लेखक
संजय गोस्वामी
मुख्य चुनाव आयुक्त ने 2024 के लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) कार्यक्रम की घोषणा की, जो 19 अप्रैल से 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सात चरणों में होगा। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में सभी सात तारीखों पर मतदान होगा, जबकि जम्मू और कश्मीर में पांच चरणों में मतदान होगा, सात जिलों में मतदान की प्रक्रिया 19 अप्रैल क़ो खत्म हो गई और 1 जून तक सभी सात जिलों में मतदान पूरा हो जाएगा। पूरे देश में वोटों की गिनती 4 जून को होगी। 4 जून दोपहर तक नई सरकार की तस्वीर लगभग साफ हो जाएगी। सत्ता की चाभी विशेषकर महत्वाकांक्षी युवा मतदाताओं के हाथ में लगती दिख रही है। सभी प्रमुख राजनीतिक दल युवाओं को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। दो
दो Lok Sabha Elections में युवा नरेंद्र मोदी के साथ रहा
दरअसल, युवा मतदाताओं की मुखरता नतीजों में झलक रही है। पिछले दो लोकरसभा चुनावों ( Lok Sabha Elections ) में वह युवा मतदाताओं यानी नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के साथ रहे हैं। हालांकि, जिन देशों में क्षेत्रीय दल और सरकारें सत्ता में रही हैं, उनमें युवाओं ने क्षेत्रीय दलों को प्राथमिकता दी है। इसका कारण यह नहीं है कि युवा भाजपा के समान ही हैं, बल्कि युवा, राष्ट्रवाद और राजनीतिक दलों का स्तर भी अलग-अलग स्तर पर देखा गया है। युवा और महिला मतदाताओं ने वोट देने की पहल की है और इसमें कोई संदेह नहीं है, 2009 और 2014 के चुनावों में महिलाएं और युवा भाजपा के लिए मजबूत मतदाता पाए गए हैं। हमारा लोकतंत्र दुनिया का सबसे जटिल लोकतंत्र है। मतदाताओं की बहुसंख्यक आबादी, विविधताएं और भौगोलिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक परिस्थितियां बेहद गंभीर हैं, खासकर चुनाव आयोग और चुनाव आयोग के लिए। लेकिन हमें गर्व है कि हमारा चुनाव आयोग और चुनाव प्रणाली दुनिया के देशों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। दुनिया, उसके देश और हमारी सरकार व चाहतों पर नजऱ रहती है।
पहले चुनावों ने देश में पर्यटन को भी बढ़ावा दिया है और दुनिया भर के लोग हमारे चुनावों और मतदान के साथ-साथ मतगणना में भी रुचि रखते हैं। वे देखने और समझने आते हैं। पूरी दुनिया, देशों की नजऱ हमारे सपनों पर रहती है। यहां खास बात यह है कि चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी, सरल और मतदाता अनुकूल बनाने के लिए लगातार प्रयास किये हैं। प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ निष्पक्ष एवं पारदर्शी व्यवस्था भी होनी चाहिए, इसलिए प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा बंद व्यवस्था की आलोचना की गई है। मतदाता मतदान आसान, सुलभ हो गया है और राजनीतिक दलों या अन्य बाहरी प्रभावों पर मतदाताओं की निर्भरता समाप्त हो गई है। जबकि दुनिया के अन्य देशों में लोकतंत्र समान है, हमारे इंडिया में कुल मतदाताओं की तुलना में 18 से 29 वर्ष के आयु वर्ग के मतदाता अधिक हैं। इसके अलावा 26 से 35 वर्ष तक के मतदाता भी युवा और युवा वर्ग की श्रेणी में आते हैं।
हमारे देश में विश्व के सबसे अधिक मतदाता संख्या वाले देशों की कुल संख्या से भी अधिक मतदाता हैं। इस साल 18वीं विधानसभा के लिए होने वाले मतदान में 98.6 फीसदी मतदाता हिस्सा लेंगे, जबकि यूरोपीय संघ में 40 फीसदी, इंडोनेशिया में 20.4 फीसदी, अमेरिका में 16 फीसदी और पाकिस्तान में 12.8 फीसदी मतदाता होंगे। वह एक बिगड़ैल वोटर हैं। जो धर्म के नाम पर चुनाव का नतीजा तय करती है खैर, यह अलग बात थी, लेकिन लोकसभा में पहले दो मुकाबलों के नतीजों से यह साफ हो गया कि युवाओं ने जिस पर भरोसा जताया, वही सरवेरा बन गया। दिलचस्प बात यह है कि युवाओं और महिलाओं में यह विश्वास ही नई सरकार की कुंजी है, खासकर भारत सरकार को मजबूत करने में युवाओं और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी। रहा है। चुनाव आयोग द्वारा जारी नतीजों के मुताबिक, 18वीं लोकसभा के चुनाव में 543 सीटों के लिए 96.8त्न पंजीकृत मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें से 82 लाख नए पंजीकृत मतदाता हैं, 47.15 लाख महिला मतदाता हैं और 49.7 नए पंजीकृत मतदाता हैं। जहां 17वीं लोकसभा चुनाव में लगभग 1.5 प्रतिशत नए मतदाता या पहली बार मतदाता थे, वहीं 18वीं लोकसभा चुनाव में 1.82 प्रतिशत नए मतदाता या पहली बार मतदाता थे। वे क्या उपयोग करेंगे?
