इंदौर में नर्मदा को साफ़ रखनेे और उसके करीब इको सिस्टम विकसित करने के उद्देश्य से 1 कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें विश्व के विशेेषज्ञ शामिल थे। बैैठक मेें नीति आयोग की रिपोर्ट का भी उल्लेख किया गया। जिसमें बताया गया हैै कि इंदौर देश के उन 20 शहरों में जुड़े है। जिन्हे साल 2030 तक पेयजल के संकट का सामना करना पड़ सकता हैै।
इसे दूर करने के लिए नर्मदा नदी केे सरंक्षण और शुद्धिकरण पर जोर देना जरुरी है। कार्यशाला का आयोजन नर्मदा लैंडस्केप रिस्टोरेशन प्रोजेक्ट के तहत किया गया था जिसमें खास अतिथि पीसीसीएफ के सेवानिवृत अधिकारी डॉ. पी.सी. दुबे थे।
विशेेषज्ञों ने बताया कि देशभर के कई बड़े शहरों की पानी की उपलब्धता को लेकर स्थिति गंभीर होने लगी है। साफ पानी की पूर्ति के लिए वाटर इकोसिस्टम को संरक्षित करने की ज़रूरत है। इसी कड़ी में नर्मदा नदी के किनारे बसे लोगों के साथ जल संरक्षण करने की कोशिश कि जा रही हैं।
नदी के करीब खेती करने वाले किसानों को जैविक खेती करने के लिए जागरुक किया जा रहा है। ताकि नदी का जल दूषित न हो। इसके साथ नदी किनारे पौधारोपण भी किया जा रहा है। इन कोशिशों की वजह 4 सालों में नदी नालों में पानी की गुणवत्ता में 18% तक सुधार हुआ है। यह सहायक नदिया नर्मदा नदी में मिलती है। इस तरह की कोशिशों में इंदौर नगर निगम भी मदद करेगा।