सावन के चौथे सोमवार पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल ने उमा महेश स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए। इस विशेष अवसर पर भगवान महाकाल और माता उमा (पार्वती) को पालकी में विराजमान कर नगर भ्रमण कराया गया। इस दिव्य शोभायात्रा के दौरान भक्तों की भारी भीड़ ने अपने आराध्य के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
उमा महेश स्वरूप में भगवान महाकाल ने दिए दर्शन
पालकी यात्रा में भगवान महाकाल और माता उमा का एक साथ दर्शन करना भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, और यह परंपरा सावन के महीने में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। नगर भ्रमण के दौरान भक्तों ने भगवान महाकाल और माता उमा पर फूलों की वर्षा की और वातावरण भक्ति रस से ओत-प्रोत हो गया। यह यात्रा भक्तों के बीच श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, जो उन्हें भगवान की कृपा और संरक्षण की अनुभूति कराती है।
सशस्त्र बलों की टुकड़ी ने बाबा महाकाल को सलामी दी
हर बार की तरह इस बार भी सावन के चौथे सोमवार पर बाबा महाकाल की सवारी का आयोजन भव्यता से किया गया। सभा मंडप में बाबा महाकाल का पूजन-अर्चन करने के बाद शाम 4 बजे से सवारी निकालने का प्रारंभ हुआ। इस दिव्य सवारी से पहले मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बलों की टुकड़ी ने बाबा महाकाल को सलामी दी, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
सवारी अपने परंपरागत मार्ग पर निकली
सवारी अपने परंपरागत मार्ग पर निकली, जो महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्शी बाजार, और कहारवाड़ी से होते हुए रामघाट पहुंची। रामघाट पर शिप्रा नदी के पवित्र जल से बाबा महाकाल का अभिषेक और पूजन किया गया, जिसके बाद सवारी का सिलसिला फिर शुरू हुआ। यह सवारी दानी गेट, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, और पटनी बाजार होते हुए पुनः महाकाल मंदिर पहुंची।
यह सवारी यात्रा भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण
यह सवारी यात्रा भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र मानी जाती है, और हर साल हजारों श्रद्धालु इस शोभायात्रा में शामिल होकर बाबा महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस बार बाबा महाकाल की सवारी में बैंड बाजे और भजन मंडलियों के साथ अलग-अलग जनजाति के कलाकार भी प्रस्तुति देते दिखाई दे रहे हैं।