स्वतंत्र समय, भोपाल
सामान्य प्रशासन एवं जेल विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ( Manish Rastogi ) पहले भी कई आईएएस अफसरों के साथ इस तरह का दुव्र्यवहार कर चुके हैं। जिस तरह दो दिन पूर्व रस्तोगी ने जेल विभाग के ही सचिव ललित दाहिमा को मीटिंग में आने से रोकने, फाइल पर नोटिंग करने और कक्ष से बाहर जाने..‘गेट आउट’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया वैसा ही अन्य अफसरों के साथ भी किया हैं। वैसे इस विवाद के बाद शुक्रवार को प्रमोटी आईएएस अधिकारी ललित दाहिमा के समर्थन में नजर आए।
Manish Rastogi और सचिव ललित दाहिमा के बीच विवाद
गौरतलब है कि जेल विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ( Manish Rastogi ) और सचिव ललित दाहिमा के बीच विवाद की वजह फार्मासिस्ट के वेतन वृद्धि और एक जेल अधीक्षक के कोर्ट केस से जुड़ी अवमानना की फाइलों की नोटशीट पर लिखी टीप से जुड़ा है। खासकर वाहन की अदला-बदली की वजह से ललित दाहिमा मीटिंग में 4 मिनट देरी से मंत्रालय पहुंचे थे। जिसके बाद मामला तू-तू, मैं-मैं से कक्ष से बाहर निकल जाने तक पहुंच गया। इस मामले में दहिमा ने मुख्य सचिव वीरा राणा से उनका तबादला अन्य विभाग में करने का आग्रह किया था, लेकिन सीएस राणा ने इससे इनकार कर दिया। वैसे तो यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है, लेकिन मनीष रस्तोगी का अधीनस्थ अफसरों के साथ विवाद पहली बार नहीं हुआ। इसके पहले भी वे कई अफसरों से दुव्र्यवहार कर चुके हैं।
पूर्व मंत्री डॉ. यादव से भी हुई थी फाइल को लेकर बहस
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि शिवराज सरकार के समय मनीष रस्तोगी करीब साढ़े तीन साल सीएम के पीएस और राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव रहे हैं। किसी फाइल को लेकर तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव इनके पास गए थे, तब भी इन्होंने उस फाइल को लेकर यादव से बहस की थी। डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहले उन्होंने रस्तोगी को सीएम सचिवालय से बाहर का रास्ता दिखाया। रस्तोगी को करीब 28 दिन तक किसी विभाग की जिम्मेदारी भी नहीं दी।
दाहिमा के समर्थन में उतरे अफसर
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि रस्तोगी और दाहिमा के बीच हुए विवाद का मामला सामने आने के बाद शुक्रवार दोपहर कई सीधी भर्ती और प्रमोशन वाले आईएएस अधिकारी दाहिमा के कक्ष में पहुंचे और उनका समर्थन किया। इनमें मंत्रालय में कार्यरत अधिकारियों के अलावा अन्य विभागों में कार्यरत आईएएस भी शामिल थे। इन अफसरों का कहना था कि जीएडी पीएस रस्तोगी का ये व्यवहार अधीनस्थों के प्रति ठीक नहीं है।
रस्तोगी का पहले भी अफसरों से रहा विवाद
राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव रहते मनीष रस्तोगी ने परिवारिक कारणों से एक माह के अवकाश पर जाने वाले तत्कालीन राप्रसे के अधिकारी और वर्तमान आईएएस राजेश ओगरे का वेतन तक कटवा दिया था। वहीं सीधी भर्ती की आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या का पंचायत एवं ग्रामीण विभाग से राजस्व में उप सचिव के पद पर तबादला हुआ तो रस्तोगी ने मारव्या को न तो वाहन उपलब्ध कराया और न ही स्टाफ दिया। नेहा ने इस मामले से तत्कालीन सीएस को भी अवगत कराया, लेकिन फिर भी इन्हें सुविधाएं नहीं दी गई, वहीं राजस्व विभाग में उपसचिव के रूप में काम करने वाले अधिकारी दिनेश मोर्य को भी सुविधाओं से वंचित रखा गया। बाद में वे भी आईएएस बने और करीब पांच साल से राजस्व विभाग में ही पदस्थ हैं। इन्हें फील्ड में भी पदस्थ नहीं होने दिया। उधर, जेल एवं जीएडी का प्रभार लेने के बाद जेल विभाग के उप सचिव कमल नागर को भी किसी मुद्दों पर कक्ष से बाहर जाने का बोल दिया था।