स्वतंत्र समय, भोपाल
मुख्यमंत्री यादव ने प्रदेशभर में बहुत पसीना बहाया, 150 से भी अधिक सभाएं और रैलियां की और भाजपा ( BJP ) को 29 में से 29 लोकसभा सीटें जितवाने में अहम भूमिका निभाई। लोकसभा चुनावों के दौरान मोहन यादव को प्रदेश के बाहर भी भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए भेजा था।
शिवराज ने 13 सीटों पर प्रचार किया 10 सीट BJP जीती
मुख्यमंत्री यादव को पार्टी ने देशभर में 33 लोकसभा सीटों पर सभाएं और रैलियां करने की जिम्मेदारी दी थी। यादव को जिन सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी उन सीटों में उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड की ऐसी सीटें भी शामिल है जो यादव बाहुल सीटें है। यादव बहुल सीटें होने के बाद भी प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ज्यादा प्रभाव यादव समाज पर भी नहीं छोड़ पाए। वही दूसरी तरफ प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर चुनाव प्रचार में असरदार साबित हुए। लोकसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हें देशभर की 13 सीटों पर प्रचार करने की जिम्मेदारी सौपीं थी जिनमें से 10 सीट भाजपा की झोली में आई।
यादव बहुल सीटों पर भी नहीं कर पाए सम्मोहन
यादव समाज से होने के बावजूद भी प्रदेश के मुख्यमंत्री यादवों को लुभा ना सके, भाजपा ने उनका पूरा प्रचार यादव बाहुल इलाकों के आस-पास ही रखा था लेकिन फिर भी वे असरदार साबित नहीं हो पाए। गौरतलब है कि मोहन यादव ने उत्तर प्रदेश में वाराणसी, कुशीनगर, अमेठी, जौनपुर सहित कुल 15 लोकसभा सीटों पर प्रचार किया था जिनमें से भाजपा को मात्र 5 सीटों पर ही जीत मिली। बिहार में जिन दो लोकसभा सीटों पर यादव प्रचार करने पहुंचे वहां भी पार्टी को एक सीट पर हार का सामना करना पड़ा। यूपी और बिहार के अलावा झारखण्ड में 6 में से 4 सीटों पर और दिल्ली की सभी तीन सीटों पर जीत दिलाने में जरूर मोहन यादव ने भाजपा को जीत दिलाने में सहायता की। सीएम यादव को सबसे ज्यादा झटका पंजाब, हरियाणा, तेलगाना और महाराष्ट्र में लगा, इन 4 राज्यों की कुल 7 सीटों पर उनके प्रचार करने के बाद भी सभी सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।