सरकार व जनप्रतिनिधियों के कई आश्वासन के बावजूद जीएसटी ट्रिब्यूनल के मामले में इंदौर को फिर ठगा लिया गया। कल गुरुवार को केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर अलग-अलग राज्यों में 31 ट्रिब्यूनल व 14 सीटिंग व सर्किट बेंच बनाई है। इस लिस्ट से प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर का नाम नदारद है। मप्र की अपीलेट बेंच भोपाल में ही बनेगी, जबकि इंदौर इसके लिए लंबे वक़्त से मांग कर रहा था। एसजीएसटी का मुख्यालय होने के साथ ही प्रदेश में सबसे अधिक जीएसटी कलेक्शन इंदौर से होता है और यहीं सबसे अधिक केसेस भी हैं।
बीते वर्ष सरकार ने पूरे देश में जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल बनाने का फैसला लिया था। सिंतबर में 1 नोटिफिकेशन जारी कर 50 बेंच बनाने की बात बोली थी। बुधवार को राज्यों में 31 ट्रिब्यूनल बेंच और 14 सीटिंग और सर्किट बेंच बना दी गई है। अब इनमें सदस्यों की नियुक्ति होगी, जिससे टैक्स व कानूनी विसंगति, पेनल्टी व बाकि प्रकरणों की अपील की सुनवाई में तेजी आएगी, लेकिन इंदौर के व्यापारियों को बार-बार भोपाल ही जाना पड़ेगा। व्यापारियों ने कहा है, इससे इंदौर का बड़ा नुकसान हुआ है।
सर्किट बेंच वहीं बनती है जहां ज्यादा मामले
व्यापारियों की मांग के बाद भी इंदौर को सर्किट बेंच भी नहीं मिल सकी। सर्किट बेंच का मतलब होता है, मामले ज़्यादा वाले शहरों में ही सुनवाई के लिए बेंच बनाना।
ट्रिब्यूनल के लिए व्यापारियों ने 1 अभियान भी चलाया था। सांसद शंकर लालवानी के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, मुख्यमंत्री व संबंधित अफसरों से मिले थे। सांसद ने मामला संसद में भी उठाया था। व्यापारी-सीए व प्रैक्टिशनर्स ने कहा है, प्रदेश में सबसे अधिक अपील के मामले इंदौर से है। दायर भी यही से होते हैं। इसलिए इंदौर को सर्किट बेंच दी जानी चाहिए थी, जिससे स्थानीय स्तर पर सुनवाई और निराकरण हो सकते थे।
आगे क्या
सरकार ने कहा है, इन शहरों में जल्द ही बेंच की स्थापना होगी। सदस्य व स्टॉफ की नियुक्ति की जाएगी। मामलों की संख्या और जीएसटी के आकार को देखते हुए इनका विस्तार होगा। अब इंदौर की नजर विस्तार पर रहेगी।