स्वतंत्र समय, इंदौर
भूमाफिया प्रफुल्ल सकलेचा, जिसने ब्लूमबर्ग ( Bloomberg ) प्रोजेक्ट के जरिए इंदौर की आम जनता को घर का सपना दिखाकर उनकी खून-पसीने की कमाई लूटी, उसी दौरान मुंबई जाकर फिल्म निर्माता बन गया। जनता की मेहनत की कमाई को फिल्म निर्माण में झोंक दिया। सकलेचा ने केसी बोकडिय़ा की कंपनी संगीता पिक्चर्स के साथ मिलकर गोविंदा और प्रियंका चोपड़ा अभिनीत फिल्म ‘दीवाना मैं दीवाना’ को प्रोड्यूस किया। यह फिल्म 2013 में रिलीज हुई थी, उसी समय जब ब्लूमबर्ग के जरिए लोगों को ठगा जा रहा था।
Bloomberg में घर का सपना दिखाकर की लूट
ब्लूमबर्ग ( Bloomberg ) घोटाला एक बड़ा रियल एस्टेट घोटाला है, जिसमें प्रफुल्ल सकलेचा ने इंदौर के सैकड़ों लोगों को घर का सपना दिखाकर उनकी खून-पसीने की कमाई लूट ली। इसके बाद सकलेचा ने ब्लूमबर्ग एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी बनाई और मुंबई में जाकर फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा। फरवरी 2012 में मुंबई में प्रफुल्ल सकलेचा और केसी बोकडिय़ा के बीच एक संयुक्त उद्यम समझौता हुआ। इसमें ब्लूमबर्ग एंटरटेनमेंट प्रा. लिमिटेड और संगीता पिक्चर्स ने मिलकर फिल्म ‘दीवाना मैं दीवाना’ की मार्केटिंग और रिलीज करने का निर्णय लिया। इस संयुक्त उद्यम में कुल निवेश 3.25 करोड़ रुपये था। इसमें मेसर्स संगीता पिक्चर्स ने 1 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि मेसर्स ब्लूमबर्ग एंटरटेनमेंट प्रा. लिमिटेड ने 1.5 करोड़ रुपये का निवेश किया। प्रचार के लिए ब्लूमबर्ग एंटरटेनमेंट ने अतिरिक्त 75 लाख रुपये का निवेश किया। कुल मिलाकर, 3.25 करोड़ रुपये का निवेश दोनों कंपनियों के बीच तय किया गया और संयुक्त उद्यम का बैंक खाता ब्लूमबर्ग एंटरटेनमेंट के नाम पर रखा गया। सभी भुगतान इसी खाते में हुए। फिल्म रिलीज के बाद सबसे पहले पब्लिसिटी के लिए खर्च की गई 75 लाख रुपये की राशि ब्लूमबर्ग एंटरटेनमेंट को मिलनी थी। इसके बाद, सभी मीडिया और प्रारूप से होने वाली कमाई को में ब्लूमबर्ग एंटरटेनमेंट प्रा. लिमिटेड की 60 फीसदी और संगीता पिक्चर्स की 40 फीसदी भागीदारी थी। फिल्म में प्रोड्यूसर के रूप में प्रफुल्ल सकलेचा का ही नाम आता है। वहीं डायरेक्टर केसी बोकडिय़ा थे। यह वही दौर था, जब सकलेचा, इंदौर के लोगों को चूना लगा रहा था। दरअसल 2012, 2013 और 2014 में ही ब्लूमबर्ग में डायरी पर प्लॉटों की बुकिंग कर रहा था, लेकिन प्लॉट किसी को नहीं दिए, बल्कि वे प्लॉट किसी और को बेच दिए। इसके बाद भी जिनसे पहले बुकिंग की थी, उनके पैसे नहीं लौटाए। क्योंकि सारा पैसा फिल्म निर्माण में जा रहा था।
जांचें तो हो रही पर, न्याय से दूर हैं पीड़ित
जो लोग इस घोटाले का शिकार हुए हैं, अपने खून-पसीने की कमाई वापस पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। घोटाले की जांचें भी लंबे समय से चल रही हैं। एक बार कानूनी कार्रवाई के बाद दूसरी बार भी प्रफुल्ल सकलेचा के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने का आदेश पास हो चुका है। दरअसल हाल ही में हुए एक शिकायत की जांच में पाया गया कि सकलेचा ने करीब 80 लोगों ने एक-एक हजार वर्गफीट के भूखण्ड साढ़े चार-साढ़े चार लाख रुपए में बुक किए। 2012, 2013 और 2014 में डायरी पर इनकी बुकिंग की गई, लेकिन आज तक किसी को प्लॉट नहीं मिले, बल्कि ये प्लॉट सकलेचा ने किसी और को बेच दिए। इसके बाद भी इन लोगों को पैसे नहीं लौटाए। सकलेचा इन लोगों के 3.61 करोड़ रुपए डकारकर बैठा हुआ है। जांच के बाद संयुक्त कलेक्टर ने 16 जून को ब्लूमबर्ग में खरीदी-बिक्री और नामांतरण पर रोक लगाते हुए एसडीओ हातोद को आदेश दिए कि सकलेचा के खिलाफ थाना हातोद पर एफआईआर दर्ज करवाई जाए। पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
काफी बड़ा है घोटाला, पर प्रशासन ने मूंद रखी हैं आंखें
