स्वतंत्र समय, नई दिल्ली
आम चुनाव 2024 के परिणामों के बाद देश में बनने वाली नई सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) की तरफ से बड़ा तोहफा मिलेगा। केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने पहली बार सरकार को लाभांश के रूप में 2.11 लाख करोड़ रुपये देने का फैसला किया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार की बैठक में वित्त वर्ष 2024 के लिए केंद्र सरकार के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये के लाभांश (डिवीडेंड) को मंजूरी दी, जो वित्त वर्ष 23 की तुलना में लगभग 141 प्रतिशत अधिक है। वित्तीय वर्ष 2023 में केंद्रीय बैंक ने केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में रुपए 87,416 करोड़ ट्रांसफर किए थे। मुंबई में बुधवार को आयोजित केंद्रीय बोर्ड की 608वीं बैठक के दौरान केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल ने दृष्टिकोण के जोखिम सहित वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य पर विचार-विमर्श किया। इस दौरान बोर्ड ने सरकार को 2,10,874 करोड़ रुपये का अधिशेष हस्तांतरित करने का फैसला किया।
अब तक के सर्वाधिक लाभांश के भुगतान को RBI की मंजूरी
भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) ने बुधवार को 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये के अब तक के सर्वाधिक लाभांश भुगतान को मंजूरी दी। आरबीआई की ओर से केंद्र को लाभांश या अधिशेष हस्तांतरण के तौर पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 87,416 करोड़ रुपये दिए गए गए थे। इससे पहले 2018-19 में सबसे अधिक 1.76 लाख करोड़ रुपये की राशि आरबीआई की ओर से केंद्र को लाभांश के तौर
पर दी गई थी।
केंद्र ने राजकोषीय घाटा 17.34 लाख करोड़ रुपये रखने का रखा है लक्ष्य
केंद्र सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे या व्यय और राजस्व के बीच अंतर को 17.34 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 5.1 प्रतिशत) पर रखना है। 2024-25 के अंतरिम बजट में, सरकार ने आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से 1.02 लाख करोड़ रुपए की लाभांश आय का अनुमान लगाया है।
गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई बैठक
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आज मुंबई में भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की 608वीं बैठक आयोजित की गई। बोर्ड ने दृष्टिकोण के जोखिमों सहित वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य की समीक्षा की। बोर्ड ने वर्ष अप्रैल 2023- मार्च 2024 के दौरान रिज़र्व बैंक के कामकाज पर भी चर्चा की और वर्ष 2023-24 के लिए रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय विवरणों को मंजूरी दी। समिति ने सिफारिश की है कि आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) के तहत जोखिम प्रावधान आरबीआई की बैलेंस शीट के 6.5 से 5.5 प्रतिशत की सीमा के भीतर बनाकर रखा जाए।