दूसरे, पिछले लोकसभा चुनाव में युवाओं को दो श्रेणियों यानी 18 से 25 साल और 26 से 35 साल में बांटकर वोटिंग प्रतिशत का आकलन और विश्लेषण किया गया था। बात यह है कि युवाओं में, समाज के दोनों वर्गों में भाजपा और कांग्रेस की तुलना में मतदान का अंतर बहुत अधिक था। 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 से 25 साल के 44 फीसदी युवाओं ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को वोट दिया, जबकि 26 से 35 साल के 46 फीसदी युवाओं ने बीजेपी पर भरोसा जताया। दिलचस्प बात यह है कि दोनों आयु वर्ग में 26-26 फीसदी मतदाताओं ने ब्रिटिश प्रेस पर भरोसा जताया, जबकि 28 से 30 फीसदी युवाओं ने दूसरी पार्टियों पर भरोसा जताया। लेकिन अलगयुवा युवाओं के बीच कांग्रेस और बीजेपी के बीच विश्वास को लेकर कोई बड़ी बात नहीं है और यहां बताया गया है कि वे बीजेपी और नरेंद्र मोदी को क्यों पसंद करते हैं? क्योंकि वो मजबूत चेहरा के रूप में श्री नरेंद्र मोदीजी और उप्र के मुख्य मंत्री योगीजी उभरे हैं।
2019 में वोट बंटवारे से यह भी स्पष्ट हो गया कि विपक्षी दलों में बिना पेंदी के लोटा जैसा है और सभी पार्टियों के मन में प्रधानमंत्री का सपना है । चाहे युवा हों, महिलाएं हों या नए मतदाता हों, तीनों ही श्रेणियों में बीजेपी को कांग्रेस के मुकाबले बहुत ज्यादा समर्थन मिला है। क्योंकि कांग्रेस परिवारवाद से ऊपर नहीं उठ रही है और जिस तरह श्री राहुल गाँधी की भाषा पब्लिक के सामने आई है वो नहीं चाहती है देश और भी संकट में जाए इससे यह स्पष्ट होता है कि 2024 का चुनाव युवाओ और महिलाओ के कारण दिशा तय करेंगी इस शताब्दी के पूर्वार्ध में अनुमानित जनसंख्या वृद्धि चुनौतीपूर्ण है। अनुमान के आधार पर, मध्य शताब्दी तक 9 से 10 अरब लोग होंगे। वर्तमान जनसंख्या केवल 7 अरब से कम है, जिसका अर्थ है कि इस सदी की शुरुआत से मध्य तक लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि होगी। कोई विशेष मॉडलों की सापेक्ष सटीकता पर बहस कर सकता है, लेकिन वे सभी इस बात से सहमत हैं कि आने वाले दशकों में खिलाने के लिए कई और अधिक मुंह होंगे। आईटी ने मानव प्रयास के कई अन्य पहलुओं को बदल दिया है और व्यापक सामाजिक आवश्यकताओं का जवाब देने के लिए सिस्टम बनाने में मदद की है।
दरअसल, परिवहन, संचार, राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रणालियाँ बुनियादी कार्यों को करने के लिए भी पूरी तरह से आईटी पर निर्भर हैं। हालाँकि, सूचना और इसके स्वचालित तकनीकी अवतार ने कृषि को समान स्तर पर प्रभावित नहीं किया है। कृषि का महत्व कृषि एक प्रमुख क्षेत्र है जो आधुनिक मनुष्य के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। पौधे खाद्य श्रृंखला में उत्पादक हैं, और उनके बिना, जीवन चक्र संभव नहीं होगा। कृषि उपज, हालांकि अन्य खाद्य स्रोतों की तुलना में अच्छा है या खराब ये किसान आंदोलन से नहीं किसानों के वोट तय करेंगे किसान अपने फसलों का उपयोग कई खाद्य स्रोतों को स्वयं या उप-उत्पादों जैसे ब्रेड, पाउडर, अन्य वस्तुओं में कार्बनिक योजक आदि के माध्यम से उत्पादित करने के लिए किया जाता है। कृषि से प्राप्त उपज एक देश से दूसरे देश में व्यापार को बढ़ाती है, किसानों के लिए आय लाती है, अन्यथा बेकार पड़ी भूमि का उत्पादक उपयोग करती है, और मेज पर भोजन लाती है। यह हर किसी के दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, हालांकि इसे प्रत्यक्ष कारक के रूप में नहीं देखा जा सकता है क्योंकि उपज उन सभी के हाथों तक पहुंचने से पहले एक लंबा रास्ता तय करती है जो इससे लाभान्वित होते हैं। भारतीय कृषि भारत की जीडीपी में 18.6 प्रतिशत का योगदान देती है और लगभग 59 प्रतिशत भारतीय कृषि क्षेत्र से अपनी आजीविका प्राप्त करते हैं। समाज के लिए इसके महत्व के कारण, इसे समय के साथ विकसित होना चाहिए और आधुनिक लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए समायोजित होना चाहिए।
