स्वतंत्र समय, इंदौर
प्रिंसेस इस्टेट के भूखंड पीडि़तों के मामले में कलेक्टर ( Collector ) के निर्देश पर मौके पर राजस्व अमला पहुंचा और शिविर लगाकर पीडि़तों से विस्तृत चर्चा भी की और कालोनाइजर महेन्द्र जैन को भी बुलाया, जिसने लिखित में 30 दिन में शिकायतों के निराकरण का आश्वासन दिया। संयुक्त कलेक्टर ( Collector ) रोशनी वर्धमान ने पीडि़तों के साथ कालोनाइजर से भी कालोनी से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज मांगे और पंचनामा भी बनवाया। जिन खसरा नम्बरों की जमीनों पर अधिक विवाद है, उन पर यथास्थिति बनाए रखने की सहमति भी हुई। वहीं पटवारी और तहसीलदार द्वारा जो गलत नामांतरण, फिल्ड बुक और फर्जी तरमीम की गई, उस मामले में हाईकोर्ट जाने की भी सलाह दी गई है। लसूडिय़ा मोरी एमआर-11 पर 950 भूखंडों की प्रिंसेस इस्टेट कालोनी का विवाद बीते कई सालों से चल रहा है।
रसूखदारों ने जमीनें कबाड़ ली
इस कॉलोनी में वैसे तो 90 एकड़ जमीन शामिल है मगर कालोनी के अंदर ही दो नई कॉलोनियां विकसित हो गई और किसान के साथ अन्य रसूखदारों ने जमीनें कबाड़ ली, जबकि भूखंड पीड़ित कई सालों से शिकायतें कर रहे हैं। पिछले दिनों प्रिंसेस इस्टेट कॉलोनी रहवासी संघ के प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर आशीष सिंह से भी मुलाकात की। अध्यक्ष वीरेन्द्र पांधरीवाल और सचिव अनिल कुमार शर्मा का कहना है कि खसरा नं. 264, 270 और 328 में अधिक फर्जीवाड़ा हुआ है और बिके हुए भूखंडों पर ही कॉलोनाइजर, किसान और अन्य रसूखदारों ने पुन: नामांतरण, रजिस्ट्री, फर्जी तरमीम, चतुर्थ सीमा और फिल्ड बुक बनाकर अवैध कब्जे कर लिए और ये लोग परसों ही बुलडोजर लेकर जमीन का कब्जा दिलवाने राजस्व अमले के साथ सांठगांठ कर पहुंच भी गए, जिसकी भनक पीडि़तों को लगी तो बड़ी संख्या में वे मौके पर पहुंचे, जिसके बाद एसडीएम श्री धनकर को भी आना पड़ा और चल रही कब्जे की कार्रवाई रोकी गई। उसके बाद कल मौके पर शिविर लगाकर प्रशासन ने मामले की विधिवत नए सिरे से जांच शुरू करवाई।
पीडि़तों के बीच पहुंची संयुक्त कलेक्टर
संयुक्त कलेक्टर रोशनी वर्धमान भूखंड पीडि़तों के बीच पहुंची और उन्होंने कालोनाइजर महेन्द्र जैन को भी बुलाया। हालांकि, दूसरे कालोनाइजर अरुण डागरिया मौके पर नहीं पहुंचे। पीडि़तों ने जब तथ्यात्मक तरीके से प्रशासन को जानकारी दी कि खसरा नं. 270 पर लगभग 34 प्लॉट हैं, जिनकी रजिस्ट्रियां 24-25 साल पहले हो चुकी हैं। उन प्लॉटधारकों की जमीनों पर कब्जे कर उन्हें नए सिरे से बेच दिया गया और पटवारी-तहसीलदार से सांठगांठ कर बटांकन भी करवा लिए। अब 30 दिन में कालोनाइजर महेन्द्र जैन ने भूखंड पीडि़तों की शिकायतों के निराकरण का आश्वासन दिया है। ये भी उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व कालोनाइजर महेन्द्र जैन और अरुण डागरिया इसी तरह के फर्जीवाड़े में जेल की हवा भी खा चुके हैं।