स्वतंत्र समय, भोपाल
मप्र में करीब 50 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का दावा करने वाली सरकार सिंचाई कर का किसानों ( farmers ) से 30 करोड़ रुपए भी वसूल नहीं पा रही है। टारगेट को पूरा करने एनटीपीसी और मप्र की बिजली कंपनियों सहित उद्योगों से तो जबरिया वसूली कर लेती है, लेकिन किसानों के मामले में पीछे हट जाती है। हालांकि वर्तमान में किसानों से 713 करोड़ रुपए जल कर का बकाया है। उधर, 30 हजार करोड़ से अधिक की सिंचाई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। जिससे अगले पांच साल में एक करोड़ हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता विकसित की जा सके।
farmers से सिंचाई कर की वसूली के लिए सख्ती नहीं
मप्र सरकार जीएसटी, आबकारी, माइनिंग तथा परिवहन आदि टैक्स से अपना खजाना भर लेती है, लेकिन जिन सिंचाई प्रोजेक्ट को पूरा करने हजारों करोड़ रुपए खर्च करती है, उनसे टैक्स नहीं वसूल पाती। जबकि जीएसटी और इनकम टैक्स में देरी या बचाने वालों से सख्ती से पैसा वसूल करती है। इनके यहां ईडी, आयकर आदि के छापे मारे जाते हैं, लेकिन किसानों ( farmers ) से सिंचाई कर की वसूली के लिए कभी सख्ती दिखाई नहीं देती। सिंचाई कर के रूप में सरकार को हर साल 500 से 600 करोड़ रुपए की टैक्स मिल पाता है। वह भी खासकर एनटीपीसी, पावर प्लांट और विद्युत वितरण कंपनियों के अलावा उद्योगों से सख्ती से वसूली की वजह से टारगेट पूरा हो जाता है, जबकि नगरीय निकाय, ग्रामीण पंचायतों से टैक्स मिलने में लेतलाली सामने आई है। वर्ष 2023-24 में फरवरी तक सरकार सिंचाई का 507 करोड़ 33 लाख रुपए ही वसूल सकी है।
किससे कितना पानी का टैक्स मिला
- उद्योगों से 71.69 करोड़, नगर निगम पेयजल से 2.32 करोड़।
- पालिकाओं से 6.57 करोड़, नगरपंचायत 26 लाख और पंचायत 2 लाख।
- विद्युत मंडल से 154.60 करोड़, पावर प्लांट 110.49 करोड़, एनटीपीसी 123.79 करोड़।
- सिंचाई के सबसे बडेÞ उपभोक्ता किसानों से 29.96 करोड़, बकाया 713 करोड़। किस क्षेत्र में कितना बकाया
क्षेत्र राशि करोड़ में
- चंबल बेतवा कछार 393.93
- गंगा कछार रीवा 959.47
- यमुना कछार ग्वालियर 244.46
- नर्मदा ताप्ती कछार 52.56
- जल संसाधन उज्जैन 66.42
- जल संसाधन नर्मदापुरम 253.57
- राजघाट सिंध परियोजना 61.56
- घसान केन सागर 105.01
- पुराना बकाया 1446.26
- 2023-24 टारगेट 824.09
- वसूल किया सिर्फ 509.55
(आंकड़े जल संसाध विभाग)