प्रवीण शर्मा, भोपाल
भारतीय ज्ञान, गुरू-शिष्य परंपरा ( Guru Parampara ), गुरुकुल, रामायण-गीता और योग-ध्यान, कुलगुरू और अब गुरूपूर्णिमा। ये सारे शब्द पढक़र हर कोई शायद धार्मिक या आध्यात्मिक विषय से जुड़ी किसी खबर का अंदाजा लगा रहा होगा। मगर ये सारे शब्द इन दिनों मध्यप्रदेश की सरकार की प्राथमिकता में शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इनमें से कुछ शब्दों का भान तो प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री रहते ही करा दिया था। अब उन्होंने गुरू की महिमा और शिक्षा परिसरों को ज्ञान का मंदिर के रूप में पुर्नस्थापित करने का अनुष्ठान सा छेड़ रखा है।
सांदीपनी आश्रम में श्रीकृष्ण ने शिक्षा लेकर Guru Parampara निभाई
यह भी प्रदेश के लिए संयोग है कि ऋषि सांदीपनी के जिस आंगन में भगवान कृष्ण ने शिक्षा लेकर गुरू-शिष्य परंपरा ( Guru Parampara ) मान बढ़ाया था, उसी आंगन के एक और मोहन ने अब गुरू की प्रतिष्ठा बढ़ाने का काम अपने हाथ में लिया है। पहली बार गुरूपूर्णिमा से कालेजों और विश्वविद्यालयों को भी जोड़ा गया है। अभी तक गुरूपूर्णिमा का पर्व स्कूलों तक सीमित था। वह भी एक दिन का। मगर इस बार 21 जुलाई को स्कूलों के साथ ही सरकारी, प्रायवेट, आटोनोमस सभी कॉलेज व यूनिवर्सिटीज लगातार दो दिनी तक गुरू की भक्ति में ही डूबे रहेंगे। गुरूवंदना के साथ शुरू होने वाले इन कार्यक्रमों में कुलगुरू का महत्व बताया जाएगा। डॉ. यादव की सरकार ने यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के हिंदी नाम कुलपति की जगह कुलगुरू पदनाम क्यों दिया, इसे विस्तार से गुरूजन ही बताएंगे। संत, ऋषि, महात्मा और धर्मगुरू भी इन कार्यक्रमों में शामिल होंगे। पूर्व कुलगुरू, शिक्षाविद, गुरुजन भी गुरू-शिष्य परंपरा आदि पर व्याख्यान देंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी गुरू की महिमा व गुरू-शिष्य परंपरा पर आधारित होंगे। वैसे भी भारतीय संस्कृति की पैरवी मुख्यमंत्री यादव विश्वविद्यालयों में होने वाले दीक्षांत समारोह की ड्रेस में बदलाव से कर चुके हैं। बीते वर्षों से अब भारतीय पोशाक दीक्षांत समारोह का हिस्सा हैं।
शिक्षा परिसरों की शुद्धता पर खास नजर
भारतीय ज्ञान परंपरा की खुलकर पैरवी करने वाले मुख्यमंत्री यादव शिक्षा परिसरों की शुद्धता और गुरू की मर्यादा को लेकर भी हमेशा संजीदा नजर आए हैं। मामला चाहे देवरी में शराब पीकर आए शिक्षक को अथवा नर्सिंग घोटाले में शामिल शिक्षकों का, सीएम यादव ने खुद ऐसे मामलों पर संज्ञान लिया और सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। शराब पीकर बच्चों के बस्ते पर लोटने वाले शिक्षक को तत्काल बाहर किया। वहीं नर्सिंग घोटाले में दोषी दो पूर्व रजिस्ट्रार अभी तक बर्खास्त हो चुकी हैं। ये सारे मामले दिखाते हैं कि गुरू के मान पर कलंक लगाने वाले बर्दाश्त नहीं होंगे। उन्हें मान चाहिए तो मर्यादा में रहना होगा। छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता सामने आते ही 7 मंत्रियों की कमेटी का गठन किया गया तो अब दो लाख पदों पर भर्ती निकालने की घोषणा के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए युवाओं को तैयारी कराने की जिम्मेदारी भी मोहन सरकार उठाने जा रही है। यह सारे कदम लगभग उसी पहल की तरह हैं जैसे यूजी फस्र्ट ईयर में पर्यावरण, योग व ध्यान को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है तो वैकल्पिक विषय के रूप में रामायण और गीता के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश किया गया है।