स्वतंत्र समय, भोपाल
लोकसभा चुनावों में एकतरफा हार के बाद कांग्रेस में चीख-चीत्कार मचने लगी है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ( Ajay Singh ) ने इस हार के बाद प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी तथा दोनों दिग्गजों कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर सीधा हमला बोला है। संगठन के कामकाज पर सवाल उठाते हुए अजय सिंह ने पटवारी के इस्तीफा जरूरी बताया है। वहीं दिग्विजय सिंह ने अपने मैसेज से साफ कर दिया है वे मिट जाएंगे, लेकिन दया की भीख नहीं मांगेंगे।
Ajay Singh ने पटवारी के कार्यकाल की समीक्षा की बात कही
लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद प्रदेश कांग्रेस में समीक्षा जल्द होने की संभावना है। प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार केंद्रीय कार्यसमिति की दो दिनी बैठक के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। इस बैठक के बाद प्रदेश में बदलाव शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। मगर इसके पहले ही संगठन के कामकाज पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ( Ajay Singh ) ने संगठन की कार्यशैली के साथ ही प्रदेशाध्यक्ष पटवारी के पूरे कार्यकाल की समीक्षा किए जाने पर जोर दिया है। मीडिया से चर्चा में उन्होंने पटवारी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहाकि पीसीसी चीफ के कार्यकाल की स्तर पर समीक्षा होना चाहिए। सिंह ने कहा कि विधानसभा चुनावों में हार के बाद मैंने नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि हाई कमान तय करें कि आगे मध्य प्रदेश के लिए किस तरह के रणनीति होना चाहिए। वहीं प्रदेश के दोनों दिग्गजों पूर्व सीएम कमलनाथ व दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहाकि दोनों अपने-अपने क्षेत्रों से बाहर नहीं निकले। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वालों पर सख्त नाराजगी जताते हुए सिंह ने कहाकि संघर्ष और संकट के समय में साथ छोडऩे वालों को दोबारा पार्टी में वापस नहीं लेना चाहिए। फिर वो सुरेश पचौरी, रामनिवास रावत या कितना ही बड़ा नेता क्यों न हो। किसी की भी वापसी नहीं होना चाहिए।
दिग्विजय ने कविता से दिया मैसेज
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह द्वारा सोशल मीडिया (एक्स) पर पोस्ट किया गया मैसेज वर्तमान चुनावी माहौल में चर्चा का विषय बना हुआ है। शिवमंगल सिंह सुमन की प्रसिद्ध कविता के जरिए उन्होंने साफ मैसेज किया है कि यह हार एक विराम है और जीवन महासंग्राम है। क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं। जिसको जो बोलना है बोलता रहे, वे भले ही तिल-तिल मिटते रहेंगे पर न तो दया की भीख मांगेंगे और न वरदान मांगेंगे। दिग्विजय सिंह यह मैसेज सियासी हलकों में खासा चर्चा में बना हुआ है। इसके राजनीतिक मायने निकालकर उनके भविष्य की राह खोजी जा रही है।