प्रवीण शर्मा, भोपाल
प्रदेश कांग्रेस ( Congress ) ने भले ही अपनी सरकार के 15 महीने पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने की बातें करते ही निकाल दिए। उस समय तो सीएम कमलनाथ और उनकी पूरी सरकार प्रदेश में ओबीसी की संख्या को लेकर कंफ्यूज रही, अदालत को भी सही आंकड़े नहीं बता सकी। मगर अब पूरा संगठन पिछड़ा वर्ग के हाथों में सिमट गया है। टॉप टू बॉटम पूरी कांग्रेस पिछड़ी हो गई है। प्रदेशाध्यक्ष से लेकर कांग्रेस के सारे फ्रंटल आर्गेनाइजेशन के मुखिया ओबीसी के बने बैठे हैं। इसे लेकर अन्य वर्गों के नेताओं में असंतोष का असर अब कामकाज और आपसी मुद्दों में भी नजर आने लगा है।
Congress की कमान ओबीसी से आने वाले जीतू के हाथ में
प्रदेश कांग्रेस ( Congress ) की कमान तो ओबीसी से आने वाले जीतू पटवारी के हाथ में है ही, जातिगत समीकरणों पर नियुक्तियां करने वाली कांग्रेस में महिला कांग्रेस, युकां, एनएसयूआई, किसान कांग्रेस, सेवादल और अल्पसंख्यक कांग्रेस तक में ओबीसी चेहरे ही मुखिया बना दिए गए हैं। जातिगत जनगणना का राग आलापने वाली कांग्रेस जितनी आबादी उतना अधिकार का नारा भी बुलंद कर रही है। मगर मध्यप्रदेश कांग्रेस की बात करें तो यह नारा पूरी तरह से खोखला है। इसकी वजह है संगठन में ओबीसी को मिला महत्व। कांग्रेस के जितने भी मोर्चे हैं, उनमें से दो तिहाई से ज्यादा की कमान ओबीसी को सौंप दी गई है। सामान्य वर्ग की हालत तो यह है कि केवल एक-दो संगठन के मुखिया का पद ही मिल सका है तो एससी-एसटी अपने वर्ग की कांग्रेस तक ही सीमित कर दिए गए हैं। एससी-एसटी कांग्रेस में तो इन्हीं वर्गों से मुखिया बनाना मजबूरी भी है। इनको छोड़ दें तो पूरी कांग्रेस एक तरफा ओबीसी का महासंगठन बनकर रह गई है। विपक्ष के नेता का पद भी एसटी के उमंग सिंघार के पास है। हालत यह हो गई कि अल्पसंख्यक कांग्रेस की कमान भी ओबीसी वर्ग के हाथों में ही सौंप दी गई है। दूसरे किसी वर्ग का प्रतिनिधित्व ही नहीं बचा है। ऐसे में अब संगठन में बड़े बदलाव की बातों को हर रोज ही हवा मिल रही है। जानकारी के अनुसार कांग्रेस में 40 मोर्चा और करीब 10 फ्रंटल आर्गेनाइजेशन विभाग हैं। इनमें से आठ में ओबीसी के मुखिया है। इनमें भी प्रदेश से लेकर जिला कार्यकारिणी में भी पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व ज्यादा है।
यह हैं ओबीसी वर्ग के नेता…
- प्रदेश कांग्रेस जीतू पटवारी
- महिला कांग्रेस विभा पटेल
- युकां मितेंद्र दर्शन सिंह यादव
- भाराछासं आशुतोष चौकसे
- सेवादल योगेश यादव
- किसान कांग्रेस दिनेश गुर्जर
- पिछड़ा वर्ग कांग्रेस सिद्धार्थ कुशवाह
- मोर्चा प्रकोष्ठ प्रभारी जेपी धनोपिया
- अल्पसंख्यक कांग्रेस शेख अलीम
नेतृत्व परिवर्तन की हवा
सभी संगठनों में एक ही वर्ग का कब्जा हो जाने से पूरी कांग्रेस में बदलाव की बातों को भी हवा मिलने लगी है। इसे लापरवाही बताते हुए लोग दिल्ली तक आपत्ति जता चुके हैं। अब सभी वर्गों के बीच संतुलन बैठाते हुए जल्द ही प्रदेश कांग्रेस में व्यापक उठापटक की संभावना जताई जा रही है। मामला सीधे दिल्ली से जुड़ा होने के कारण प्रदेश कांग्रेस का कोई भी प्रवक्ता इस मुद्दे पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक का कहना है कि अब आगे जो भी फैसले होंगे, उसमें क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बना लिया जाएगा।
कांग्रेस की लापरवाही या एजेंडा
प्रदेश कांग्रेस इस मामले में पल्ला झाड़ते हुए नजर आती है। वजह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से लेकर सभी फ्रंटल संगठनों के प्रदेशाध्यक्षों की नियुक्ति दिल्ली दरबार से होती है। यहां से पैनल भेजी जाती है, उसी में से किसी एक नाम राष्ट्रीय नेतृत्व तय कर देता है। मगर लगभग हर मोर्चा, विभाग और संगठन एक ही वर्ग के खाते में चले जाने को अब प्रदेश नेतृत्व की लापरवाही से भी जोडक़र देखा जाने लगा है। वहीं इसे राष्ट्रीय एजेंडा भी बताया जा रहा है। मगर इससे अन्य वर्गों के नेताओं व कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही है। आपस में ही इसे लेकर विवाद पीसीसी और जिलों में भी होने लगे हैं। जो कहीं से भी कांग्रेस के लिए हितकारी नहीं माने जा सकते। राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से भेजे गए प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र ङ्क्षसह के सामने भी यह नाराजगी आ चुकी है।