Kubereshwar Dham: रुद्राक्ष लेने आये दो हजार से ज्यादा श्रद्धालु बीमार, एक महिला की मौत तीन लापता
Kubereshwar Dham: मनुष्य का मरना मुझे उतनी चोट नहीं पहुंचाता जितनी कि मनुष्यत्व की मौत – शरतचंद्र
Kubereshwar Dham सीहोर। मध्यप्रदेश में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के सीहोर स्थित Kubereshwar Dham में रुद्राक्ष महोत्सव के पहले दिन गुरुवार को भारी भीड़ के चलते हालात बेकाबू नजर आए। रुद्राक्ष लेने के चक्कर में कई बार भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। अचानक तबीयत खराब होने से एक महिला की मौत हो गई।
जबकि तीन महिलाएं लापता हो गई हैं। कई श्रद्धालुओं ने बताया कि भीड़ में धक्कामुक्की हुई। जिससे महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी का सामना करना पड़ा। ये भी शिकायत की गई कि रुद्राक्ष को फेंका जा रहा था। कई लोगों ने कहा कि धक्कामुक्की और भगदड़ जैसे हालात बनने पर रुद्राक्ष बांटना बंद कर दिया गया। कई लोग बिना रुद्राक्ष लिए ही अपने घर को लौट गए।
श्रद्धालुओं ने ये भी शिकायत की है कि उन्हें पीने का पानी तक नसीब नहीं हुआ। बाथरूम पर भी लॉक लगे थे। ना ही पार्किंग की व्यवस्था अच्छी रही। मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक भीड़ इतनी थी कि पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा था। रुद्राक्ष पाने में नाकाम लोग पंडित मिश्रा के खिलाफ नारे लगाते हुए लौटते नजर आए। गुरुवार को यहां करीब 10 लाख लोगों के मौजूद होने का अनुमान लगाया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी रुद्राक्ष महोत्सव में जाने वाले थे, लेकिन उनका दौरा निरस्त कर दिया गया।
Kubereshwar Dham:चक्कर खाकर गिरी महिला की मौत
मंडी थाना की धर्म सिंह वर्मा ने बताया कि महाराष्ट्र के नासिक के मालेगांव से आई मंगला बाई (50) की तबीयत अचानक खराब हो गई। उसे चक्कर आया और वह गिर पड़ी और उसकी मौत हो गई। इधर छत्तीसगढ़ के भिलाई, राजस्थान के गंगापुर और महाराष्ट्र के बुलढाणा की रहने वाली तीन महिलाएं लापता हो गई हैं। बिना रुद्राक्ष लिए ही लौटे कई श्रद्धालु हैदराबाद से सीहोर के कुबेरेश्वर धाम आई एक महिला ने बताया कि यहां कुछ भी व्यवस्थाएं नहीं थी।
पीने का पानी तक नहीं था। बाथरूम में लॉक लगाकर रखा था। बुजुर्ग लोग दबे जा रहे थे। रुद्राक्ष को फेंका जा रहा था। जिस रुद्राक्ष की पूजा की जाती है उसे कोई ऐसे फेंकता है क्या? पूरी पब्लिक परेशान हो रही है। हम खुद यहां 4 दिन से परेशान हो रहे हैं।जब बोला था कि 16 फरवरी से रुद्राक्ष बांटे जाएंगे तो फिर एक दिन पहले ही रुद्राक्ष क्यों बांटे गए। अब हम बिना रुद्राक्ष लिए यहां से जा रहे हैं। हर साल ऐसा ही करते हैं महाराज जी। इस बार भी ऐसा ही किया। एक-एक ऑटो वाले एक व्यक्ति से 500-500 रुपए ले रहे हैं।
