स्वतंत्र समय, भोपाल
हाई कोर्ट ( High Court ) की इंदौर खंडपीठ ने नेता प्रतिपक्ष एवं गंधवानी विधायक उमंग सिंघार सहित तीन विधायकों को नोटिस जारी कर पूछा है कि आपके खिलाफ अनियमितताओं के आरोप हैं, क्यों न आपका चुनाव शून्य घोषित कर दिया जाए। कोर्ट ने ये नोटिस तीनों विधायकों के खिलाफ दायर चुनाव याचिकाओं की शुक्रवार को सुनवाई करते हुए जारी किए हैं। जिन्हें नोटिस जारी किए गए हैं उनमें सिंघार के अलावा विधायक अरुण भीमावत और धार विधायक नीना वर्मा भी शामिल हैं। सिंघार के खिलाफ चुनाव याचिका भाजपा के सरदारसिंह मेढ़ा ने दायर की है। नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में सिंघार ने मेढ़ा को 22 हजार 119 मतों से पराजित किया था। याचिका में आरोप हैं कि चुनाव जीतने के लिए सिंघार ने अनुचित संसाधनों का इस्तेमाल किया। मतदाताओं को शराब और पैसा बांटकर उन्हें प्रलोभित किया। निर्वाचन आयोग के समक्ष प्रस्तुत शपथ पत्र में कई जानकारियां छुपाई गईं। मेढ़ा की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट निमेष पाठक ने बताया कि न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला ने आरंभिक तर्क सुनने के बाद सिंघार को नोटिस जारी कर दिया।
High Court का शाजापुर विधायक अरुण भीमावत को भी नोटिस
शुक्रवार को ही हाईकोर्ट ( High Court ) ने शाजापुर विधायक अरुण भीमावत को भी नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। भीमावत के खिलाफ चुनाव याचिका कांग्रेस के टिकट पर उनके सामने चुनाव लडऩे वाले हुकमसिंह कराडा ने एडवोकेट अभिनव धनोतकर के माध्यम से दायर की है। नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कराडा भीमावत से सिर्फ 28 मतों से चुनाव हार गए थे। चुनाव याचिका में कहा है कि मतगणना के दौरान 161 मत बगैर किसी आधार के निरस्त कर दिए गए थे। इन्हें निरस्त करने में अनियमितता की गई है। अगर ऐसा नहीं होता तो कराडा चुनाव जीत जाते।
आदेश का पालन नहीं किया
धार विधायक नीना वर्मा के खिलाफ दायर चुनाव याचिका में भी सुनवाई हुई। याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सुरेशचंद्र भंडारी ने दायर की है। याचिका में कहा है कि वर्मा के वर्ष 2013 में हुए निर्वाचन को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में प्रस्तुत याचिका को स्वीकारते हुए कोर्ट ने उनका निर्वाचन निरस्त कर दिया था। उस चुनाव याचिका में कोर्ट ने वर्मा को आदेश दिया था कि वे याचिकाकर्ता को 10 हजार रुपए वकील फीस और वाद व्यय के रूप में भुगतान करें। वर्मा ने यह भुगतान आज तक नहीं किया है। चुनाव याचिका में दिए गए आदेश जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत माने जाते हैं। इनका पालन नहीं करने की स्थिति में निर्वाचन निरस्त किया जा सकता है। वर्मा ने चुनाव याचिका में हुए आदेश का पालन नहीं किया, इसलिए उनका निर्वाचन निरस्त किया जाए। कोर्ट ने वर्मा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।