राजेश राठौर, इंदौर
दुनिया में केवल तीन फीसद पानी ( Water ) पीने के लायक है और इसका दो-तिहाई हिस्सा जमे हुए ग्लेशियरों में छिपा हुआ है, या हमारे इस्तेमाल के लिए उपलब्ध नहीं है। नतीजतन, दुनियाभर में लगभग 1.1 बिलियन लोगों को पानी की सुविधा नहीं है, और कुल 2.7 बिलियन लोगों को साल के कम से कम एक महीने में पानी की कमी का सामना करना पड़ता है।
हमारा इंदौर भी जलसंकट के मुहाने पर
सफाई के मामले में 7 बार परचम लहराने वाला हमारा इंदौर देश के सबसे स्वच्छ शहर एवं मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी होने के साथ ही आबादी के हिसाब से मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा क्षेत्र है। लेकिन मध्यप्रदेश के कई जिलों के साथ हमारा इंदौर सहित पूरा जिला भी जलसंकट के मुहाने पर खड़ा है। इंदौर को जल अभाव क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। भू-जल स्तर गिर चुका है। बिगड़ते हालात को देखते हुए प्रशासन ने जिले में नलकूप खनन पर रोक लगा दी है। पुराने तालाब, कुंओं, बावडिय़ों के पानी को सहेजने के लिए प्रशासनस्तर पर काम भी शुरू कर दिया गया है। यदि हम अब भी नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब हमें भी बेंगलुरु और केपटाउन जैसे हालातों का सामना करना पड़ेगा।
इंदौर नगर पालिक निगम द्वारा की गई पहल
- रेन वाटर हार्वेेस्टिंग।
- उपचारित जल का पुन: उपयोग
- प्राचीन जल स्त्रोतों का जीर्णाेद्वार
- तालाबों की चेनलों की बाधाएं हटाना और गहरीकरण करना।
- रिचार्ज जोन निर्माण।
- जल भराव वाले स्थानों पर (सीएसआर) के माध्यम से रिचार्ज शाफ्ट का निर्माण।
- सिटी फॉरेस्ट व अहिल्या वन का निर्माण।
- जन संवाद एवं जागरूकता।
‘भू जल संरक्षण’ हम सबकी जिम्मेदारी और कर्तव्य भी
वन्दे जलम अभियान केवल अभियान नहीं बल्कि हम सभी की जि़म्मेदारी है। हमें यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में हमारी जिम्मेदारी क्या है। भूमि के संरक्षण से हम बाढ़ों, भूकंपों और जलवायु परिवर्तन के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों से बच सकते हैं। जल संरक्षण से हम जलसंग्रहण, जलसंचय, और जलशोधन के माध्यम से जल की उपयोगिता और संरक्षण में सहायक हो सकते हैं। इससे हम समृद्ध, स्वास्थ्य और समर्थ समुदाय की दिशा में प्रगति कर सकते हैं। इसलिए, भू और जल संरक्षण को लेकर हमें साझेदारी करनी चाहिए। आज की चिंता के साथ कल की फिक्र भी हमारी ही जिम्मेदारी है। दुनिया में केवल 3फीसद जल ही पीने योग्य है। ऐसी स्थिति में हमें अपने जलस्तोत्रों को सहेजने की आवश्कता है। पानी का दुरुपयोग कम करें। वर्षा जल को सहेजने के लिए नई तकनीक से काम करने का प्रयास है। वंदे जलम अभियान के माध्यम से हमारा प्रयास जल पुनर्भरण और संरक्षण के महती लक्ष्य को जनसहयोग से प्राप्त करने का प्रयास रहेगा।
– पुष्यमित्र भार्गव, महापौर
केपटाउन में कुछ ही दिन का पानी बचा
दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर में पिछले तीन साल से चल रहा सूखा अब खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। यहां होने वाली पानी की बैठक से भारत जैसे देशों को सीख लेने की सख्त जरूरत है, क्योंकि शहर में सिर्फ कुछ दिन का पानी बचा है। इसके यहां डे-जीरो के तहत सभी नलों से पानी की सप्लाई बंद कर दी गई है। ऐसी स्थितियां हो गई हैं कि लोगों को सप्ताह में केवल दो बार संस्थानों और शौचालयों में फ्लैश के लिए मंजिल के पानी के उपयोग पर रोक लगा दी गई है।
बेंगलुरू में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग
पिछले साल कम बारिश और अब टेम्प्रेचर हाई होने के साथ कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पानी का संकट गहरा गया है। लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए परेशान हो रहे हैं। शहर की सडक़ों पर पानी के टैंकर दौड़ते नजर आ रहे हैं। मुश्किल हालात में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और कोचिंग सेंटरों ने भी आपात स्थिति की घोषणा करते हुए छात्रों से वर्चुअली कक्षाएं लेने को कहा गया है। आलम यह है कि कर्नाटक में 123 स्थानों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है और 109 स्थान गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
पानी की सप्लाई और डिमांड
- इंदौर शहर की कुल जनसंख्या: अनुमानित 30 लाख।
- अस्थायी जनसंख्या: अनुमानित 5 लाख।
- पानी की मांग: 150 एलपीसीडी (लीटर प्रति दिन/ प्रति व्यक्ति)
- इंदौर शहर में कुल पानी की खपत: 52.50 करोड़ लीटर/दिन अर्थात 525 एमएलडी
जल स्रोतों से प्राप्त जल की मात्रा
- नर्मदा योजना= 406 एमएलडी (फेस 1 और 2 = 101 एमएलडी + फेस 3= 305 एमएलडी)
- यशवंत सागर योजना= 30 एमएलडी
- बिलावली योजना = 9 एमएलडी
- कुल = 445 एमएलडी
- कुल मांग एवं आपूर्ति में अंतर = 525-445= 80 एमएलडी
- इंदौर शहर की कुल वर्षा: 945 मिमी (37.2 इंच)