युवा देकर दुआ उमंग और उत्साह से लबरेज हैं…मोदी के एक लाख वाले आव्हान से खिल गया चेहरे का तेज है…

लालकिले की प्राचीर से इस बार मोदी बोले…हमने राजनीति में युवाओं के लिए दरवाजे खोले…एक लाख गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले युवाओं को सक्रिय राजनीति में लाएंगे…उनके ज्ञान और कौशल के साथ उनको नेतृत्व के पर लगाएंगे…नए भारत का निर्माण करने हेतु ये पहल अहम है…आज भी मेरे बिना राजनीति नहीं चलेगी , ये कइयों को वहम है….राजनीति की रंगत यौवन की मुट्ठी में तलाशी जा रही है…कई क्षेत्रों में सक्रिय युवा पीढ़ी शाबाशी पा रही है…

स्वाधीनता आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाला युवा अपने जुनून की जंग जीत गया…उस दौर में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा देने वाली नौजवानी को अरसा बीत गया…तब देश के लिए मरने वालों की थी बेतहाशा जरूरत…आज देश के लिए जीकर कुछ करने वालों की है बेहद जरूरत…वक्त का यही बदलाव महत्वपूर्ण है ये विचार युवाओं में भरना है…मोदीजी के अनुसार हमें ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करना है…

देश के मुखिया ने इस बार जोरदार कही है अपने मन की बात…अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगे हैं कई युवा आज दिनरात…वंशवाद की राजनीति ने उत्साही युवाओं को आगे आने से रोका है…उनकी प्रतिभा ने यदि जलवा दिखा भी दिया तो विद्यमान कुटिलता ने उन्हें टोका है…पीढ़ी-दर-पीढ़ी सिंघासन और ताज़ मिलने की परम्परा भले ही प्राचीन हो…राजे रजबाड़े की इसी परिपाटी पर भले पुराने नेताओं को यकीन हो…परन्तु नरेन्द्र मोदी जी ने इस मिथक को तोड़ने और नया विचार जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है…

सारे स्वार्थी कुनबे में निःस्वार्थ भाव से लीक से हटकर कुछ करने की भावना फिर दिखाई है…सारे कुएं में भले पड़ी हो भांग…मगर हर व्यक्ति नहीं होता है रांग…इस उक्ति को युक्ति बनाकर बड़ा मन बनाया है…भावी भारत के वैभव का उजला पक्ष दिखाया है…प्रधानमंत्री युवाओं को सही मौके पर सही मार्गदर्शन का दर्शन कर रहे हैं…जबकि अनेक राजनीतिज्ञ युवाओं का शोषण व उनका ही उपयोग कर अनैतिक प्रदर्शन कर रहे हैं…परिवार की राजनीतिक विरासत नहीं होने से जो युवा चाहकर भी राजनीति में नहीं आ पाते थे…

अपना सारा समय पट्ठावाद की चाटुकारिता में बेवजह बिताते थे…वे युवा देकर दुआ अब उमंग और उत्साह से लबरेज हैं…मोदी के एक बयान से खिल गया चेहरे का तेज है…नौजवानों की सामर्थ्य को पहचानों उनके पास जमीन पर काम करने का अनुभव है…मददगार बन समस्याओं को सुलझाना उनके द्वारा भी हर जगह सम्भव है…परिवारवाद की राजनीति नवोदित प्रतिभाओं का दमन कर देती है…

काबिलियत होते हुए भी गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले युवाओं का निराशा में गमन कर देती है…प्रजातंत्र की मजबूती हेतु युवाओं का नेतृत्व सम्बल जरूरी है…उनका वंशवादी राजनीति से कटाव उनकी मजबूरी है…युवाओं की लगन और मेहनत को सब जानते हैं…अच्छे अच्छे तुर्रम भी उनका लोहा मानते हैं…युवा हर समस्या का साकार हल है…युवा ही भारत का उजला कल है…युवा मेहनत से हो जाता हर क्षेत्र में सफल है…युवाओं का चेहरा खिलता कमल है ।