स्वतंत्र समय, इंदौर
प्रदेश में सबसे ज्यादा बजट पेश करने वाली इंदौर नगर निगम में हुए करोड़ों के फर्जी बिल घोटाले ( fake bill scam ) के मामले में तीन और एफआईआर होने की तैयारी की जा रही है। पुलिस को अभी कुछ और साक्ष्य जुटाने है। जिन तीन लोगों पर शक की सुई घूम रही है उनमें ऑडिटर-ऑपरेटर और आवक-जावक वाला शामिल है। जांच पड़ताल से पता चला है की इन तीनों की घोटाल में सलिप्तता पाई जाने का अंदेशा है।
fake bill scam में अभय राठौर के बैंक खाते सील
इसी प्रकार पुलिस ने फर्जी बिल घोटाले (fake bill scam) में फरार इंजीनियर अभय राठौर के तीन बैकों खातों को सील कर दिया है। पुलिस अभय राठौर के साथ मेसर्स ईश्वर इंटरप्राईजेस के प्रोप्रा, मौसम व्यास और किस्टल इंटरप्राईजेस के प्रोप्रा, इमरान खान को भी तलाश कर रही है। अब समग्रता की जांच के लिए राज्य सरकार के द्वारा घोषित की गई भोपाल की उच्च स्तरीय कमेटी से ही उम्मीद बाकी बची है। इस कमेटी के द्वारा अभी तो जांच का काम शुरू नहीं किया गया है लेकिन यह उम्मीद की जाती है कि अगले 7 दिनों के अंदर कमेटी की ओर से काम शुरू कर दिया जाएगा। इन दिनों इंदौर नगर निगम पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां हुए 107 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले से अफसरों और जनप्रतिनिधियों में हडक़म्प मचा हुआ है। प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी इस पूरे घोटाले पर नजर लगाए बैठे है। उन्होंने साफ कह रखा है की इस घोटाले में किसी को बख्शा नहीं जाएंगा चाहे वह कितना भी प्रभावशाली व्यक्ति क्यों न हो। बहुत से अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। एक तरफ जहां अधिकारियों को उनके संकल्प तथा सामने आ जाने का खतरा है तो वही नेताओं के सामने भी यह चिंता बढ़ गई है कि कहीं फर्जी तरीके से काम करने वाली फर्म से उनके रिश्ते उजागर नहीं हो जाए।
जांच में रोज हो रहे नए-नए खुलासे
जानकार सूत्रों ने बताया की पुलिस की जांच में हर रोज नए नए पहलू सामने आ रहे है। पुलिस को जानकारी मिली है की निगम के ऑडिटर-ऑपरेटर और आवक-जावक वाले की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। जांच रिपोर्ट में समिति ने 188 फाइलों की जांच की और इसमें 150 से ज्यादा फाइलों में फजीर्वाड़ा मिला। फर्जी दस्तावेजों के जरिए 100 करोड़ के बिल पेश किए गए थे। हालांकि इस मामले कुछ और साक्ष्य जुटाए जाने है। साक्ष्य सामने आते ही उक्त तीनों के खिलाफ कार्यवाही की जाएंगी।
दोनों फर्मों ने किया फर्जीवाड़ा
बताया गया है की नगर निगम में 4 फर्जी बिलों के माध्यम से करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया गया। इंदौर के कोष से किस्टल इंटरप्राईजेस, प्रोप्रा, इमरान खान, 53, जूनी कसेरा बाखल, द्वारा 2.43 करोड फर्जीवाड़ा कर षड्यंत्रपूवर्क राशि निकाली गई। इसी प्रकार मेसर्स ईश्वर इंटरप्राईजेस, प्रोप्रा, मौसम व्यास,15-ए, पलसीकर कॉलोनी, इंदौर द्वारा 2.49 करोड का फर्जी तरीके से भुगतान प्राप्त कर लिया। इनके द्वारा भी फर्जी फाइलें बनाई गई और चंद रुपए देकर करोड़ों का चूना निगम को लगा दिया। ये दोनों ही अभी फरार है। पुलिस ने इन पर कल ही गिरफ्तारी पर इनाम घोषित किया है।
निगम में शुरू हुआ एक- दूसरे को बचाने का खेल
नगर निगम के इस बार के घोटाले में भी यह स्थिति बन गई है। अब सभी एक दूसरे को बचाने के लिए काम करने लगे हैं। इसकी एक झलक नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा के द्वारा अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन की अध्यक्षता में गठित की गई जांच कमेटी की रिपोर्ट में भी नजर आ रही है। इस कमेटी के द्वारा भरपूर दस्तावेज देखने और उनकी समीक्षा करने के बाद अपनी रिपोर्ट में सभी को क्लीन चिट देने का काम किया गया है। इस कमेटी ने कुछ छोटे-छोटे कर्मचारी की नियुक्ति पर ले जाकर अपनी जांच को रोक दिया है। यह तो हर कोई जानता है कि छोटे कर्मचारी के द्वारा करोड़ों का खेल नहीं खेला जा सकता है। अब इस मामले की जांच को आगे बढक़र और ज्यादा फजीर्वाड़ा उजागर करने में किसी की रुचि नहीं है। बचे हुए आरोपियों को पकडऩे के लिए पुलिस की ओर से कोशि जारी है। पुलिस ने इन आरोपियों के नाम पर इनाम भी घोषित कर दिया है। अब पुलिस का कहना है कि इस घोटाले का मुख्य आरोपी माना गया अभय राठौर जब सामने आएगा तभी कुछ ज्यादा जानकारी सामने आ सकेगी। वैसे अब सभी की नजर राज्य सरकार के द्वारा गठित की गई।