स्वतंत्र समय, नई दिल्ली/भोपाल
15 अगस्त को आजादी के 78वें स्वतंत्रता दिवस को लेकर कारोबार जगत भी खासा उत्साहित है। खासकर पीएम की ‘हर घर तिरंगा’ ( Tiranga ) अभियान की अपील के बाद झंडों की बिक्री में आयी तेजी ने तो छोटे व्यापारियों को ज्यादा ही खुश होने मौका दे दिया है। पिछले हफ़्ते के आखिर में पीएम ने सोशल मीडिया पर अपनी डीपी को बदलकर तिरंगा लगाया। प्रधानमंत्री ने लोगों से भी ऐसा करने की और तिरंगे के साथ सेल्फी भेजने की अपील की। इसका असर ऐसा हुआ है कि तिरंगे की बिक्री में 60-70 परसेंट तक का इजाफा हो गया है। कुछ जगहों पर तो तिरंगे की बिक्री में 90 परसेंट तक उछाल आया है।
पीएम मोदी की अपील ने बढ़ाई तिरंगे की डिमांड
पीएम की अपील के बाद लोगों ने तो तिरंगा ( Tiranga ) झंडों की खरीदारी बढ़ायी ही है इसके साथ ही काफ़ी लोग थोक में झंडे लेकर भी बांटते हैं जो अब बड़ी संख्या में मार्केट में आ रहे हैं। इससे झंडे बनाने वाले कारीगर और दुकानदारों का फायदा होगा। झंडे के साथ-साथ तिरंगा कलर के कई छोटे-बड़े आइटम्स की भी देशभर में अच्छी डिमांड है जो 15 अगस्त तक और बढऩे का अनुमान है। वैसे तो तिरंगा कलर के कई आइटम्स की बाज़ार में डिमांड है लेकिन झंडों के खऱीदार सबसे ज़्यादा हैं। ग्राहक भी अपने मनपसंद साइज के बढिय़ा कपड़ों के झंडे की ही सबसे ज्यादा डिमांड कर रहे हैं, ये झंडे थोक बाजार में 20 से लेकर 30 रुपये तक मिल रहे हैं। वैसे बाजार में 500 रुपये तक के झंडे भी बल्क में उपलब्ध हैं।
2022 में 500 करोड़ के झंडे बिके
झंडों की बिक्री बढ़ाने में 2022 में सरकार की इसके निर्माण के नियमों में दी गई ढील का भी बड़ा रोल था। दरअसल, सरकार ने दिसंबर 2021 में फ्लैग कोड में बदलाव करके पॉलिएस्टर और मशीनों से झंडे बनाने की अनुमति दी थी। इससे देशभर में झंडों को आसानी से मुहैया कराया जाने लगा जबकि पहले भारतीय तिरंगा केवल खादी या कपड़े से बनाने की ही अनुमति थी। तिरंगे के उत्पादन को बढ़ाने में वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत की मुहिम ने भी महत्वपूर्ण रोल निभाया है। साल 2022 में भी पीएम ने हर घर तिरंगा अभियान की अपील की थी, जिससे उस साल 500 करोड़ का झंडा बिक्री का कारोबार देश में हुआ था। उस दौरान करीब 30 करोड़ तिरंगा झंडा तैयार किए गए थे जिससे 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिला था जबकि इसके पहले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज की सालाना बिक्री करीब 150-200 करोड़ रुपये तक ही सीमित रहती थी। तिरंगा निर्माण में ज्यादा योगदान एमएसएमई सेक्टर का रहता है।
इन आइटम्स की बंपर सेल
एक झंडा कारोबारी ने बताया कि यूं तो तिरंगा कलर के कई आइटम्स बिक रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा कपड़े के झंडे ही बिक रहे हैं। इन झंडों में भी 30*45 इंच और 20*30 इंच के बढिय़ा कपड़े के झंडे की डिमांड सबसे ज्यादा है। 30*45 इंच झंडे के कीमत 32 रुपये है, वहीं 20*30 इंच कपड़े के झंडे की कीमत 18 रुपये है। इसके अलावा एक फिरकी भी है, जो बच्चों के लिए है और इसकी भी खूब बिक्री हो रही है। स्वतंत्रता दिवस के लिए स्कूल वगैरह में भी कई कार्यक्रम होते हैं, जिसमें बच्चे गुब्बारे, छोटे-छोटे झंडे, बैज, हैंड बैंड, टोपी आदि चीजें लेकर जाते हैं। ऐसे में इन आइटम्स की भी बंपर बिक्री हो रही है।