रुद्राक्ष बांटने के लिए 40 काउंटर बनाए गए थे। रुद्राक्ष के लिए लोगों को लंबी-लंबी लाइन में लगकर घंटों तक इंतजार करना पड़ा। भगदड़ के बाद रुद्राक्ष बांटना बंद कर दिया गया है।रुद्राक्ष बांटने के लिए 40 काउंटर बनाए गए थे। रुद्राक्ष के लिए लोगों को लंबी-लंबी लाइन में लगकर घंटों तक इंतजार करना पड़ा। इंदौर, हरियाणा और यूपी से आए कई श्रद्धालुओं का भी यही कहना था कि यहां पर कोई व्यवस्थाएं नहीं दिखीं। न गाड़ी पार्किंग की व्यवस्था। न ही पीने का पानी मिला। श्रद्धालुओं ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि इतना बड़ा आयोजन था। प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं की।
Kubereshwar Dham:भोपाल-इंदौर हाईवे पर लगा लंबा जाम
कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव में शामिल होने देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचे। जिसके चलते भोपाल-इंदौर हाईवे पर लंबा जाम लगा रहा। हाईवे पर वाहन रेंगते नजर आए। इतना ही नहीं, पैदल चलना भी मुश्किल था। सुबह के समय तो आलम ये था कि कुबेरेश्वर धाम से इछावर रोड तक 7 किमी का लंबा जाम लगा था।जबकि सीहोर से इंदौर की तरफ हाईवे पर 17 किलोमीटर और भोपाल की ओर हाईवे पर 10 किलोमीटर लंबा जाम लगा हुआ था।
Kubereshwar Dham:अगर मौत आनी है तो आएगी ही: पंडित प्रदीप मिश्रा
कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि लोग मौत से डरते हैं। कहते हैं कि हम केदारनाथ नहीं जाएंगे। वहां बहुत ठंड है, कुछ हो गया तो क्या होगा, लेकिन अगर मौत आनी है तो आएगी ही। भले ही आप घर में ही क्यों न हो।आप घर में होगे, पैर पोछने के लिए पायदान पर पैर रखोगे और अगर मौत आनी ही होगी तो पायदान तुरंत फिसल जाएगा। आप 7 तालों में ही क्यों न बंद हो, मौत को आना है तो वह आएगी ही।
सीहोर में Kubereshwar Dham में गुरुवार को मनुष्यत्व की ही मौत हुई। भीड़ के जरिये अपने ज्ञान को तौलने वाले प्रवचनकारों में से एक पंडित प्रदीप मिश्रा के आयोजन में इंसानियत के सिवा सब कुछ हुआ। रुद्राक्ष वितरण के नाम जो मजमा लगा, उसने हजारों लोगों को त्रस्त किया। दो हजार लोग बीमार, एक मौत के बावजूद
पंडित जी गद्दी पर बैठकर ज्ञान का पुराण ठहाकों के साथ बांचते रहे।
Kubereshwar Dham पंडित प्रदीप मिश्रा। शिवपुराण के वाचक। बड़ा ललाट। लालिमा वाला तिलक। लच्छेदार बातें। कुछ शिवपुराण। बहुत सी दुनियादारी की। एक लोटा जल। बिल्बपत्र। सरल उपाय वाले सीहोर वाले बाबा। दिखने में सुनने में एक दम भोलेभंडारी।पर गुरुवार को जो हुआ उसने उनपर बहुत से सवाल उठाये। रुद्राक्ष वितरण के उनके आयोजन में भगदड़ मची। एक श्रद्धालु महिला की मौत हो गई। दो हजार से ज्यादा लोग बीमार हुए। भीड़ में बेचैनी बढ़ी। भोले के दरबार में सामने आया एक स्वार्थी स्वरूप।
Kubereshwar Dham :एक महिला की मौत, हजारों के घायल होने पर भी शिवभक्ति वाले बाबा बेअसर रहे। वे मौत, दर्द, दुःख से भरे पांडाल में भी अपने ऊंचे सिंहासन पर विराजे। वही अपने मसखरे अंदाज में कथा शुरू की। बिना किसी क्षमा, दुःख, श्रद्धांजलि प्रकट किये।उस भदगड़ के बीच पंडित जी दुर्वचन से भी नहीं चूके। वे बोले -मौत आनी है तो आयेगी। यानी अपने आश्रम के आयोजन में होने वाली मौत को वे ‘मोक्ष’ प्राप्ति जैसा महिमामंडित करने से पीछे नहीं हटे। इस दर्द के धाम में भी वे कोई परेशानी देखना ही नहीं चाहते।
