Runway को डेवलप करने बीओटी पर देगी सरकार

सीताराम ठाकुर, भोपाल

प्रदेश की 21 हवाई पट्टियों ( Runway ) को 24 घंटे विमान उतारने लायक बनाने राज्य सरकार इन्हें बीओटी पर देने जा रही है। वर्तमान में कुछ हवाई पट्टियों पर दिन के समय ही विमान की लैडिंग की जा सकती है, वहीं कुछ पर रात्रि में विमान उतारे नहीं जा सकते हैं। इन हवाई पट्टियों को अंतरराज्यीय हवाई पट्टी बनाने के लिए बीओटी के जरिए विकसित कराया जाएगा।

Runway की डीपीआर एमपीआरडीसी से तैयार कराई जा रही है

अभी इन हवाई पट्टियों ( Runway ) का मेंटेनेंस लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है। अब इनकी डीपीआर एमपीआरडीसी से तैयार कराई जा रही है। मप्र में विमान उतारने के लिए 26 हवाई पट्टियां हैं। इनमें से ग्वालियर विमानतल भारतीय वायुसेना के अधिपत्य में हैं, जबकि इंदौर का विमानतल भारतीय विमान प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जाता है। भोपाल का विमानतल राष्ट्रीय विमानपत्तन के पास है। इसके अलावा टेकनपुर की हवाई पट्टी सीमा सुरक्षा बल, नागदा हवाई पट्टी निजी स्वामित्व की है। इसका रखरखाव एवं मेंटेनेंस ग्रेसिम इंडस्ट्री द्वारा किया जाता है। शहडोल स्थित लालपुर हवाई पट्टी का अधिपत्य ओरिएंटल पेपर मिल के पास है। दमोह की हवाई पट्टी निजी होने के साथ ही इसका अधिपत्य डायमंड सीमेंट के पास है, लेकिन ये हवाई पट्टी अनुपयोगी है, वहीं खजुराहो विमानतल राष्ट्रीय विमानपत्तन के पास है। इनमें से इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और खजुराहो विमानतलों पर ही निजी और शासकीय विमान उतारे जाते हैं। बकाया हवाई पट्टियों को विकसित करना होगा, तभी ये अंतरराज्यीय हवाई पट्टियां बन सकेंगी।

सीएम, मंत्रियों के लिए बनेंगे हेलीपैड

प्रदेश के सभी 313 ब्लॉकों में सरकार मुख्यमंत्री और मंत्रियों का हेलीकॉप्टर उतारने के लिए हेलीपैड़ बनवाने की तैयारी में है। अभी विभिन्न स्थानों पर 220 हेलीपैड निर्मित हैं, लेकिन सरकार प्रत्येक ब्लॉक में तीन हेलीपैड बनाने जा रही है और एक हेलीपैड निर्मित कराने पर खर्चा 20 से 30 लाख रुपए आता है। इस हिसाब से 939 हेलीपैड बनाए जाएंगे। वर्तमान में कुछ ब्लॉकों में दो और कुछ में तीन हेलीपैड बने हुए हैं। इस तरह करीब 50 करोड़ रुपए खर्च करने की तैयारी है।

नहीं किया 80 करोड़ का उपयोग

मप्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में विमान पट्टियों को विकसित कराने के लिए विमानन विभाग को 80 करोड़ रुपए की राशि जारी की थी, लेकिन विभाग इस राशि का उपयोग नहीं कर पाया है। उधर, एमपीआरडीसी के अफसरों का कहना है कि हवाई पट्टियों की डीपीआर तैयार कराने के लिए विमानन विभाग हमें फंड देगा, तभी काम आगे बढ़ेगा।

सरकार के पास हैं ये हवाई पट्टियां

मप्र सरकार के पास वर्तमान में स्टेट हैंगर भोपाल, सागर ढाना, गुना, शिवपुरी, खंडवा, खरगोन, नीमच, रीवा, सीधी, सिवनी, मंडला, मंदसौर निर्माणाधीन, पचमढ़ी, पन्ना (सकरिया) पर्यटन विकास के पास है, बालाघाट (बिरवा), झाबुआ, उज्जैन (दताना), छिंदवाड़ा, सतना तथा जबलपुर हवाई पट्टी है। इनमें सतना और जबलपुर भी राष्ट्रीय विमानपत्त के अधिपत्य में हैं, लेकिन इनका मेंटेनेंस भी मप्र सरकार द्वारा ही कराया जाता है। इन सभी हवाई पट्टियों को अब बीओटी पर देने की तैयारी की जा रही है। जिससे इनका विकास और मेंटेनेंस कराया जा सके। साथ ही सरकार इनके माध्यम से कमाई कर सके।

अभी कोई निर्देश नहीं मिले

मप्र सरकार की हवाई पट्टियों को बीओटी पर देने के संबंध में सरकार से अभी कोई निर्देश नहीं मिले हैं, लेकिन इसको लेकर उच्च स्तर पर जरूर चर्चा है। प्रत्येक ब्लॉक में तीन हेलीपैड बनाने जरूर निर्देश मिले हैं।
आरके मेहरा, ईएनसी, पीडब्ल्यूडी