स्वतंत्र समय, नई दिल्ली
केंद्रीय बजट में सरकार ने अपने कर्मचारियों को यह सख्त संदेश दे दिया है कि उन्हें ओपीएस ( Old Pension ) नहीं मिलेगी। सरकार को कई बार मांग पत्र सौंपने वाले कर्मचारी संगठन भी अब पुरानी पेंशन के मुद्दे पर आरपार की लड़ाई करने का मन बना चुके हैं। अगले माह केंद्रीय एवं राज्यों के कर्मचारी संगठनों के कई बड़े प्रदर्शन देखने को मिलेंगे।
Old Pension के मुद्दे पर दो अगस्त को दिल्ली में प्रदर्शन
ओल्ड पेंशन ( Old Pension ) के मुद्दे पर 15 जुलाई को वित्त मंत्रालय की कमेटी की बैठक का बहिष्कार करने वाले अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य, दो अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ, 13-14 अगस्त को राष्ट्रव्यापी आंदोलन पर फैसला लेगा। नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत ने सरकार को चेतावनी दी है कि एक महीने के भीतर अगर ओपीएस पर गजट नहीं आता है तो संसद घेराव की तिथि का ऐलान कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि पुरानी पेंशन बहाली, जिसके लिए विभिन्न केंद्रीय संगठन लंबे समय से आवाज उठा रहे थे, बजट में उसका जिक्र तक नहीं किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर भी कोई घोषणा नहीं की। यह वित्त मंत्री का सरकारी कर्मियों के लिए सख्त संदेश था कि उन्हें एनपीएस में ही रहना होगा।
रक्षा क्षेत्र की 400 यूनिटों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी श्रीकुमार का कहना है, कर्मचारी वर्ग को ओपीएस चाहिए। इसे कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। ओपीएस, आठवें वेतन आयोग का गठन व दूसरी मांगों को लेकर दो अगस्त को एआईडीईएफ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देगी। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र की 400 यूनिटों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद दूसरे कर्मचारी संगठनों से विचार विमर्श कर आगे की आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। ओपीएस की लड़ाई अब तेजी से आगे बढ़ेगी। संसद सत्र के दौरान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था, कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार के विचाराधीन नहीं है। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन भी कह चुके हैं कि पुरानी पेंशन व्यवस्था अब वित्तीय रूप से मुमकिन नहीं है। इसे लाना देश के उन नागरिकों के लिए नुकसानदेह होगा, जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं।
बजट में कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी
राज्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे बड़े संगठन अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा-बजट में कर्मचारियों की सभी मांगों की अनदेखी की गई है। इससे केंद्र एवं राज्य कर्मियों में भारी आक्रोश है। उन्होंने केंद्रीय बजट को, कर्मचारी एवं मजदूर विरोधी और कारपोरेट प्रस्त बताया है। इस बजट से निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने कर्मचारियों की प्रमुख मांगें, ओपीएस बहाली, आठवें पे कमीशन का गठन, पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली, ओपीएस बहाल करने वाले राज्यों के पूर्व में कटौती किए गए अंशदान की वापसी और ईपीएस 95 को पुरानी पेंशन के दायरे में लाना, ये सब मांगें गायब कर दी हैं।