प्रफुल्ल सकलेचा ने ब्लूमबर्ग प्रोजेक्ट के जरिए करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की। सुपर कॉरिडोर से लगे ग्राम सोनगीर की जमीन खसरा नंबर 289/2, 290/2/2, 291/6/1/1/1, 291/6/1/2, 291/6/1/3/2, 306/1, 306/2, 307 व 298 के कुल रकबा 17.596 हेक्टेयर पर एक्सट्रान रियल्टी (इंडिया) प्रा.लि. की ब्लूमबर्ग (आर्चिड पार्क) के नाम से कालोनी विकसित की गई। जमीनें सुनीता पति महेश, रामकन्याबाई पति नवलसिंह पटेल, सौदराबाई पति पुंजराज, संगीताबाई पति रामेश्वर, संतोष पति जगदीश, सुनीता पति विष्णु की थीं। कॉलोनी के प्लाटों की रजिस्ट्री एक्सट्रान रियल्टी (इंडिया) प्रा. लि. तर्फे अशोक शर्मा ने की। पर कॉलोनी में ज्यादातर सौदे डायरियों पर हुए और लोगों को प्लॉट नहीं मिले। इसी आधार पर 2021 में कलेक्टर के आदेश के बाद प्रफुल सकलेचा, रामेश्वर ‘गुड्डा’ पटेल, अशोक शर्मा, विवेक राठी, मयंक, रजनीश जैन, अनिल कुमार जैन, डॉ. अरूण जैन के खिलाफ थाना हातोद पर धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया गया था। दिखावे की गिरफ्तारी के बाद आज सभी बेखौफ घुलेआम घूम रहे हैं और पीडि़तों को धमका रहे हैं कि उनके खिलाफ शिकायतें न की जाएं।
पिट गई फिल्म
फिल्म दीवाना मैं दीवाना एक रोमांटिक-कॉमेडी है, जिसमें गोविंदा और प्रियंका चोपड़ा ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं। फिल्म का निर्देशन केसी बोकडिय़ा ने किया और निर्माण अमित बोकडिय़ा ने किया। फिल्म की कहानी एक युवक और युवती के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक दूसरे से प्यार करते हैं, लेकिन परिस्थितियों के चलते उनके रिश्ते में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। फिल्म की शूटिंग और निर्माण में भी भारी रकम खर्च की गई। गोविंदा और प्रियंका चोपड़ा जैसे बड़े सितारों के होते हुए भी, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।
सरकार: क्यों बचा रहे हो भूमाफिया को?
प्रफुल्ल सकलेचा का यह घोटाला न केवल इंदौर की जनता के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा धोखा साबित हुआ। जनता की मेहनत की कमाई को ठगकर फिल्म निर्माता बनना, प्रफुल्ल सकलेचा का सबसे बड़ा गुनाह है। इंदौर की जनता आज भी अपने खून-पसीने की कमाई वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही है। इस घोटाले ने साबित कर दिया कि कैसे एक व्यक्ति अपनी लालच और महत्वाकांक्षा के लिए निर्दोष लोगों की जिंदगी बर्बाद कर सकता है। न्याय की उम्मीद में, इंदौर की जनता सरकार से अपील कर रही है कि प्रफुल्ल सकलेचा को सख्त से सख्त सजा मिले और उनकी खोई हुई संपत्ति वापस मिले। अब यह समय है कि लोग भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करे। सरकार को भी चाहिए कि वह इस घोटाले की पूरी जांच कर, दोषियों को सजा दिलाए और जनता की खोई हुई संपत्ति वापस दिलाने में मदद करे। जनता की मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए सख्त कानून और नियम बनाए जाने चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के घोटाले न हो सकें। ठगे गए लोग न्याय की उम्मीद में सरकार से अपील कर रहे हैं कि वह सख्त से सख्त सजा दिलाने में मदद करे। सकलेचा ने जनता के खून-पसीने की कमाई से फिल्म निर्माण का सपना पूरा किया, लेकिन अब समय है कि उसे उसकी करतूतों की सजा मिले और इंदौर की जनता को न्याय मिल सके।
जीवनभर की पूंजी लगा दी, पर नहीं मिला घर
दिलीप मोदी, विशाल मित्तल, बृजभूषण सिंह, जितेंद्र मित्तल की कहानी इस घोटाले की हकीकत बयां करती है। उन लोगों ने अपने खून-पसीने की कमाई ब्लूमबर्ग प्रोजेक्ट में लगा दी थी, ताकि वह अपने सपनों का घर खरीद सकें। लेकिन अब इनके और उनके परिवार के सपने चकनाचूर हो गए। घर तो मिला नहीं, पूंजी भी गई, जिसे वापस पाने की अब कोई उम्मीद नहीं है। यह कहानी इन चंद लोगों की नहीं है, बल्कि सकलेचा से ठगाए लोगों की फेहरिस्त काफी लंबी है। सरकार लगातार भूमाफियाओं को नेस्तनाबूद करने का दावा तो करती है, लेकिन हकीकत यह है कि भूमाफिया फल-फूल रहे हैं और आम आदमी अपनी पूंजी लुटाकर भी न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है।