स्वतंत्र समय, भोपाल/धार
मध्य प्रदेश के धार की भोजशाला ( Dhar Bhojshala ) का लगातार सर्वे जारी है। सर्वे का 37वें दिन शनिवार को एएसआई की टीम सुबह से ही सर्वे में जुटी हुई थी। साथ ही हिंदू मुस्लिम पक्षकार और मजदूर भी भोजशाला में मौजूद हैं। लेटेस्ट अपडेट में भोजशाला से उत्खनन के दौरान एक प्रतिमा मिली है जो कि खंडित अवस्था में है। वही सर्वे के तहत यहां कई प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं।
29 को हाईकोर्ट में पेश करना है Dhar Bhojshala की सर्वे रिपोर्ट
धार भोजशाला ( Dhar Bhojshala ) में एएसआई सर्वे टीम द्वारा उत्खनन, मेजरमेंट, मैपिंग, स्केचिंग, वीडियोग्राफी-फोटोग्राफी सहित अन्य कई कार्य किए जा रहे हैं। वहीं सर्वे को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि भोजशाला से उत्खनन के दौरान एक खंडित प्रतिमा मिली है जो की सनातन धर्म से जुड़ी हुई है। वहीं उन्होंने बताया कि 29 अप्रैल को एएसआई की टीम को इंदौर हाईकोर्ट में सर्वे की रिपोर्ट पेश करना है, इसलिए एएसआई की टीम रिपोर्ट बनाने का काम भी कर रही है । वहीं मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने बताया कि उत्खनन के दौरान जो खंडित प्रतिमा मिली है वह गौतम बुद्ध की है। एक प्रतिमा गौतम बुद्ध की पहले भी मिल चुकी है और यह दूसरी प्रतिमा है। इस प्रकार कुल 2 प्रतिमाएं गौतम बुद्ध की यहां से मिल चुकी है। उन्होंने बताया कि हिंदू मुस्लिम दोनों ही पक्षकारों के समक्ष इस प्रतिमा की फोटोग्राफी वीडियोग्राफी भी की गई है।
कोर्ट ने 6 हफ्ते का समय दिया था
मालूम हो कि भोजशाला ( Dhar Bhojshala ) में हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश के बाद 22 मार्च से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वे का काम जारी है। कोर्ट द्वारा टीम को 6 हफ्ते का समय दिया गया था। इसमें अब महज 6 दिन बाकी रह गए हैं। बता दें कि बीते महीने 22 मार्च को धार की भोजशाला में सर्वे शुरू हुआ था। वाराणसी की ज्ञानवापी की तरह ही भोजशाला में सर्वे किया जा रहा है। मुस्लिम पक्ष ने 22 मार्च को ही सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और उन्होंने सर्वे पर रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम निर्देश में 1 अप्रैल कहा कि सर्वेक्षण के नतीजे के आधार पर उसकी अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि विवादित स्थलों पर कोई भौतिक खुदाई नहीं की जानी चाहिए, जिससे इसका स्वरूप बदल जाए।