नीट-यूजी परीक्षा फिर से नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कल मंगलवार को नीट मामले में दोबारा परीक्षा कराने की मांग को खारिज कर दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को क्लीन चिट नहीं दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि डेटा से यह नहीं लगता है कि सिस्टमैटिक ब्रीच हुआ है या पूरी एग्जाम की गरिमा पर असर हुआ है। साथ ही कोर्ट ने फिजिक्स के विवादित सवाल पर बताया कि उसका सही जवाब विकल्प 4 है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में बताया कि जिन लोगों ने गड़बड़ी का फायदा उठाया है, उनकी पहचान करना संभव है। यदि आगे चलकर गड़बड़ी पाई जाती है तो उसका एडमिशन कैंसिल हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी ने भौतिकी विभाग से एक समिति गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट हमें मिल गई है। 3 विशेषज्ञों की समिति ने कोर्ट को कहा कि मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में पूछे गए भौतिकी के विवादास्पद प्रश्न का केवल 1 ही सही उत्तर था, न कि 2।
व्यक्तिगत मामले को उठाए जाने पर जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद इस मुद्दे पर सुनवाई की कि क्या पेपर लीक के कारण सी से पूरे NEET-UG की अखंडता से समझौता हुआ था। इस मामले में NTA की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की।
सुनवाई में 1 वकील नेव्यक्तिगत मामले को उठाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए बताया कि जिन उम्मीदवारों को व्यक्तिगत शिकायतें हैं, हम उन्हें हाईकोर्ट जाने को कह सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि इस कोर्ट का काम व्यक्तिगत शिकायतों पर गौर करना है। हम उन मामलों को अलग कर देंगे।
परीक्षा की ईमानदारी पर आघात हुआ : याचिकाकर्ता के वकील
याचिकाकर्ता की तरफ से नरेंद्र हुड्डा ने बताया कि 1 ही प्रश्नपत्र को बार-बार दोहराने से परीक्षा की ईमानदारी पर आघात हुआ है, क्योंकि किसी को 1 बार 3 घंटे 20 मिनट मिलते हैं, इन लोगों को 1 ही दिन में 2 बार 3 घंटे 20 मिनट मिलते हैं, प्रश्नपत्र 1 ही रहता है।
CJI ने बताया कि क्या इस टॉप 100 में हजारीबाग से कोई छात्र है? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि हम 2022, 2023 और 2024 में इन सेंटर्स की स्थिति भी दिखाएंगे।