सीताराम ठाकुर, भोपाल
जल संसाधन विभाग द्वारा करीब 30 हजार करोड़ के सिंचाई प्रोजेक्ट ( irrigation project ) पर काम किया जा रहा है। वर्तमान में अधिकांश बांधों के निर्माण में नहर के स्थान पर प्रेशराइज्ड पाइप का उपयोग किया जा रहा है, जिससे सिंचाई के साथ ही लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराया जा सके, लेकिन मप्र में पाइप की कमी के चलते कई सिंचाई प्रोजेक्ट अधर में लटक गए हैं। सरकार 7 साल बाद चेती है कि प्रदेश में पाइप की कमी है, जिसे देखते हुए नए विकल्पों का अध्ययन करने एक समिति बनाई गई है।
मोहनपुरा और कुंडलिया है प्रदेश का पहला irrigation project
मप्र में अभी तक 250 से अधिक बड़े बांध और सिंचाई प्रोजेक्ट ( irrigation project ) जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित कराए गए हैं। इन बांधों से खेतों में सिंचाई के लिए पानी नहरों के माध्यम से पहुंचाया जाता है। प्रदेश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट मोहनपुरा और कुंडलिया है, जिसमें सिंचाई और पीने की पानी की व्यवस्था के लिए प्रेशराइज्ड पाइप लाइन बिछाई गई है। वैसे यह प्रोजेक्ट भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है, जबकि इस पर बीते पांच साल से अधिक समय से काम चल रहा है। मोहनपुरा और कुंडलिया के बाद जितने भी नए बांध और सिंचाई प्रोजेक्ट निर्मित किए जा रहे हैं, उन सभी में प्रेशराइज्ड पाइप लाइन प्रणाली विकसित की जा रही है। इन सिंचाई परियोजनाओं में जल उपयोगिता की दक्षता बढ़ाने की दृष्टि से उपयोग में लाए जाने वाले समस्त प्रकार के पाइपों एवं संबंधित सामग्री का विश्लेषण करने के लिए सरकार ने आदेश क्रमांक 271/ 2017-17, 2096 के तहत एक समिति गठित की गई थी और इस समिति की अभी तक एक बार ही बैठक 2 मई 2017 को हुई थी, इसके बाद समिति की कोई बैठक नहीं हुई।
सरकार को 7 साल बाद आई याद
इन सात सालों में समिति की कोई बैठक नहीं बुलाने के बाद जल संसाधन विभाग को पाइप की कमी मेहसूस होने लगी। सिंचाई के लिए उपयोग में आने वाले पाइप के विभिन्न नए विकल्प देश में उपलब्ध हैं, लेकिन डिपार्टमेंट को इसकी याद नहीं आई, जिसके चलते करीब 30 हजार करोड़ के सिंचाई प्रोजेक्ट अधर में लटक गए और ये समय-सीमा में पूरे नहीं कराए जा सके। इसके चलते ठेकेदारों को लाभ पहुंचा, क्योंकि प्रोजेक्ट की लागत महंगी हुई, वहीं जल निगम ने देशभर में वृहद स्तर पर प्रारंभ की गई सिंचाई परियोजनाओं के कारण बाजार में पाइप की उपलब्धता घटी है। अब सरकार ने इसको लेकर समिति का गठन किया है।
ये समिति बाजार में नए विकल्प तलाशेगी
सरकार ने सिंचाई परियोजनाओं के लिए उपयोग में होने वाले विकल्पों का अध्ययन करने के लिए मुख्य अभियंता अनिल सिंह की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। इस समिति में जेएस कुसरे, व्हीएस टेकाम, आरडी अहिरवार, विनोद देवड़ा, जीपी सिलावट, अनिल पिपरे, टीके परमार, एके देहरिया, पीसी महाजन और बीएस रावत को सदस्य बनाया है। ये सभी अधिकारी फील्ड में चीफ इंजीनियर के पदों पर कार्यरत हैं, वहीं संचालक नहर बोधी सुनील गिरवाल को सदस्य सचिव नियुक्त किया है। समिति एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को पेश करेगी।