3 शिफ्ट में काम कर रहे हैं कारीगर
स्वतंत्रता दिवस के लिए स्कूल वगैरह में भी कई कार्यक्रम होते हैं, जिसमें बच्चे गुब्बारे, छोटे-छोटे झंडे, बैज, हैंड बैंड, टोपी जैसी चीज़ों को लेकर जाते हैं जिससे इन आइटम्स की भी बंपर बिक्री हो रही है। वहीं झंडा कारोबारियों का कहना है कि पीएम की अपील के बाद तिरंगे की मांग में हुई बढ़ोतरी से अब कारीगरों को तीन शिफ्टों में काम कराना पड़ रहा है। देश में तो हर जगह झंडों की मांग बढ़ी ही है मैन्युफैक्चरर्स के पास अब विदेशों तक से झंडे की डिमांड आ रही है। देश के अलग अलग हिस्सों में तिरंगे की मांग तेजी से बढऩे से दुकानों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और स्थानीय बाजारों में तिरंगे की जमकर बिक्री हो रही है।
डिमांड इतनी कि सप्लाई नहीं हो पा रही, कीमत भी डबल
भाजपा के हर घर तिरंगा अभियान के कारण देशभर में तिरंगों की डिमांड इतनी ज्यादा हो गई है कि एक तो इसकी सप्लाई नहीं हो पा रही है, साथ ही इसकी कीमत भी अब डबल हो गई है। प्रदेश में ही इस बार 50 लाख से ज्यादा तिरंगों की जरूरत है। सूरत से पहले जो 20 बाई 30 वाला तिरंगा 9 रुपए में आता था, अब 18 रुपए में आ रहा है। यहां पर यह थोक में 20 रुपए में बिक रहा है। पहले यह 11 नेता भी 5 से 20 हजार तक तिरंगे खरीदकर बांट रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव में 2022 में हर घर तिरंगा अभियान की घोषणा की थी। तब से भाजपा हर साल 15 अगस्त से पहले हर घर तिरंगा अभियान चला रही है। इसके लिए भारी संख्या में तिरंगों की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर देशभर में ज्यादातर तिरंगों की सप्लाई सूरत से होती है। तिरंगे बनाने वाले पहले से इसका स्टॉक बनाकर नहीं रखते, क्योंकि तिरंगों की जरूरत हर समय नहीं होती। 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही तिरंगे बिकते हैं। हर घर तिरंगा अभियान से पहले तिरंगे बहुत कम संख्या में बिकते थे, लेकिन अब तो हर राज्य में लाखों की संख्या में तिरंगों की जरूरत 15 अगस्त से पहले पड़ रही है। इसके लिए पहले से ऑर्डर देने पर ही तिरंगों की सप्लाई होती है। विधायक, सांसद भी खरीद रहे हर घर तिरंगा अभियान के लिए प्रदेश संगठन ने तो बूथों के लिए तिरंगे देने का काम किया है, लेकिन भाजपा के कार्यकर्ताओं और घरों के लिए तिरंगे देने का काम प्रदेश के सांसद, विधायक, पार्षद, प्रदेश और जिलों के भाजपा नेता भी कर रहे हैं। सांसद, विधायक पांच से लेकर 20 हजार तक तिरंगे अपने क्षेत्रों में बांट रहे हैं, ताकि हर घर में तिरंगा लगाया जा सके नेता भी अपनी क्षमता के मुताबिक पांच सौ, हजार, दो हजार तक तिरंगे खरीदकर बांट रहे हैं।
इन चीजों की ये है कीमत…
- फिरकी
144 रुपये का पैकेट 10 पीस आते हैं - बैज
18 रुपये दर्जन से शुरू हैं - टोपी
40 पैसे से लेकर 25 रुपये तक की है - रिस्ट बैंड
12 रुपये से लेकर 60 रुपये दर्जन तक हैं।