि में अंतर को दर्शाया है। इसी प्रकार ऑडिट रिपोर्ट के अंत में एब्स्ट्रेक्ट शीट फॉर रिपोर्टिंग ऑन परास नाम पेज पर पिछले वर्ष की वसूल की गई टैक्स की राशि से तुलना कर जबावदार अधिकारियों का ध्यानाकर्षित करवाया है। अब बड़े सवाल उठ रहे है कि इतनी बड़ी आर्थिक हेराफेरी एवं अनियमित्तता पिछले 4 वर्षों से लगातार हो रही है। जबकि नपा के राजस्व और वित्तीय व्यवस्था को देखने वाले जबावदेह अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि और उच्च अधिकारियों का इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है, यह बड़ा सवाल है।
कोविड काल में प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया
कोविड काल में पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा था। इधर लोगों के घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए घर को चलाना मुश्किल था। ऐसे वक्त में शहरवासियों से तथाकथित वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के दौरान 10 करोड़ से अधिक राजस्व आय नपा की दर्शाकर प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नपा को प्रोत्साहन राशि के रुप में 30 लाख रूपए और प्रशस्ति पत्र दिया गया था। इधर नपा की ऑडिट रिपोर्ट से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्व वसूली में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए जो जानकारी वसूली का प्रतिवेदन भेजा गया था वह कितना सच है? नपा की राजस्व वसूली शाखा द्वारा इतनी बड़ी आर्थिक हेराफेरी कर मप्र की नगर पालिकाओं में राजस्व वसूलने का अद्भुत कारानाम शोध एवं अध्ययन का विषय है।
गबन आर्थिक हानि के संबंध में क्या कहता है नियम
जब कभी नगर पालिका निधि अथवा संपत्ति में गबन चोरी या किसी भी रीति से हानि होना पाया जाए अथवा ऐसा होने का संदेह हो तो इसकी सूचना लेखा एवं वित्त विभाग प्रमुख अथवा संबंधित विभाग के प्रमुख की सलाह पर तत्काल मुख्य नगरपालिका अधिकारी ऐसे मामले की सूचना प्रेसिडेंट इन काउंसिल एवं संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा को देगा। यदि मामला 5 हजार या इससे अधिक के गबन चोरी का है तो तत्काल पुलिस को सूचित करें। इसके बाद मामले को राज्य सरकार के ध्यान में लाया जाएगा। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल मध्यप्रदेश शासन की अधिकृत वेबसाइट (डब्ल्यूडब्ल्यूडब्लयूडॉट एमपीयूआरबीएनडॉट जीओव्ही डॉट इन) होमपेज के अंत में महत्वपूर्ण लिंक के अंतर्गत दी गई। नगरीय निकायों की आडिटेड वित्तीय लेखे पर क्लिक करके नगरपालिका परिषद नर्मदापुरम की ऑडिट रिपोर्ट्स को डाउनलोड कर, उसका अध्ययन किया जा सकता है।
इनका कहना है…
जब इस मामले में जानकारी के लिए सीएमओ नवनीत पाण्डे से उनके मोबाइल नंबर 07987003651 पर कई कॉल किया गया तो उन्होंने कॉल ही रिसीव नहीं किया।