कृषि प्रगति को बेहतर बनाने में मदद के लिए आईटी को अपनाने और उसका उपयोग करने से, इन क्षेत्रों के मिलन से सभी को लाभ होता है। एक उल्लेखनीय उदाहरण के रूप में हमारे राज्य ने पिछले पांच वर्षों में चौथी बार प्रतिष्ठित कृषि कर्मण पुरस्कार जीता है। यह किसानों और अन्य हितधारकों के लिए प्रौद्योगिकियों की मदद से अधिक रुचि लेने का उदाहरण स्थापित करता है। ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल को युवाओं और महिलाओं को अपने गुस्से से रुलाना होगा। उन एजेंडों को चुनाव घोषणापत्रों में इस तरह रखना होगा कि युवा मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके। बीजेपी जहां 370 और 400 की बात कर रही है, वहीं पश्चिम बंगाल, वेस्ट व साउथ में एक-दूसरे से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। वह बीजेपी को सत्ता से बाहर करने का ही लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ सालों से सत्ताधारी पार्टियां ने जनाधार खोकर फिर बापसी भी की है जहाँ उन्होंने कर्नाटका और हिमाचल खोया वहीँ हार से सबक लेकर राजस्थान, मप्र, और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की है हाशिए पर जा रही हैं, ऐसे में बीजेपी या नरेंद्र मोदी का उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना कोई कोरी कल्पना नहीं लगती। है।
अब युवावस्था और परिपक्वता पर संदेह करना बेमानी होगा। इसलिए अब युवा क्रांतिकारियों के जाल में नहीं फंसने वाले हैं, ऐसे में कोई ठोस रणनीति ही युवाओं को प्रभावित कर उनका सर्वेक्षण कर सकेगी। इसलिए, प्रिय युवाओं, कृपया समझ लें कि वे आगामी लोकसभा की तस्वीर बनाएंगे और 18वीं लोकसभा की सत्ता पूरी तरह से युवाओं के हाथ में है और युवा ही अपने दम पर सत्ता की सीढिय़ां पार करते हैं। इसे एक अच्छा संकेत भी माना जा सकता है कि देश की युवा पीढ़ी मुखर हो रही है और अपनी भावनाओं में परिपक्वता का पक्ष रख रही है। ऐसे में राजनीतिक दलों और ठोस मुद्दों को आगे आना होगा तभी युवा मतदाता अपना मन बना सकें इसलिए, राजनीतिक दलों और युवाओं में दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बहुत उत्साहित है राजनीतिक दलों, बाएँ, दाएँ, बाएँ और दाएँ को इसका और विशेषकर युवाओं का समर्थन करने के लिए बड़े बड़े उपाय करने होंगे। इसमें कोई दो राय नहीं हैं,कि 18वीं लोकसभा की सत्ता पूरी तरह से युवाओं के हाथ में है और युवा ही अपने दम पर सत्ता की सीढिय़ां पार करते हैं। इसे एक अच्छा संकेत भी माना जा सकता है कि देश की युवा पीढ़ी मुखर हो रही है और अपनी भावनाओं में परिपक्वता का पक्ष रख रही है। ऐसे में राजनीतिक दलों और ठोस मुद्दों क़ो लेकर आगे आना होगा इसमें वर्तमान सरकार की मेक इन इंडिया व स्टार्टअप से युवाओ में नए भारत क़ो मजबूत बननाए जो समय लगेगा लेकिन संकल्प है और उमंग है और जोश से लबलब और तकनिकी से लैस हों तभी युवा मतदाता अपना मन एक नए भारत की दिशा क़ो आगे लें जा सकेंगे और ऐ तभी संभव है जब देश आतंकवाद व नक्सलवाद से मुक्त होगा और शांति की राह पर तगड़ा कानून से लैस होगा।
(ये लेखक के स्वतंत्र विचार हैं)