स्वतंत्र समय, गाजीपुर
यूपी की गाजीपुर लोकसभा सीट पर इस समय सबकी नजरें हैं। इसकी वजह है सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी ( Afzal Ansari )। अफजाल माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं। 2019 के चुनाव में अफजाल अंसारी ने सपा-और बसपा गठबंधन के तहत चुनाव लडक़र बीजेपी के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को हराया था। इस बार वो फिर से गाजीपुर से ताल ठोंक रहे हैं। हालांकि, अब उनके चुनाव प्रचार में एक और शख्स की एंट्री हो गई है। जिसको लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
Afzal Ansari की बेटी हैं नुसरत अंसारी
दरअसल, ये शख्स कोई और नहीं बल्कि अफजाल ( Afzal Ansari ) की बेटी नुसरत अंसारी हैं जो कि गाजीपुर में घूम-घूम कर अपने पिता के लिए वोट मांग रही हैं। नुसरत के डोर टू डोर कैंपेन के चलते अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर अफजाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगता है और वो चुनाव नहीं लड़ पाते हैं तो उनकी बेटी नुसरत गाजीपुर से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। सामने आई तस्वीरों में नुसरत जहां सपा कार्यालय में अफजाल अंसारी और सदर विधायक जैकिशन साहू के साथ मंत्रणा करती दिख रहीं हैं, वहीं डोर टू डोर प्रचार करती भी दिख रहीं हैं। नुसरत अंसारी चुनाव प्रचार के दौरान शिव मंदिर में पूजा और महिलाओं संग कीर्तन करती भी नजर आ रहीं हैं।
जमानत मिली, सजा से राहत नहीं
गौरतलब है कि अफजाल अंसारी को 29 अप्रैल 2023 को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से गैंगस्टर मामले में 4 साल की सजा हुई थी और उनकी संसद सदस्यता रद्द हो गई थी। सजा के खिलाफ अफजाल ने इलाहाबाद हाइकोर्ट में अपील की, जहां से उनको जमानत तो मिली पर सजा से राहत नहीं मिली। इसके बाद अफजाल अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी संसद सदस्यता बहाल कर दी। साथ ही उनको चुनाव लडऩे के योग्य करार दिया और इलाहाबाद हाइकोर्ट को 30 जून 2024 तक मामले का निस्तारण का आदेश दिया। अब हाइकोर्ट में 2 मई को इस मामले में सुनवाई होनी है और गाजीपुर में 7 मई से नामांकन शुरू होना है।
हॉट सीट बन गई है गाजीपुर
मालूम हो कि हाल ही में माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो जाने की वजह से गाजीपुर सीट चर्चा के केंद्र में हैं। मुख्तार की मौत के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी अंसारी बंधुओं के आवास ‘फाटक’ जा चुके हैं। इस सीट पर बीजेपी ने पारस नाथ राय को मैदान में उतारा है। पारस नाथ राय को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और गाजीपुर के पूर्व सांसद मनोज सिन्हा का करीबी माना जाता है।
तो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे अफजाल
ऐसे में यदि अफजाल अंसारी की सजा हाइकोर्ट से बहाल हो जाती है तो वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। यदि सुनवाई टलती है और अफजाल चुनाव लड़ते हैं तब भी उनके ऊपर सजा की तलवार लटकती रहेगी। इसीलिए कयास लगाया जा रहा है कि अफजाल चुनाव में अपनी बेटी नुसरत को उतार सकते हैं। नुसरत का सपा कार्यालय पर आना और चुनाव प्रचार में शामिल होना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि, अफजाल अंसारी इस मामले पर कुछ बोलने से बच रहे हैं। मगर नुसरत का सामने आना बहुत कुछ बयां कर रहा है। इन सबको देखते हुए गाजीपुर की चुनावी लड़ाई काफी दिलचस्प हो गई है। देखने वाली बात होगी कि इस बार गाजीपुर में कमल खिलता है या फिर साइकिल दौड़ती है। फिलहाल, नुसरत को चुनाव प्रचार करते देख ऐसा माना जा रहा है कि अफजाल अपनी बेटी नुसरत को राजनीतिक विरासत सौंप सकते हैं।