3907 तेंदुओं के साथ मध्यप्रदेश फिर बना ‘Leopard’ स्टेट

स्वतंत्र समय, इंदौर

देश में तेंदुओं ( Leopard ) की सर्वाधिक संख्या 3907 मध्यप्रदेश में है। वर्ष 2018 में 3421 थी। इसके बाद महाराष्ट्र में 1985, कर्नाटक में 1,879 और तमिलनाडु में 1,070 हैं। वन मंत्री श्री नागर सिंह चौहान ने वन्य जीव संरक्षण और प्रबंधन से जुड़े वन विभाग के अमले को बधाई दी है। टाइगर रिजर्व या सबसे अधिक तेंदुए की आबादी वाले स्थल- आंध्रप्रदेश के श्रीशैलम में नागार्जुन सागर और इसके बाद मध्यप्रदेश में पन्ना और सतपुड़ा हैं।

भारत में Leopard की स्थिति पर रिपोर्ट जारी

यह तथ्य आज नई दिल्ली में भारत में तेंदुओं ( Leopard ) की स्थिति पर जारी रिपोर्ट में रेखांकित हुआ है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने रिपोर्ट जारी की। वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने कहा कि वन्य जीव हमारे जंगल की शान है। भारत में तेंदुओं की आबादी 13,874 (रेंज 12,616 – 15,132) व्यक्ति होने का अनुमान है। यह 2018 में 12852 (12,172-13,535) व्यक्तियों के समान क्षेत्र की तुलना में स्थिर आबादी का प्रतिनिधित्व करती है। यह अनुमान तेंदुए के निवास स्थान की 70 प्रतिशत आबादी को दर्शाता है। इसमें हिमालय और देश के अर्धशुष्क हिस्सों का नमूना नहीं लिया गया है, क्योंकि यह बाघों का निवास स्थान नहीं हैं।

Leopard की संख्या में शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानी इलाकों में गिरावट

उल्लेखनीय है कि पांचवें चक्र में तेंदुओं की आबादी का अनुमान राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा, राज्य वन विभागों के सहयोग से किया जा रहा है। चतुर्वर्षीय बाघों की निगरानी, शिकारियों, शिकार और उनके आवास की निगरानी अभ्यास के एक भाग के रूप में यह प्रयास किया गया था। इससे बाघ संरक्षण प्रयासों को गति मिली है। मध्य भारत में तेंदुओं की आबादी की स्थिर या थोड़ी बढ़ती दिखाई देती है, शिवालिक पहाडय़िों और गंगा के मैदानी इलाकों में गिरावट देखी गई। यदि हम उस क्षेत्र को देखें जिसका पूरे भारत में 2018 और 2022 दोनों में नमूना लिया गया था, तो प्रतिवर्ष 1.08 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। शिवालिक पहाडय़िों और गंगा के मैदानों में, प्रतिवर्ष -3.4 प्रतिशत की गिरावट हो रही है, जबकि सबसे बड़ी वृद्धि दर मध्य भारत और पूर्वी घाट में 1.5 प्रतिशत थी।
भारत में तेंदुए की आबादी के आकलन का पांचवां चक्र 18 बाघ राज्यों के भीतर वन आवासों पर केंद्रित है, जिसमें चार प्रमुख बाघ संरक्षण परिदृश्य शामिल हैं। 2000 एमएसएल से ऊपर गैर-वन निवास, शुष्क और उच्च हिमालय में तेंदुए के लिए नमूना नहीं लिया गया था। इस चक्र के दौरान शिकार के अवशेषों और शिकार की बहुतायत का अनुमान लगाने के लिए 6,41,449 किमी तक पैदल सर्वेक्षण किया। कैमरा ट्रैप को रणनीतिक रूप से 32,803 स्थानों पर रखा गया था, जिससे कुल 4,70,81,881 तस्वीरें आईं और इनमें से तेंदुए की 85,488 तस्वीरें प्राप्त हुईं। ये निष्कर्ष तेंदुए की आबादी के संरक्षण में संरक्षित क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं। जबकि बाघ अभयारण्य महत्वपूर्ण गढ़ों के रूप में काम करते हैं, संरक्षित क्षेत्रों के बाहर संरक्षण अंतराल को संबोधित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। संघर्ष की बढ़ती घटनाएं तेंदुओं और समुदायों दोनों के लिए चुनौतियां पैदा करती हैं। चूँकि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर तेंदुओं का जीवित रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, आवास संरक्षण को बढ़ाने और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए सरकारी एजेंसियों, संरक्षण संगठनों और स्थानीय समुदायों को शामिल करनेवाले सहयोगात्मक प्रयास आवश्यक हैं।

Leopard स्टेट का दर्जा मिलने के दिन ही तेंदुआ की मौत

रीवा शहडोल मार्ग पर मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर, रोहनिया गांव के पास सडक़ दुर्घटना में एक तेंदुए ( Leopard ) की मौत हो गई। वन विभाग की निपानिया चौकी से महज 500 मीटर की दूरी पर हुई इस घटना के बाद वन्यजीवों की सुरक्षा और निगरानी के मामले में वन विभाग के मैदानी अमले की लापरवाही लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।