Sampada App : खुशखबरी! अब तुरंत होगा जमीन का नामांतरण, इस ऐप से ईमेल पर मिल जाएगी रजिस्ट्री

Sampada App : मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जमीन की रजिस्ट्री करवाने वालों को एक बड़ी खुशखबरी दी गई है। अब प्रदेश के नागरिकों को जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने होंगे। राज्य सरकार संपदा मोबाइल ऐप लॉन्च करने जा रही है। इससे जमीन खरीदी बिक्री की प्रक्रिया पहले से काफी ज्यादा तेज होगी। इसके अलावा संपदा एप ( Sampada App ) की मदद से जमीनों की खरीदी के तत्काल बाद नामांतरण भी हो जाएगा। जानकारी है कि 15 अगस्त से संपदा सॉफ्टवेयर 2 (Sampada 2.0) लागू हो जाएगा।

ऑनलाइन होंगे सारे काम (Sampada App)

कुछ दिन पहले कृषि भूमि के खसरे के नामांतरण के लिए शुरू किए गए संपदा एप में अब मध्य प्रदेश सरकार नया अपडेट लेकर आ रही है और इसे 15 अगस्त से लागू करने का फैसला लिया गया है। इससे अब सारी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी और सभी दस्तावेज भी डिजिटल माध्यम से ऑनलाइन अवेलेबल होंगे।

इस एप के लॉन्च होने के बाद रजिस्ट्रेशन ऑफिस में उपस्थित होने की जरूरत नहीं रहेगी। लोगों की जमीन रजिस्ट्री दफ्तर जाए बिना ही हो जाएगी। इसके बाद ईमेल-व्हाट्सएप पर दस्तावेज मिलेंगे।

इन जिलों के 100 फीसदी दस्तावेज डिजिटल

प्रदेश में संपदा 2.0 का पायलट परीक्षण सफल रहा है। इस वजह से 7 जिलों ( हरदा, डिंडौरी, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, सिंगरौली और बुरहानपुर ) के 100% दस्तावेज डिजिटल हो चुके हैं। अब प्रदेश के अन्य जिलों पर फोकस किया जाएगा।

Sampada App की सुविधाएं

  • संपदा अप की वजह से अब सब रजिस्टार ऑफिस में उपस्थित होने की जरूरत नहीं होगी।
  • सभी रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट डीमैट डॉक्यूमेंट में चेंज हो जाएंगे।
  • फेसलेस कार्रवाई हो सकेगी।
  • सभी रजिस्टर डॉक्यूमेंट व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से बेनिफिशियरी को मिल जाएंगे।

संपदा एप की विशेषताएं

  • जीआईएस सक्षम- जीआईएस सक्षम सुविधाओं के साथ अपनी संपत्ति का पता लगा सकेंगे।
  • ई-केवाईसी- आधार ओटीपी या वीडियो ई-केवाईसी के साथ कई से भी केवाईसी करवा सकेंगे।
  • आसान भुगतान- आसानी से भुगतान तरीके के साथ अपने ई-स्टाम्प शुल्क का भुगतान कर सकेंगे।

ई-रजिस्ट्री प्रोसेस

ई रजिस्ट्री प्रक्रिया की सबसे अच्छी बात है कि यहां उपयोगकर्ता का रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद दस्तावेज की आरंभिक ज़रूरतें दर्ज करनी होगी। फिर क्रेता और विक्रेता का विवरण दर्ज होगा। इसके बाद संपत्ति की पहचान और सत्यापन किया जाएगा। फिर स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क की गणना होगी। इसके बाद वीडियो ई-केवाईसी और अंत में आसानी से भुगतान हो सकेगा।

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