स्वतंत्र समय, भोपाल
बीज प्रमाणीकरण के नाम पर बीज वितरण में फर्जीवाड़े ( fraud ) का खुलासा डिंडौरी और मंडला जिले में हुआ है। लगातार चार बार कृषि कर्मण अवार्ड पाने वाले मध्यप्रदेश में बीज प्रमाणीकरण के नाम पर बीज वितरण की पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ रही है। दस साल पहले मृत किसानों के नाम पर भी हर साल बीज बांटे गए हैं तो जिन किसानों के पास जमीन का टुकड़ा तक नहीं है, खसरे में भी नाम नहीं हैं, उनके नाम पर भी बीज बांटे गए हैं।
fraud का जिन अफसरों पर आरोप उन्हें ही जांच का जिम्मा
कृषि विभाग की गंभीरता का हाल यह है कि जिन अफसरों पर फर्जीवाड़े ( fraud ) के आरोप लग रहे हैं, उन्हें ही जांच का जिम्मा सौंप दिया गया है। आधुनिक खेती, उत्पादन में वृद्धि के उद्देश्य से शोध के बाद तैयार किए गए उन्नत किस्म के बीज किसानों को दिये जाते हैं, लेकिन अफसरों के भ्रष्टाचार ने वैज्ञानिकों के लंबे रिसर्च के बाद तैयार किए गए बीज को ही संदिग्ध बना दिया है। मंडला और डिंडोरी में 400-500 नाम ऐसे सामने आए हैं जो लगभग हर सूची में दर्ज किए जाते हैं। जानकारी के अनुसार डिंडौरी में यह उन्नत बीज करीब 19 हजार किसानों को दिए जाने थे। मगर जिलों में बीज पहुंचा ही नहीं और वितरण दिखा दिया गया। ट्र्रासपोटेशन से लेकर गेट पा, रिसीविंग से जुड़ा कोई रिकॉर्ड विभाग में नहीं है।
मंत्री को जिलों में घुसने नहीं देंगे
यह पूरा मामला सामने आने पर कांग्रेस ने सरकार की पूरी प्रक्रिया को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख मुकेश नायक ने मीडिया से चर्चा में कहाकि खेती की लागत कम कर उपज बढ़ाने के नाम पर कृषि विभाग में भारी भ्रष्टाचार किया गया है। नेताओं और अधिकारियों ने आपस में वह राशि बांट ली। मैं कृषि मंत्री से पूछना चाहता हूं कि बीज निगम के एमडी से आपके क्या संबंध हैं? यह घोटाले पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल से चले आ रहे हैं। सरकार को निष्पक्ष जांच कराना चाहिए। मैं फिर से कृषि मंत्री को पत्र लिखूंगा। यदि पूरी प्रक्रिया बिना भ्रष्टाचार के हुई है तो किसी ईमानदार अफसर से जांच करवा लें