Roads of Bhopal: 15 महीने में पैदल चलने वाले 65 यात्रियों की चली गई जान

स्वतंत्र समय, भोपाल

राजधानी भोपाल की सड़कें ( Roads of Bhopal ) जानलेवा साबित हो रही हैं। राजधानी की सडक़ों पर खराब इन्फ्रास्ट्रक्चर और अतिक्रमण का खामियाजा 65 लोगों को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ा है। भोपाल में फुटपाथ वाली सडक़ें कम हैं। जहां फुटपाथ हैं वहां अतिक्रमण है। भोपाल ट्रैफिक पुलिस के ताजा विश्लेषण में सामने आया है कि राजधानी में बीते 15 महीनों में 221 लोग सडक़ हादसों में जान गंवा चुके हैं। ज्यादातर हादसे ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने, ओवरस्पीडिंग और सडक़ों के खराब इंजीनियरिंग के कारण हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 106 मौत दो पहिया वाहन चालकों की हुई हैं। 2022 में मौत का ये आंकड़ा 90 था।

सुप्रीम कोर्ट भी Roads of Bhopal पर निर्देश दे चुकी है

यह स्थिति तब है जब सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसों में कमी लाने और उनमें होने वाली मौतों को 50 फीसदी तक कम करने के निर्देश वर्ष 2015 में सभी राज्यों को दिए थे। भोपाल पुलिस कमिश्नरेट की ट्रैफिक पुलिस ने 2023 के आंकड़ों के साथ वर्ष 2024 के तीन महीनों को भी जोड़ा है। 2024 का ये तिमाही डेटा पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीटीआरआई) को भी भेजा जा रहा है। प्रदेश के सभी जिलों से आए ऐसे ही आंकड़ों के आधार पर पीटीआरआई पूरे साल का डाटा तैयार करता है। फिर शहरों के इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य तकनीकी माध्यमों को सुधारने की कवायद की जाती है। मकसद ये है कि सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों में कमी लाई जा सके।

दो पहिया वालों के 1700 हादसे

15 महीनों में दो पहिया वाहन चलाने वालों के साथ 1700 सड़क हादसे हुए हैं। इसमें 1516 लोगों को मामूली चोटें आईं और 80 लोग गंभीर जख्मी हुए। 106 लोगों की जान गई जिनमें दो साइकिल सवार भी थे। पलिस का कहना है कि हर सडक़ हादसे का अलग कारण होता है। इसकी मॉनिटरिंग थाना स्तर पर की भी जाती है। भोपाल में तेज रफ्तार में वाहन चलाना, ट्रैफिक नियमों का पालन न करना हादसों की वजह बनती है। एक बड़ी वजह शराब पीकर वाहन चलाना भी है, जिसमें ज्यादातर दो पहिया वाहन चालकों को नुकसान होता है।