स्वतंत्र समय, भोपाल/नागपुर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के सौ वर्ष 2025 में पूरे हो जाएंगे। अब तक जानकारी मिल रही थी कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस शताब्दी वर्ष को बहुत भव्य तरीके से मनाने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत भव्य कार्यक्रमों का आयोजन तय हुआ था। शताब्दी वर्ष में संगठन के बड़े विस्तार की भी योजना बनाई गई थी, जिसमें इसकी शाखाओं की संख्या को बढ़ाकर एक लाख तक करने की योजना थी, लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि संघ ने अपने शताब्दी वर्ष पर बड़े और भव्य कार्यक्रमों की योजना को फिलहाल टाल दिया है।
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बयान दिया
स्वयं आरएसएस ( RSS ) प्रमुख मोहन भागवत ने इससे संबंधित एक बयान नागपुर में दिया है। बड़ा प्रश्न यही है कि क्या संघ ने शताब्दी वर्ष पर होने वाले सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है? यदि ऐसा है तो संघ ने यह निर्णय क्यों लिया है? अब शताब्दी वर्ष को लेकर संघ की योजना क्या है? यदि शताब्दी वर्ष मनाया जाएगा तो इसका स्वरूप क्या होगा? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस पर खुलकर अपनी प्रतिक्रिया दी है और इस मुद्दे पर फैलाए जा रहे सभी भ्रमों को दूर कर दिया है। दरअसल, 18 अप्रैल को एक कार्यक्रम में नागपुर पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना शताब्दी वर्ष नहीं मनाएगा। वह अपनी कुछ उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने के लिए इस अवसर का उपयोग नहीं करना चाहता है। ऐसा वह अहंकार न बढ़ाने के लिए कर रहा है।
RSS का लोकसभा चुनाव के बीच फैसला समझ से परे
17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को समाप्त होने जा रहा है और 18वीं लोकसभा का गठन होने जा रहा है। इसके लिए देश में 7 चरणों में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को हो चुकी है और दूसरे चरण की 26 अप्रैल को होना है। इस बीच संघ प्रमुख द्वारा शताब्दी वर्ष नहीं मनाने का फैसला किसी के गले नहीं उतर रहा। खासकर चुनाव के बीच इस निर्णय को लेकर आने वाले परिणामों से भी इसे जोडक़र देखा जा रहा है। संघ ने यदि मेगा प्लान स्थगित कर दिया है तो क्या वह छोटे स्तर पर शताब्दी वर्ष मनाएगा। इस पर अभी संशय की स्थिति बनी हुई है।
राम मंदिर निर्माण संघ की सबसे बड़ी उपलब्धि
दरअसल, लोग मानते हैं कि एक संगठन के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी स्थापना के सौ साल में बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। इसमें अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा अपनी विचारधारा के राजनीतिक दल भाजपा को केंद्र की सत्ता तक पहुंचने में सहायता प्रदान करना, जनता के बीच सनातन धर्म-संस्कृति को बढ़ावा देना और लोगों के मन में हिंदू राष्ट्र की भावना को लेकर गौरव भाव पैदा करना अहम है। संघ का उद्देश्य समस्त हिंदू समुदाय को एक सूत्र में पिरोने के लिए दिन रात कार्य करना है। आज भी संघ जाति, वर्ग भेद को दूर करने और व्यक्ति निर्माण से समाज निर्माण को करने के अपने उद्देश्य में लगा हुआ है।