स्वतंत्र समय, चेन्नई
चुनावों में वोट के बदले शराब ( Liquor ) बांटने की खबरें तो खूब सुनने और देखने को मिलती हैं, लेकिन अगर कोई पार्टी शराब को ही चुनावी मुद्दा बनाए तो क्या होगा। अगर राजनीतिक दल चुनाव जीतने पर लोगों को सस्ती शराब उपलब्ध कराने की बात करे तो चुनावी नतीजे क्या होंगे। शराब से जुड़ा चुनावी वादे का ताजा मामला आंध्र प्रदेश का सामने आया है। आंध्र प्रदेश में विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने सत्ता में आने पर शराब के शौकीन लोगों के लिए कम कीमत पर बेहतर गुणवत्ता वाली शराब उपलब्ध कराने का वादा किया है। टीडीपी ने सत्तारूढ़ युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी- वाईएसआरसीपी पर शराब की कीमतें बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा कि राज्य में शराब की क्वालिटी ठीक नहीं है। तेदेपा प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू ने अपने चुनाव अभियान के दौरान बार-बार सत्तारूढ़ दल पर यह आरोप लगाया है कि राज्य सरकार खराब गुणवत्ता वाली शराब की सप्लाई की जा रही है और बढ़ी हुई कीमतों से भारी मुनाफा कमा रही है। आंध्र में वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी 2019 में सत्ता में आई थी। उस समय राज्य सरकार ने आबकारी शुल्क से 17,000 करोड़ रुपए कमाए थे। 2022-23 में यह आमदनी बढक़र लगभग 24,000 करोड़ रुपए हो गई।
Liquor के मुद्दे पर नायडू ने सीएम रेड्डी पर साधा निशाना
राज्य में सरकारी स्वामित्व वाली दुकानें शराब की बिक्री करती हैं। नायडू ने मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने 2019 के चुनाव में सत्ता में आने पर शराब ( Liquor ) पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया था, लेकिन अब वह अपने वादे से पीछे हट गए हैं। उन्होंने कहा कि शराब सहित सभी वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं।
मैं शराब का जिक्र करता हूं तो हमारे भाई खुश होते हैं
नायडू ने कहा-जब मैं शराब का जिक्र करता हूं तो हमारे छोटे भाई खुश हो जाते हैं। वे चाहते हैं कि शराब की कीमतें कम की जाएं। यह जगन मोहन रेड्डी हैं, जिन्होंने कीमत 60 रुपए से बढ़ाकर 200 रुपए कर दी और 100 रुपए अपनी जेब में डाल लिए। नायडू ने एक चुनावी सभा के दौरान आरोप लगाया कि जगन सरकार खराब गुणवत्ता वाली शराब की आपूर्ति करके हमारे लोगों का स्वास्थ्य खराब कर रही है। उन्होंने वादा किया कि तेदेपा के सत्ता में आने के 40 दिन में न केवल गुणवत्तापूर्ण शराब उपलब्ध कराई जाएगी, बल्कि कीमतें भी कम की जाएंगी।