आओ हम Indore को भ्रष्टाचार में नंबर-1 बनाएं

स्वतंत्र समय

इंदौर ( Indore ) के ही ख्यात लेखक शरदचंद्र जोशी ने वर्षों पहले यह लिख दिया था कि ‘हम भ्रष्टन के, भ्रष्ट हमारे’। शायद उनकी दशकों पुरानी बात इंदौर के संदर्भ में लिखी गई जो अब स्वच्छता की तरह सफाई में नंबर-1 बनने के बाद भ्रष्टाचार के मामले में भी देश में नंबर-1 बनता जा रहा है। यही हालात रहे तो स्वच्छता की तरह इंदौर को भ्रष्टाचार में भी नंबर-1 का खिताब मिलेगा, जो मिलने के बाद राजनेता और अफसर मुंह छिपाने की बजाय जश्न मनाने में व्यस्त रहेंगे।

Indore में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला

नगर निगम इंदौर ( Indore ) में हुए अब तक के आंकड़ों के अनुसार 100 करोड़ से ज्यादा के ड्रेनेज विभाग के घोटाले ने इंदौर के नाम के आगे चार चांद लगा दिए हैं। अकेले नगर निगम के भ्रष्टाचार की बात करें तो लालू यादव के चारा घोटाले से छोटा घोटाला यह नहीं है। मां अहिल्या के शहर में घोटालों के रिकार्ड टूटेंगे, यह कभी किसी ने सोचा भी नहीं था। ‘न मैं खाऊंगा, न खाने दूगा’ के नारे के बाद अब इंदौरियों ने एक नया नारा दिया है, ‘हम खाएंगे, किसी को खाने नहीं देंगे’। बाकी विभाग की बात छोड़े और सिर्फ नगर निगम की बात करें तो मुंबई नगर पालिका के भ्रष्टाचार के भी सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। कोरोना से ज्यादा खतरनाक इस भ्रष्टाचार के मामले में बस यही कहा जा सकता है कि इतना बड़ा घोटाला क्या बड़े अफसरों से लेकर नेताओं की जानकारी के बिना हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस नगर निगम में वेतन बांटने के लाले पड़ रहे हों, असली ठेकेदारों को पैसा नहीं मिलने के कारण जिस शहर में आत्महत्या करना पड़ती है। उस शहर में ंफर्जी ठेकेेदार, अफसरों के साथ मिलकर फर्जी फाइलें बना लेते हैं।

Indore में हुए घोटाले पर जनता की चर्चा

फर्जी फाइलों के आधार पर ठेकेदारों को पैसा भी मिल जाता है। उस शहर के बारे में अब बिना भ्रष्टाचार के कोई काम होगा, ऐसा कहना मुश्किल है। जहां हर मकान, दुकान, कालोनी, मल्टी और शॉपिंग मॉल अवैध रोज बन रहे हैं, वहां भ्रष्टाचार के अवसर हर सेकेंड बनते जा रहे हैं। जिस नगर निगम में ठेकेदारों को पैसा लेने के लिए कमीशन देना पड़ता हो, उस नगर निगम की बात करना बेमानी है। सिस्टम में भ्रष्टाचार नहीं है, भ्रष्टाचार सिस्टम से हो रहा है। इतना बड़ा घोटाला सामने आने के बाद आम जनता बातचीत के दौरान कह रही है कि…

  • क्या ऐसे अफसर और नेताओं को सजा नहीं मिलना चाहिए?
  • क्या गुंडों की तरह उनके मकान नहीं तोडऩा चाहिए?
  • इतना बड़ा घोटाला उजागर होने के बाद भी क्या इस मामले की जांच सीबीआई से नहीं कराना चाहिए?
  • जो ठेकेदार फरार हो गए हैं, क्या उनकी संपत्ति जब्त नहीं कर लेना चाहिए?
  • क्या फरार ठेकेदारों के मकान नहीं तोड़ देना चाहिए?
  • क्या ऐसे ठेकेदारों को रासुका में बंद नहीं करना चाहिए?

भ्रष्टाचार की अमरबेल Indore को खत्म करके ही मानेगी

घोटाले की परतें इंदौर (Indore ) की सड़कों के गड्ढों की तरह खुलती जा रही है। सड़ांध मारता हुआ घोटाला सिर चढक़र बोल रहा है लेकिन सफाई करने को कोई तैयार नहीं है। जांच के नाम पर लंबे समय तक मामले को टाला जाएगा, ठेकेदार भी थोड़े समय बाद सडक़ों पर खुलेआम या नेताओं के साथ होर्डिंग पर टंगे हुए दिखेंगे, इन ठेकेदारों की पार्टियों में अफसर और नेता जश्न मनाएंगे। सवाल इस बात का उठता है कि इंदौर की जो जनता इमानदारी से संपत्ति कर और जल कर देती है, उस जनता का पैसा नगर निगम की फैक्ट्री में भ्रष्टाचार को जन्म देता रहेगा। जिस शहर में लोग पानी की टंकी में सड़ी हुई लाश का पानी पीने के बाद भी खामोश रहे, उस शहर में जब तक जनता आंदोलन नहीं होगा, भ्रष्टाचार की अमरबेल इंदौर को खत्म किए बिना नहीं मानेगी। अब तो ऐसे भ्रष्टाचारियों के लिए यह कहना भी दुर्भाग्यपूर्ण रहेगा कि ‘शर्म आ रही हो तो चुल्लू भर पानी में डूब मरो’।

इंदौर को भ्रष्टाचार की नगरी बनाने में अपना योगदान दें

इंदौर खाने-पीने वालों का शहर है, यहां लोगों को जीमने से मतलब है, फिर भले ही गुंडा, बदमाश, बलात्कारी, हत्यारा, लुटेरा, सटोरिया या जेबकट बुलाए, लोग लाइन लगाकर जीमने चले जाते हैं। लोगों को इस बात से काई मतलब नहीं रहता है कि हम जिसके यहां खाने जा रहे हैं वह कौन है? हमें जो खिला रहा है, उसने कितने लोगों के घर बर्बाद किए हैं, समाज का कितना नुकसान किया है। देश-प्रदेश और इंदौर को कितना बर्बाद किया है। हम तो बस, इसका इंतजार करते हैं कि कोई जीमने बुलाए और दौड़े चले जाते हैं। आओ हम सब बातें भूल जाएं और इंदौर को अहिल्याबाई की नगरी की जगह भ्रष्टाचार की नगरी बनाने में अपना योगदान दें। जय हिंद…
-बातुना