स्वतंत्र समय, नई दिल्ली
वीवीआईपी सुरक्षा घेरे में बड़े बदलाव की आहट है। अभी तक वीआईपी सुरक्षा में ज्यादातर एनएसजी ( NSG ), सीआरपीएफ, सीआईएसएफ व आईटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा का दायित्व एसपीजी के कंधों पर है। इसमें जल्द फेरबदल किया जाएगा। आडवाणी सहित 9 नेताओं की सुरक्षा में लगी एनएसजी को वापस लिया जाएगा।
NSG से वीआईपी सुरक्षा की जिम्मेदारी वापस ली जा रही है
एसपीजी में अधिकांश जवान, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से आते हैं। पांच वर्ष पहले कई अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप एसपीजी के पास थी, उनकी सुरक्षा भी सीआरपीएफ को सौंपी गई थी। अब राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ( NSG ) से वीआईपी सुरक्षा की जिम्मेदारी वापस ली जा रही है। संसद की ड्यूटी से मुक्त हुए सीआरपीएफ के पीडीजी दस्ते का दायरा अब बढ़ाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद एनएसजी की वीआईपी सिक्योरिटी यूनिट, स्पेशल रेंजर ग्रुप (एसआरजी) की ड्यूटी, पूरी तरह से सीआरपीएफ की वीआईपी सिक्योरिटी इकाई को सौंप दी जाएगी।
इन नेताओं से वापस ली जाएगी एनएसजी सुरक्षा
सूत्रों के अनुसार, नॉर्थ ब्लॉक में इस सप्ताह एक मीटिंग प्रस्तावित है। जिसमें देश के ऐसे 9 वीवीआईपी, जिन्हें एनएसजी सुरक्षा प्राप्त है, की सुरक्षा सीआरपीएफ को सौंप दी जाएगी। इनमें पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला और गुलाम नबी आजाद, बसपा प्रमुख मायावती, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री सवार्नंद सोनोवाल, आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्र बाबू नायडू व छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह शामिल हैं।
कई वर्षों से चल रहा था प्रयास
सूत्रों के मुताबिक, एनएसजी को उसके मूल कार्य में लगाने के लिए कई वर्षों से प्रयास चल रहा था। अमित शाह द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद इस प्रस्ताव पर विचार शुरू हुआ था। 2019 में ही पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के सदस्यों की सुरक्षा में तैनात ‘एसपीजी’ कवर वापस ले लिया गया था। उसी वक्त इस बात पर भी विचार हुआ कि एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो को भी वीवीआईपी सुरक्षा से मुक्त कर दिया जाए। जिन वीवीआईपी की सुरक्षा, एनएसजी को सौंपी गई थी, उसे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हवाले कर दिया जाए।