Nitin Gadkari का सालाना टर्नओवर 2500 करोड़

स्वतंत्र समय, नई दिल्ली

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ( Nitin Gadkari ) ने दिल्ली में एक इंटरव्यू के दौरान खुद से जुड़ी कई रोचक जानकारियां साझा की। उन्होंने अपनी पसंदीदा फिल्म से लेकर कमाई तक पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि उनका टर्नओवर 2500 करोड़ है। वह यूट्यूब से होने वाली कमाई को डोनेट कर देते हैं।

Nitin Gadkari ने कहा मैं बिजनेसमैन नहीं सोशल आंत्रप्रेन्योर हूं

दरअसल, जब गडकरी ( Nitin Gadkari ) से पूछा गया कि आप किसान भी हैं, बिजनेसमैन भी हैं। इस पर उन्होंने कहा कि मैं बिजनेसमैन नहीं हूं। दिल्ली में सेवा जैसे काम होते नहीं हैं। यहां पर कोई भी कुछ भी करता है तो, उसे बिजनेसमैन कह दिया जाता है। मैं सोशल आंत्रप्रेन्योर हूं। मेरा टर्नओवर ढाई हजार करोड़ का है। मैंने 1500 लोगों को रोजगार दिया है। मेरी फार्मर प्रोड्यूस कंपनी है। कॉपरेटिव्स हैं, डिपार्टमेंटल स्टोर्स हैं, चार चीनी मिल हैं, छह लाख लीटर एथेनॉल बनाता हूं। 380 मेगावॉट बिजली बनाता हूं। ये सब किसानों के बीच काम करता हूं। मेरा खुद का रिसर्च है। मैं बटरीज बनाता हूं। मैं 1800 एकल विद्यालय चलाता हूं। मैं कई सारे काम करता हूं। बात यह है कि बिजनेसमैन और सोशल आंत्रप्रेन्योर में फर्क होता है।

मेरे साक्षात्कार मेरे यूट्यूब चैनल पर चलते हैं

गडकरी से जब पूछा गया कि आप यूट्यूब से भी लाखों कमाते हैं? तो उन्होंने कहा कि यूट्यूब के जरिए होने वाली कमाई पर कहा कि मेरे साक्षात्कार मेरे यूट्यूब चैनल पर भी चलते हैं। उसे करोड़ों लोग देखते हैं। मैं सबसे कहता हूं कि और देखो, क्योंकि इसका मुझे पैसा मिलता है। मुझे कभी ढाई लाख तो कभी साढ़े तीन लाख रुपए मिलते हैं। हालांकि, मैं पैसे डोनेट कर देता हूं। गडकरी ने कहा कि वायु प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर की बड़ी समस्या है। इस पर तेजी से काम हो रहा है।

मैंने रोड इंजीनियरिंग में बड़ा बदलाव किया

गडकरी ने कहा-दिल्ली-एनसीआर की आवाजाही बेहतर करने के लिए द्वारका एक्सप्रेस वे, अर्बन एक्सटेंशन रोड-1 व 2 के साथ दिल्ली एयरपोर्ट को नोएडा एयरपोर्ट से जोड़ा जा रहा है। इससे ट्रैफिक जाम की समस्या कम होगी। गडकरी ने माना कि इन सबका मिला-जुला असर प्रदूषण में कमी के तौर पर आएगा। उन्होंने बताया कि मैंने रोड इंजीनियरिंग में बड़ा बदलाव किया है। फ्यूल इंजीनियरिंग भी बेहतर हुई है, लेकिन अभी तक इसमें कामयाबी नहीं मिली है। 40 हजार करोड़ रुपए खर्च करके हाइवे के ब्लैक स्पॉट दूर किए गए हैं, लेकिन जब तक मानव व्यवहार नहीं बदलेगा, यह संभव नहीं हो सकेगा।