क्या एक मौत और हजारों के घायल होने के बाद कथा रोकी नहीं जा सकती थी। रोकते नहीं तो कम से कम घायलों के प्रति सांत्वना के दो शब्द ही बोल देते।
कोई भी कथा वाचक इतना निष्ठुर कैसे हो सकते हैं। ऐसी निष्ठुरता उनके सभी प्रवचनों को केवल एक रटंत विद्या ही साबित करती है। मनुष्य के मन, वचन, कर्म और वाणी में विरोधाभास ही उसके ज्ञान की हकीकत सामने लाता है। कुबरेश्वर धाम में भी गुरुवार को यही सामने आया।
Kubereshwar Dham आखिर तीस लाख रुद्राक्ष बांटने के लिए मेला लगाने की क्या जरुरत है ? क्यों भीड़ जुटाकर अपनी सत्ता को महिमामंडित करने की लालसा? यदि पंडित जी वाकई रुद्राक्ष बांटकर श्रद्धालुओं को उपकृत करना चाहते हैं तो कई और तरीके हैं। वे ऑनलाइन रुद्राक्ष का वितरण कर सकते हैं। रुद्राक्ष बांटने के लिए दिन निश्चित करने का कोई जवाब पंडित मिश्रा देंगे ? क्या रुद्राक्ष पहनने, बांटने, ग्रहण करने के भी कोई दिन पुराणों में लिखे हैं? ऐसा कहीं लिखा नहीं है, फिर चार या पांच दिन इस वितरण की जिद क्यों ? पूरे साल अपने आश्रम के काउंटर से इनका वितरण कीजिये।
दूसरी बात तीस लाख रुद्राक्ष का वितरण पांच दिन में होना है। इसका गणित ये बैठता है कि प्रतिदिन पांच -छह लाख लोगों को ये वितरित होंगे। ऐसे में ये सवाल उठाना कि योजना से ज्यादा लोग आ गए भी सरासर झूठ लगता है। आश्रम के मुताबिक पिछले साल आयोजन रद्द हो गया था, उसके बाद रुद्राक्ष का वितरण नहीं हो सका। इसके मायने ये हैं कि पिछले साल के रुद्राक्ष ही इस वर्ष वितरित किये जा रहे हैं।
अब ये सवाल तो बनता ही है कि जनता की सेवा के लिए एक साल इन्तजार क्यों ? इन्हे पूरे साल में वितरित किया ही जा सकता था। अब तक कई लोग इसका पानी पीकर स्वस्थ भी हो चुके होते। इस देरी से न जाने कितने भक्तों को एक साल तक स्वास्थ लाभ नहीं मिल सका। आश्रम का दावा है कि रुद्राक्ष कि जांच इंदौर और भोपाल के विज्ञानशाला में हुई और इसके पानी को सेहत के लिए अच्छा बताया गया (इस दावे की पड़ताल और कभी करेंगे) फ़िलहाल तो येसत्संग पंडाल में मानवता, इंसानियत को शर्मसार करने का मामला है।
Kubereshwar Dham भक्तों को भी ये बात समझनी चाहिए कि भगवान और भक्त के बीच कोई तीसरे की जरुरत क्यों रहेगी ? जिस प्रभु ने जन्म दिया वो खुद आपसे जुड़ा हुआ है।
ऐसे विलासिता से लकदक, राजनीति के बोझ तले झुके, सत्ता को देखकर सत्संग की दिशा तय करने वाले पंडालों से कुछ हासिल नहीं होगा। एक बात याद
रखिये -भजना उसी को जो न भजे किसी को। यानी सर्वशक्तिमान शिव।
Kubereshwar Dham विशेष – पचास किलोमीटर तक लगे जाम, सड़कों पर रेलमपेल, बीमारों की एम्बुलेंस के घंटों फंसे रहने, परीक्षाओं की तैयारियों के लिए निकले छात्रों के भटकाव, लोगों की ट्रैन, फ्लाइट चूकने और बच्चों, बुजुर्गों के यात्राओं में परेशान होने की संख्या तो लाखों में होगी। ये वो हैं जिनका इस कथा, पुराण से
कोई लेनादेना नहीं। आखिर ऐसे आयोजनों को कब तक भगवान की मर्जी कहकर हम सब खुद को बरी करते रहेंगे।
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