High Court ने दी सशर्त जमानत, कहा, दो महीने तक करना पड़ेगी मरीजों की सेवा

स्वतंत्र समय, भोपाल/जबलपुर

नाबालिग लडक़ी को परेशान करने के केस की सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ( High Court ) ने एक आदेश सुनाया। 16 मई को जस्टिस आनंद पाठक की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। 23 मई को आदेश ऑनलाइन अपलोड करने के बाद सामने आया। आरोपी युवक ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। इसके बाद कोर्ट ने युवक को सशर्त जमानत दी है। अगली सुनवाई 17 जुलाई को है। आरोपी युवक हर शनिवार-रविवार भोपाल के जिला अस्पताल में सुबह 9 से 1 बजे तक सेवा देगा। ओपीडी में काम करने वाले कंपाउंडर्स की मदद करेगा। साफ-सफाई करेगा। मरीजों की हर संभव मदद करेगा। इससे उसे प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की शिक्षा मिल सकेगी। उसका उपयोग आपदा प्रबंधन के समय स्वयंसेवक के तौर पर किया जा सकेगा। इस तरह युवक सामाजिक जिम्मेदारी समझेगा और बेहतर नागरिक बनेगा। आदेश का उल्लंघन करने पर जमानत निरस्त की जाएगी। यह आदेश

18 अप्रैल को युवक ने High Court में अर्जी लगाई

पुलिस ने अभिषेक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया। उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। युवक की ओर से भोपाल जिला कोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई। यहां कोर्ट ने 13 अप्रैल 2024 को अर्जी रद्द कर दी। 18 अप्रैल को युवक ने हाईकोर्ट ( High Court ) में अर्जी लगाई। इस पर 16 मई को सुनवाई हुई।

भोपाल के पिपलानी थाने में की थी शिकायत

21 साल का अभिषेक शर्मा भोपाल के पिपलानी क्षेत्र का रहने वाला है। वह बीबीए फस्र्ट ईयर का छात्र है। 4 अप्रैल 2024 में पिपलानी थाने में साढ़े सत्रह साल की लडक़ी ने उसके खिलाफ शिकायत की थी। इसमें बताया कि युवक पिछले दो साल से उसे परेशान कर रहा है। उसका पीछा करता है। बेवजह फोन करता था। कमेंट भी करता। यहां तक आरोपी ने अपने हाथ में लडक़ी के नाम का टैटू भी बनवा लिया था। कई बार धमकी भी दी थी।

युवक के माता-पिता ने दिया था तर्क

युवक की ओर से तर्क दिया गया कि छात्र की पढ़ाई चल रही है। अगर उसे गंभीर सजा दी जाती है, तो करियर बर्बाद हो जाएगा। माता-पिता की ओर से बेटे के कृत्य पर माफी भी मांगी गई।

कोर्ट ने कहा- सीएमएचओ रखेंगे नजर

जस्टिस आनंद पाठक ने आदेश में कहा, ‘छात्र को बेहतर नागरिक बनाने, उसकी उम्र और भविष्य को देखते हुए समाज सेवा का आदेश दिया गया है, जाकि उसे समाज की मुख्य धारा में आने का अवसर मिल सके। युवक अस्पताल में मरीजों के लिए परेशानी का कारण नहीं बनेगा। अगर उसके दुर्व्यवहार या आचरण की जानकारी मिलने की शिकायत करता है, तो जमानत खारिज कर दी जाएगी।’ आदेश में हाईकोर्ट ने लिखा है कि भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उसे बाह्य विभाग में कार्य करने की अनुमति प्रदान करेंगे। इसके बाद रिपोर्ट देंगे।