76 सालों तक नहीं हुई थी Voting, पहली बार लोगों ने दबाया ईवीएम का बटन

स्वतंत्र समय, चांदामेटा

लाल आतंक के केंद्र बस्तर चांदामेटा गांव ने शुक्रवार को इतिहास रच दिया। आजादी के बाद पहली बार यहां लोकसभा चुनाव में वोटिंग ( Voting ) हुई। कभी नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले इस गांव में लोकसभा के पहले चरण में 162 महिलाओं समेत 325 पंजीकृत मतदाताओं ने पहली बार लोकसभा उम्मीदवार चुनने के लिए मतदान किया। गौरतलब है कि चांदामेटा में सुरक्षाकर्मियों द्वारा एक शिविर स्थापित करने से निवासियों को अपनी सुरक्षा का भरोसा मिला। वे बिना किसी डर के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने के लिए घर से बाहर निकले।

चांदामेटा के लोगों ने पहली बार अपनी उंगलियों पर लगवाई Voting स्याही

इस गांव में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी। चांदामेटा के गांव के लोगों के साथ-साथ कुछ पड़ोसी गांवों के लोगों ने भी अपनी उंगलियों पर पहली बार चुनावी स्याही लगवाई। यहां पर वोटिंग ( Voting ) दोपहर तीन बजे समाप्त हुई। ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी और मतदान अधिकारियों को ईवीएम के साथ सुरक्षित वापस बेस तक जाते दिखे। इससे पहले, शुक्रवार को बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) पी सुंदरराज ने कहा कि लोगों को पूरे उत्साह और आत्मविश्वास के साथ मतदान केंद्रों के बाहर पहुंचते और कतार में खड़े होते देखा गया, वोटरों के चारों ओर तीन-स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया था। राज्य के 11 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से बस्तर एकमात्र ऐसा क्षेत्र था, जहां शुक्रवार को आम चुनाव के पहले चरण में मतदान हुआ। आईजी पी सुंदरराज ने बताया, ‘आम चुनाव के पहले चरण में बस्तर में मजबूत और सुरक्षित मतदान संपन्न हुआ। स्थानीय लोग पूरे आत्मविश्वास और बिना किसी डर के मतदान केंद्रों तक पहुंचे। तीन-स्तरीय क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था की गई थी और सीमावर्ती क्षेत्रों में अतिरिक्त बलों को भी तैनात किया गया था, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा के विशेष बलों ने हमें सुरक्षा बनाए रखने में मदद की। चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शुरुआती चरण के लिए कुल 1.87 लाख मतदान केंद्र बनाए गए थे, जबकि मतदान के लिए जाने वाले 102 निर्वाचन क्षेत्रों में 18 लाख सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे।