इन्दौर: मूर्ति निर्माण से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के संबंध में राष्ट्रीय हरित अधिकरण और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का इंदौर में कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाएगा। इस संबंध में जारी दिशा-निर्देशों और प्रावधानों की जानकारी देने के लिए आज यहां कलेक्टर श्री आशीष सिंह के निर्देश पर मूर्तिकारों और संबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक संपन्न हुई। बैठक में मूर्तिकारों से कहा गया कि वे प्रदूषण की रोकथाम के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें। बैठक में एडीएम श्री रोशन राय ने दिशा-निर्देशों की जानकारी दी और उन्होंने निर्देशित किया कि मूर्ति के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाये।
बैठक में बताया गया कि भगवान गणेश व माताजी मूर्तियों के निर्माण में केवल उन्हीं प्राकृतिक सामग्रियों का ही इस्तेमाल किया जाये, जैसाकि पुराने धर्मग्रन्थों में उल्लेखित है। मूर्तियों के निर्माण में परंपरागत मिट्टी का ही उपयोग किया जाये, पकी हुई मिट्टी, पी०ओ० पी० (प्लास्टर ऑफ पेरिस) या किसी प्रकार के केमिकल व रासायनिक वस्तुओं का उपयोग मूर्ति निर्माण में किया जाना प्रतिबंधित रहेगा । उपस्थित मूर्तिकारों को मूर्ति निर्माण में पी०ओ०पी० के विकल्प के रूप में अन्य प्राकृतिक सामग्री जैसे पेपर आदि के इस्तेमाल की सलाह दी गई ताकि पर्यावरण को होने वाले नुकसान की रोकथाम की जा सके। मूर्ति पर कलर हेतु केवल प्राकृतिक रंगों व गैर विषाक्त रंगों का इस्तेमाल किया जायेगा । किसी भी प्रकार के रासायनिक व विषाक्त रंगों का इस्तेमाल पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा ।
जिले में केवल परंपरागत् मिट्टी से निर्मित प्रतिमाओं का ही उत्पादन व विक्रय किया जा सकेगा । परंपरागत मिट्टी छोड़कर अन्य पदार्थ जैसे पीओपी व अन्य रासायनिक पदार्थों से बनाई जानी वाली प्रतिमाओं के उत्पादन तथा विक्रय, बाहर ले जाने या बाहर से लाने को प्रतिबंधित किया गया है । यदि कहीं मूर्तिकारों द्वारा पूर्व में मूर्तियां निर्मित कर ली गई हो तो, परंपरागत मिट्टी छोड़कर अन्य पदार्थ जैसे पीओपी व अन्य रासायनिक पदार्थों से पूर्व से निर्मित कर ली गई प्रतिमाओं के वर्तमान स्टॉक की जानकारी लिखित में प्रस्तुत कर दें तथा उनके अतिरिक्त,इस प्रकार की नई प्रतिमाओं के निर्माण को प्रतिबंधित किया गया है। स्थानीय निकाय द्वारा इस संबंध में सत्यापन किया जायेगा । नगर निगम स्थानीय निकायों द्वारा स्थानीय स्तर पर मूर्ति विसर्जन हेतु पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित स्थलों को डेजिगनेट कर नोटिफाई करेगा। इस प्रकार बनाये गये कुण्ड व अन्य जल स्त्रोत में ही विसर्जन करवाया जाना सुनिश्चित् कराया जायेगा। बैठक में नदी एवं तालाबों में गैर पारंपरिक वस्तुओं से निर्मित मूर्तियों के विसर्जन को प्रतिबंधित किये जाने के संबंध में सभी को अवगत कराया गया ।