स्वतंत्र समय, भोपाल
नागरिक आपूर्ति निगम ( Civil Supplies Corporation ) में भ्रष्टाचार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी पिछले वर्ष करोड़ों की धान मिलरों को दी गई थी, जिसका चावल गायब कर दिया गया था। इस मामले में तीन दर्जन से अधिक मिलरों के खिलाफ एफआईआर की फाइल सिविल लाइन थाने में धूल फांक रही है तो वहीं एक बार फिर मिलरों द्वारा चावल न जमा करने का मामला सामने आया है।
महाप्रबंधक के Civil Supplies Corporation को कार्रवाई के निर्देश
इस मामले को महाप्रबंधक मिलिंग भोपाल द्वारा गंभीरता से लिया गया है और जिला प्रशासन तथा नागरिक आपूर्ति निगम ( Civil Supplies Corporation ) को चावल जमा न करने वाले राइस मिलरों पर कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी राइस मिलर्स एफसीआई में चावल जमा नहीं करा रहे हैं। धान की मिलिंग के बाद मिलर्स चावल किस वजह से जमा नहीं कर रहे हैं यह स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन, जिस तरह से नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों के संरक्षण में मिलरों की मनमानी जारी है उससे शासन को हर वर्ष करोड़ों का नुकसान हो रहा है। हाल ही में तत्कालीन नागरिक आपूर्ति निगम के डीएम रहे देवेन्द्र तिवारी को हटा दिया गया है साथ ही उनके द्वारा परिवहन की दूरी सहित अन्य कई मामलों का भुगतान भी किया गया है।
1965 लॉट चावल नहीं कराया जमा
गौरतलब है कि मिलर्स को 1965 लॉट चावल जमा कराया जाना था। जो 4 लाख 82 हजार 850 क्विंटल होता है। किंतु अब तक जमा नहीं हुआ है। राइस मिलर्स ने जो चावल नहीं जमा किया है उसकी कीमत लगभग डेढ़ सौ करोड़ के आसपास है। सूत्रों की मानें तो इस पूरे कारोबार में वह राइस मिलर शामिल रहते हैं, जिन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त रहता है। वह बड़ी आसानी से सरकारी चावल को बाजार में बेचते हैं और फिर घटिया चावल को एफसीआई के गोदाम में जमा करा देते हैं इससे उन्हें मोटी कमाई होती है।
तीन माह से रखी धान की अवधि समाप्त
बताया गया है कि समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान को राइस मिलर्स को देने के मामले में मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन ने आरक्षण की अवधि निर्धारित की थी, जिसमें कहा गया था कि मिलर्स को जो धान दी जाएगी उसकी अवधि सिर्फ तीन माह ही होगी। ऐसे में मार्च माह में आरक्षित धान की अवधि समाप्त हो गई है। इसके बाद भी कई मिलर्स चावल जमा करने में रुचि नहीं ले रहे हैं।
चार मिलरों ने नहीं जमा किया 52 करोड़ का चावल
सूत्रों की मानें तो जिले के सिर्फ चार राइस मिलर्स ऐसे हैं जिन पर नागरिक आपूर्ति निगम मेहरबान है। इनके द्वारा 52 करोड़ का चावल अब तक जमा नहीं कराया गया है। नागरिक आपूर्ति निगम ने बचे हुए चावल के संबंध में राइस मिलरों को न तो पत्र जारी किया है और न ही नोटिस। सवाल यह उठता है कि जब महाप्रबंधक मिलिंग द्वारा इन राइस मिलरों को नोटिस जारी कर सख्ती के साथ चावल जमा कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं इसके बाद भी यह राइस मिलर चावल जमा क्यों नहीं कर रहे हैं।
63 ने किया था मिलिंग का अनुबंध
गौरतलब है कि जिले में धान मिलिंग के लिए 63 राइस मिलर्स ने धान का अनुबंध किया था किंतु नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा सिर्फ चार मिलर्स को ही चान डिलेवरी आर्डर जारी किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो यह चार राइस मिलर अच्छी सांठगांठ कर सीधा लाभ ले रहे हैं। मिलिंग के लिए धान न मिलने की वजह से लगभग 50 से अधिक राइस मिल एक माह से बंद हैं, जबकि 13 राइस मिल बची ं। उसमें से 9 राइस मिल 15 दिनों से बंद है। पांच दिन पूर्व एक बार फिर से चार राइस मिलर्स को उठाव का डिलेवरी आर्डर जारी कर दिया गया। जिसमें एस इंडस्ट्रीज एवं मां कृपा सहित दो अन्य शामिल है। बताया गया है कि गोदामों में सिर्फ 4 लाख 30 हजार क्विंटल धान ही बची है ऐसे में चार राइस मिलर ही इसका लाभ ले पा रहे हैं। बाकी बंद होने की कगार पर पहुंच गए।