Land mafia चंपू को कोर्ट ने मामले सुलझाने को दी जमानत, लेकिन वह फंसा रहा पेंच

स्वतंत्र समय, इंदौर

भूमाफिया ( Land mafia ) चंपू उर्फ रितेश अजमेरा सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत पर है ताकि वह प्लाटधारकों के मुद्दे सुलझाए, लेकिन अभी तक वह मामले में उलझाने में लगा है। बीती सुनवाई में हाईकोर्ट ने 22 प्लाटधारकों की नए सिरे फिनिक्स कॉलोनी संशोधित रजिस्ट्री के आदेश दिए थे। लेकिन इसमें फिर पेंच फंस गया। आखिरकार अब हाईकोर्ट ने इसमें सुनवाई कर सभी पक्षों को 22 अगस्त को लिक्वीडेटर के सामने सभी बातें रखने के लिए निर्देशित किया है, इसके बाद 28 अगस्त को हाईकोर्ट सुनवाई करेगा।

Land mafia केस में हाईकोर्ट ने यह दिए आदेश

20 अगस्त को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने भूमाफिया ( Land mafia ) केस  में आदेश दिए कि इस केस में लिक्वीडेटर के अधिवक्ता द्वारा बताया गया जिन प्लाटधारकों की रजिस्ट्री में संशोधन होना है इसमें विसंगतिया हैं। हालांकि, 18 जुलाई को हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि 22 प्लाटधारकों की रजिस्ट्री में संशोधन होना है। लेकिन रितेश अजमेरा के अधिवक्ता ने 29 प्लाटधारकों की सूची दी है। इसमें कई विसंगतिया हैं। अधिवक्ता ने कहा कि जल्द इन विसंगतियों को सुलझा लिया जाएगा। इसके लिए लिक्वीडेटर के साथ चर्चा की जरूरत है। इसलिए सभी को निर्देशित किया जाता है कि सभी पक्षकार लिक्वीडेटर के कार्यालय में 22 अगस्त को उपस्थित हों और फिर 28 अगस्त को इस केस में सुनवाई होगी।

यह बड़ी गफलत की है चंपू ने

दरअसल, चंपू अजमेरा ने फिनिक्स में 22 प्लाटधारकों को जिनकी रजिस्ट्री थी लेकिन कब्जा नहीं था उन्हें सरकारी कांकड़ और विवादित जगह दिखा के प्रशासन से कब्जा दिलवा दिया। इस तरह से झूठा बताया गया कि मामला निपट गया है जो उन्हें निपटाने थे। लेकिन इन प्लाटधारकों की पूरी डिटेल कभी लिक्वीडेटर को नहीं दी, इसके चलते इनकी रजिस्ट्री नए सिरे से नहीं हो सकी। 18 जुलाई को हाईकोर्ट ने इसमें आदेश दिए कि सारा खर्चा अजमेरा उठाएंगे और रजिस्ट्री की जाए। लेकिन जब लिस्ट आई तो और भी चौंकाने वाली थी, इसमें जो भूखंड नंबर दूसरों की रजिस्ट्री पर पहले ही चढ़े हुए हैं वही नंबर 22 में से 18 प्लाटधारकों को थमा दिए गए। यानी अब इनकी संशोधित रजिस्ट्री उन भूखंडों की होगी जो पहले से ही किसी अन्य के नाम पर रजिस्टर्ड है, इस तरह जो विवाद पहले 18 प्लाट का आ रहा था वह 36 लोगों का हो जाएगा, क्योंकि एक ही भूखंड़ की दो-दो रजिस्ट्री हो जाएगी। ऐसे में कौन किस प्लाट को बेच देगा यह भी पता नहीं चलेगा।