राजेश राठौर
वाह…गजब कर दिया मध्यप्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव ने, जिन्होंने यह कहा कि पुलिस थानों में अपराधी ( criminal ) की जाति नहीं लिखी जाएगी। इसके दो अर्थ हैं, एक तो किसी पापी या कलंकित व्यक्ति के कारण पूरा समाज बदनाम नहीं होना चाहिए। यह बात अलग है कि समाज के गुंडों को समाज के पढ़े लिखे लोग ही पालने-पोषने का काम करते हैं।
criminal, criminal होता है
दूसरा अर्थ यह है कि, अपराधी ( criminal ) की कोई जाति नहीं होती। अपराधी, अपराधी होता है। न उसकी कोई जाति होती, है न कोई धर्म। अपराधी अपना उल्लू साधने के लिए भले लोगों के युवाओं को अपने कब्जे में लेते हैं और उसके बाद अपराधी, समाजसेवी होने का चोला ओढ़ लेते हैं। अपराधियों के लिए किसी ने बहुत पहले सच कहा था, ये किसी दल के भी नहीं होते, ये सत्ताधारी दल के होते हैं। जिस पार्टी का राज, उस पार्टी के ‘राजपूत’ होते हैं ये। गुंडे, चंद रुपयों में जनप्रतिनिधि और अफसरों को खरीद लेते हैं और भले लोग इन गुंडों की पैरवी करने, समाज के नाम पर धरना-प्रदर्शन तक कर देते हैं। अब वक्त आ गया है कि मध्यप्रदेश का कोई मुख्यमंत्री ऐसा नहीं हो सकता जो देवी अहिल्याबाई की राह पर चल पड़े। ‘महाकाल का बेटा’ इस काम को बखूबी अच्छी तरह से कर सकता है। समाज में बैठे चंद भेडि़ए, समाज सेवा का चोला ओढक़र पूरे समाज का कब तक आखिर खून चूसेंगे। कब तक अपराधी, समाज के मुखिया बनते रहेंगे। वेलडन… करेक्ट मिस्टर सीएम, आपको शिवजी का वरदान है मध्यप्रदेश को अपराधी मुक्त बनाने का। बस, आप करते रहो, आम जनता आपको अपने कंधे पर बैठा लेगी।