रक्षाबंधन के मौके पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों ने बाबा महाकाल को राखी बांधकर आशीर्वाद प्राप्त किया। सुबह तड़के 3 बजे भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का पंचामृत से अभिषेक किया गया और उन्हें विशेष श्रृंगार के साथ हीरे और चांदी से जड़ी राखी बांधी गई। इसके बाद सवा लाख लड्डुओं का भोग भी अर्पित किया गया।
उज्जैन के महाकाल मंदिर में राखी बांधने की परंपरा सदियों पुरानी है। आशीष पुजारी के अनुसार, जिन बहनों के भाई नहीं होते, वे महाकाल को अपना भाई मानकर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। रक्षाबंधन के दिन सुबह भस्म आरती में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और महाकाल के दर्शन किए। हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार, सभी त्योहारों को सबसे पहले देवों के देव महाकाल ही मनाते हैं, और इस विशेष अवसर पर भी राखी बांधने की यह परंपरा निभाई गई।
बाबा महाकाल को वैदिक राखी बांधने की परंपरा का शास्त्रों में महत्वपूर्ण स्थान है। इस राखी में लौंग, इलायची, तुलसी के पत्ते और बिल्व पत्र शामिल होते हैं, और इसे विशेष मंत्रों द्वारा बनाया जाता है। इसे बांधकर देश और विश्व के कल्याण की मनोकामना की जाती है। यह राखी उज्जैन महाकाल मंदिर में विशेष रूप से बनाई जाती है, और पंडे-पुजारियों की महिलाएं इसे तैयार करती हैं। आशीष पुजारी के अनुसार, भक्तों ने भी बाबा महाकाल को राखी बांधी और उनके आशीर्वाद की कामना की।