सीताराम ठाकुर, भोपाल
मप्र सरकार के बजट का बंदरबाट करने में नौकरशाह भी पीछे नहीं है। बिना हिसाब-किताब ही सरकार अनुपूरक बजट ( supplementary budget ) में विभागों को पैसा बांट देती है। चाहे विभाग में इस पैसे का दुरुपयोग क्यों ना हो रहा हो। इसी कारण भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं, क्योंकि अंतिम समय में बजट खर्च करने में आनन-फानन में ठेकेदारों सहित अन्य को पेमेंट कर दिया जाता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें एक दर्जन विभागों के पास बजट से बची हुई राशि 26 हजार 843 करोड़ रखी होने के बाद भी उन्होंने अनुपूरक में 18 हजार 548 करोड़ रुपए ले लिया।
supplementary budget के लिए अफसरों किया गुमराह
मप्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में गृह विभाग, वित्त विभाग, भू-राजस्व, जिला प्रशासन, कृषि कल्याण, स्वास्थ्य विभाग, पीएचई, नगरीय विकास एवं आवास, स्कूल शिक्षा, ग्रामीण विकास, जनजातीय कार्य, पंचायत एवं महिला बाल विकास को मूल बजट में एक लाख 45 हजार 159 करोड़ का प्रावधान किया था। सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इन विभागों ने बजट का एक लाख 36 हजार 864 करोड़ रुपए ही खर्च किया। इस तरह विभागों के खातों में 26 हजार 843 करोड़ रुपए शेष बचने के बाद भी इन्होंने सरकार से अनुपूरक बजट ( supplementary budget ) में 18 हजार 548 करोड़ रुपए ज्यादा का प्रावधान करवा लिया। यानि बजट राशि खर्च नहीं होने के बाद भी अनुपूरक में पैसा लेकर इसका बंदरबाट किया। उधर, सरकार ने राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम का पालन नहीं किया। इसका नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2022-23 के दौरान राजस्व अधिशेष पिछले वर्ष की तुलना में 15.04 प्रतिशत कम हो गया, जबकि 2022-23 के दौरान राजकोषीय घाटा 9.91 प्रतिशत बढ़ गया। सीएजी सूत्रों के अनुसार, विभागों ने लेखों में गलत वर्गीकरण करते हुए 2,481 करोड़ के खर्च को राजस्व व्यय के अंतर्गत दर्ज करने के बजाए पूंजीगत व्यय में दर्ज कर लिया। इसी तरह 89.25 करोड़ रुपए की राशि को गलत तरीके से पूंजीगत व्यय के बजाए राजस्व व्यय के रूप में बजट में खर्च किया जाना बताया। बजट नियमावली में यह नियम है कि बजट खर्च होने का हिसाब-किताब बजट नियंत्रण अधिकारियों के पास रहना चाहिए, लेकिन यहां बजट नियंत्रण अधिकारियों के बजाए संचालनालय कोष एवं लेखा द्वारा आंकड़ों का मिलान कर रहा है, जिसके कारण वर्ष 2022-23 के दौरान 2 लाख 36 हजार 395 करोड़ संचित निधि के अंतर्गत कुल व्यय 2 लाख 68 हजार 699 करोड़ का 87.98 प्रतिशत प्राप्ति में 1 लाख 77 हजार 121 करोड़ दर्शाया गया।
इन विभागों ने लिया बजट से ज्यादा पैसा…
विभाग प्रावधान खर्च किया बची राशि अनुपूरक में लिया
गृह विभाग 8,745 7,665 1,145 6,634
वित्त विभाग 21,783 19,916 3,846 1,980
राजस्व विभाग 7,444 5,218 2,362 136,24
कृषि कल्याण 15,690 19,196 3,204 6,710
स्वास्थ्य विभाग 9,472 9,865 1,273 1,676
पीएचई विभाग 7,781 6,728 1,073 20.00
नगरीय विकास 9,299 10,913 1,218 2,832
स्कूल शिक्षा 26,332 23,515 2,820 03.25
ग्रामीण विकास 17,498 14,797 4,822 2,121
जनजातीय कार्य 8,860 7,992 1,319 451.22
पंचायत विभाग 6,536 5,461 2,546 1,472
महिला विकास 5,715 5,583 1,209 1,077
राशि करोड़ रुपए में, स्त्रोत: सीएजी
अफसरों के व्यक्तिगत खातों में जमा थी राशि
31 मार्च 2023 तक अफसरों के 821 व्यक्तिगत खाते अस्तित्व में थे और इन खातों में 2,353.57 करोड़ रुपए जमा थे। इन 821 खातों में से 199 व्यक्तिगत जमा खाते जिनमें कुल शेष राशि 214.39 करोड़ रुपए तो तीन साल से अधिक समय से असंचालित थी। यानि इसका उपयोग ही नहीं किया गया और बैंक खातों में अफसरों ने पैसा जमा रखा।
19,965 करोड़ के उपयोगिता प्रमाण नहीं दिए
उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को भेजा जाता है, इसके बाद ही वह राज्य को राशि आवंटित करता है, लेकिन वर्ष 2023 मे बजट राशि खर्च करने के बावजूद एक निर्धारित समय अवधि के भीतर सर्शत अनुदानों के विरुद्ध 20 हजार 685 करोड़ में से 19 हजार 965 करोड़ बकाया उपयोगिता प्रमाण पत्र विभागों में लंबित थे। इस तरह का फर्जीवाड़े का खुलासा सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में किया है।