स्वतंत्र समय, भोपाल
सरकारी विभाग भ्रष्टाचार के रास्ते कहीं न कहीं से खोज ही लेते हैं। पोषण आहार ( Nutritious food ) सप्लाई और बच्चों को बांटने के मामले में ये काम पहले एमपी एग्रो और महिला बाल विकास के अधिकारी किया करते थे। तत्कालीन शिवराज सरकार ने इस व्यवस्था को बदलते हुए महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से आंगनवाडिय़ों तक पोषण आहार सप्लाई और व्यवस्था का जिम्मा सौंपा था, लेकिन अब ग्रामीण आजीविका फोरम ने ठेकेदारों से सप्लाई कराने के लिए टेंडर जारी कर खेल प्रारंभ कर दिया है।
आंगनवाड़ी में करीब 80 लाख बच्चों को दिया जाता है Nutritious food
मप्र में 84 हजार 465 आंगनवाडिय़ों तथा 12, 670 मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों में करीब 80 लाख हितग्राही बच्चों को पूरक पोषण आहार ( Nutritious food ) प्रदाय किया जाता है। इस पर खर्च होने वाली करीब 3 हजार करोड़ रुपए की राशि में से 50 फीसदी केंद्र और 50 फीसदी राशि राज्य सरकार वहन करती है। आंगनवाड़ी केंद्रों में 6 माह से 6 साल तक के बच्चों को प्रतिदिन 8 रुपए के हिसाब से पोषण आहार देने का प्रावधान है। इसी तरह अतिकम वजन वाले बच्चों के लिए प्रतिदिन 12 रुपए के मान से पोषण आहार दिया जाता है, जबकि गर्भवती माताओं को 9.50 रुपए के हिसाब से प्रतिदिन आहार देने की व्यवस्था की गई है। पूर्व में आंगनवाडिय़ों में पोषण आहार प्रदाय का काम महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मे था। ये एमपी एग्रो के साथ मिलकर प्रदाय और सप्लाई का कमा किया करता था, लेकिन इस व्यवस्था में भ्रष्टाचार जमकर हुआ। बच्चों को पूरा पोषण नहीं मिल पाता और आधे से ज्यादा अफसर ही हजम कर लिया करते थे।
शिवराज ने बदली व्यवस्था, स्वसहायता को सौंपा काम
तत्कालीन शिवराज सरकार ने अक्टूबर 2018 में इस व्यवस्था को बदलते हुए एमपी एग्रो के संयंत्र सहित सप्लाई का काम महिला स्वसहायता समूह को सौंप दिया। लेकिन बीच में कमलनाथ सरकार आई तो उसने पुन: ठेकेदारी व्यवस्था को लागू करते हुए ये काम एमपी एग्रो को दे दिया। पोषण आहार व्यवस्था से ठेकेदारी प्रथा खत्म करने के लिए शिवराज कैबिनेट ने दूसरी बार सितंबर 2021 में पोषण आहार उत्पादन और सप्लाई का काम महिला समूहों को सौंपने का निर्णय लिया। जनवरी 2022 से धार, देवास, होशंगाबाद और शिवपुरी पोषण आहार संयंत्रों में उत्पादन और संयंत्रों से संबद्ध जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों में सप्लाई शुरू कर दिया। आंगनबाडिय़ों को हर माह औसत 1050 टन पोषण आहार दिया जाता है। हालांकि भोपाल संभाग के भोपाल, रायसेन, सीहोर, विदिशा एवं राजगढ़ जिलों में एमपी एग्रो अपने संयंत्र से पोषण आहार सप्लाई करता है।
ग्रामीण आजीविका मिशन में जमकर हुआ भारी भ्रष्टाचार
शिवराज सरकार के समय ग्रामीण आजीविका मिशन के पूर्व आईएफएस एवं सीईओ एमएल बेलवाल ने महिला स्वसहायता समूह की आड़ में जमकर भ्रष्टाचार किया। इस मामले की जांच पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की उप सचिव रहीं नेहा मारव्या ने की थी। जांच में अतिनियमितताओं के साथ ही ग्रामीण आजीविका मिशन में हुई भर्तियों में भी फर्जीवाड़ा सामने आया। जांच अधिकारी मारव्या ने तत्कालीन एसीएस पांचयत एवं ग्रामीण विकास को अपनी रिपोर्ट भेज दी, लेकिन तत्कालीन सीएस के करीबी होने के कारण बेलवाल के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि उलटे नेहा मारव्या को लूपलाइन में पोस्ट कर दिया गया।
खेल के लिए निकाला फोरम ने टेंडर
मप्र राज्य आजीविका फोरम ने 13 फरवरी को देवास, नर्मदापुरम, सागर, मंडला, रीवा एवं शिवपुरी जिले में पूरक पोषण आहार के परिहवन के लिए टेंडर जारी किया। टेंडर में पोषण आहार के परिवहन एवं मप्र स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के गोदाम से गेहूं तथा चावल का परिवहन प्रति मीट्रिक टन प्रति किमी के हिसाब से ठेका पद्धति के माध्यम से करने निविदा बुलाई गई। इसमें निविदा की शर्तों का विवरण ऑनलाइन वेबसाइट पर डाला गया और निविदा भी ऑनलाइन बुलाई गई। जिससे परिवहन का कार्य मनपसंद कंपनी को दिया जा सके और इसमें खेल किया जा सके। इस संबंध में एसीएस पंचायत एवं ग्रामीण विकास मलय श्रीवास्तव से चर्चा करनी चाही, तो उनका फोन बंद मिला।
सीएजी ने भी किया करोड़ों का घोटाला उजागर
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने मप्र में पोषण आहार मामले में बड़े घोटाले का भंडाफोड़ किया था। कैग ने बताया था कि मई 2014 से दिसंबर 2016 के बीच भोपाल और रायसेन के परियोजना अधिकारियों ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लगभग 3.19 करोड़ रुपए को कंप्यूटर ऑपरेटर्स और डेटा एंट्री ऑपरेटर्स सहित अन्य के 89 बैंक खातों में जमा करवाया है।