स्वतंत्र समय, भोपाल
राजगढ़ जिले के कुरावर में पट्टे की जमीन ( land ) के खेल का अनोखा मामला सामने आया है। यहां दबंगों ने 12 गरीब परिवारों को दी गई जमीन राजस्व अधिकारियों से मिलकर अपने नाम करा ली। जब पट्टेधारियों को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने तहसील कार्यालय से लेकर भोपाल कमिश्नर तथा लोकायुक्त तक शिकायत की, लेकिन गरीबों को अब तक न्याय नहीं मिला। पट्टाधारी परिवारों का कहना है कि उनकी जमीन हेमंत अग्रवाल के परिवार के कब्जे में है।
सर्वे नंबर 729 रकबा 0.133, कुल 2.573 land दी गई थी
जानकारी के अनुसार, सरकारी जमीन ( land ) की नामांतरण पंजी में 6 जून 1986 को कुरावर निवासी एससी वर्ग के 12 लोगों को सर्वे नंबर 558 रकबा 0.038, सर्वे नंबर 700 रकबा 2.402, सर्वे नंबर 729 रकबा 0.133, कुल 2.573 जमीन दी गई थी। वर्ष 1989-90 की नामांतरण पंजी के अनुसार सर्वे नंबर 700/1 रकबा 0.405, सर्वे नंबर 700/2, सर्वे नंबर 700/ 3 रकबा 202, सर्वे नंबर 700/4 रकबा 202, सर्वे नंबर 700/5 रकबा 405, सर्वे नंबर 700/7/2 रकबा 196 कुल 1.612 हेक्टेयर जमीन राजेशकुमार पिता मांगीलाल भंडारी जाति महाजन के नाम से दर्ज थी। यह जमीन निर्मला देवी पत्नी ओमप्रकाश जाति महाजन के नाम पर सर्वे नंबर 700/7/1 रकबा 0.196 हेक्टेयर दर्ज हो गई। मोहनलाल पिता भंवरलाल के नाम पर सर्वे नंबर 700/7/3 रकबा 0.392 हेक्टेयर दर्ज है। वर्तमान में अजा वर्ग के 12 पट्टेधारियों को जो जमीन मिली थी वह अब सिर्फ सर्वे नंबर 700 में रकबा 202 आरा ही बची है। 2007-08 की नामांतरण पंजी के अनुसार नरसिंहगढ़ के पूर्व विधायक गिरिश भंडारी के भाई कमल भंडारी के नाम पर सर्वे नंबर 700 में 1.612 हेक्टेयर भूमि आई थी। जो कि आशा पिता बीरभान, ओमकार पिता हरलाल, भंवरिया, दोला, गोपी पिता रामा, श्रीकिशन, घुडिय़ा, मोहन पिता पन्ना, कस्तूरी बेवा, मूलचंद पिता सौलाल, बल्ला पिता कोदर, रामचरण, हरिया, भंवरलाल, ईसर पिता बावल, हरचंद पिता काश्या, देव्या पिता गुमान, घीसा पिता काश्या आदि के नाम से शासकीय पट्टे की भूमि दर्ज थी। बाद में यह भंडारी परिवार के नाम दर्ज हुई। पट्टाधारियों का कहना है कि हमारे पूर्वजों की जमीन महाजन परिवार ने जबरिया ढंग से कब्जा कर छीन ली है। पट्टाधारी इसकी शिकायत जिला स्तरीय जनसुनवाई में भी चुके हैं। उस समय पट्टाधारियों ने कहा था कि इसके नामंतरण के आदेश का रिकार्ड राजगढ़ एवं नरसिंहगढ़ अनुविभागीय कार्यालय से लगातार मांग रहे हैं, लेकिन दिया नहीं जा रहा। ग्रामीणों ने स्थानीय टप्पा कार्यालय में भी अपने दस्तावेज दिखाकर जांच की मांग की है। पट्टाधारियों से मिलने के बाद टप्पा कुरावर के नायब तहसीलदार विकास रघुवंशी ने कहा था कि पट्टेधारियों के परिजन आए थे, उनका कहना है कि पट्टे मिले थे। कुछ खसरे की नकल दी गई है। इसके आधार पर हमने जांच शुरू कर दी है। इनको नोटिस दिए जाएंगे। अगर इन्होंने विधिवत खरीदी है तो कोई बात नहीं। अवैध रूप से खरीदी गई होगी तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएंगी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर हो कार्रवाई
गरीब और अजा वर्ग के लोगों को पट्टे पर दी गई जमीन पर कब्जे का मामला मप्र में कई बार सामने आ चुका है। सरकार को इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। वर्तमान प्रदेश सरकार भूमाफियों के प्रति अपना कड़ा रुख पहले ही जाहिर कर चुकी है। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि वर्षों से अपनी जमीन के लिए भटक रहे इन गरीबों को जल्द से जल्द न्याय मिलेगा।
2019 में कमिश्नर को दिया था आवेदन
पट्टेधारियों ने 28 जून 2019 को इसकी शिकायत भोपाल कमिश्नर से की थी। इसमें कहा गया था कि 12 लोगों की एक ही पट्टी थी जो आसाराम पिता चीरभान आदि के नाम थी जो अब कुरावर के हेमन्त अग्रवाल पिता मोहनलाल, पवन अग्रवाल पिता हरिनारायण मनीष अग्रवाल पिता हरिनारायण के नाम पटवारी व नायब तहसीलदार बता रहे हैं। इन लोगों के नाम हरिजन बनके झूठी रजिस्ट्री करा रखी है। शिकायत में कहा गया था कि हमारे जिले में कही भी सुनवाई नहीं हो रही है। टप्पा कुरावर, एस. डी.एम. नरसिंहगढ़ और जिला राजगढ़ में हमारे नाम पर जमीन बताई जा रही है। थाना कुरावर में भी शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। कुरावर पुलिस कहती है कि तुम लोग यहां से जाओ नहीं तो वो लोग तुम्हें भी जान से मार देंगे। इसी तारीख में आवेदकों ने लोकायुक्त में भी शिकायत की थी।